महिला आरक्षण विधेयक: लंबा सफर, फिर भी मंजिल का इंतजार

By अरविंद कुमार | Published: September 22, 2023 03:33 PM2023-09-22T15:33:32+5:302023-09-22T15:33:32+5:30

अंतरराष्ट्रीय संसदीय संघ का आंकड़ा बताता है कि महिला प्रतिनिधित्व के मामले में भारत सबसे निचले पायदान 148 वें नंबर पर खड़ा है. आज रवांडा की संसद में 64% महिलाएं हैं।

Women's Reservation Bill 2023 Long journey, still waiting for the destination | महिला आरक्षण विधेयक: लंबा सफर, फिर भी मंजिल का इंतजार

महिला आरक्षण विधेयक 2023

नए संसद भवन में सभी दलों के विराट समर्थन के साथ महिला आरक्षण विधेयक भले पारित हो गया है लेकिन ये आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों में एक बड़ा मुद्दा बनेगा, ये संकेत साफ तौर पर मिल रहा है। नए भवन का ये पहला विधेयक था जिसे 128वें संविधान संशोधन विधेयक के रूप में पारित किया गया। 18 सितंबर को अचानक कैबिनेट ने इसे मंजूरी दी और 19 सितंबर को लोकसभा में प्रस्तुत कर दिया गया। दोनों सदनों में इस विधेयक पर चली लंबी चर्चाओं में ओबीसी महिलाओं को शामिल करने के साथ राज्यसभा और परिषदों में भी महिलाओं को 33% आरक्षण देने की मांग मुखर हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि महिला आरक्षण विधेयक पारित होना भारत की संसदीय यात्रा में स्वर्णिम क्षण है।

बेशक, 27 सालों से ठंडे बस्ते में पड़ा रहा महिला आरक्षण विधेयक अंजाम तक पहुंचा है, लेकिन अभी भी इसे लंबी यात्रा करनी है। लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% सीटों के आरक्षण का प्रावधान पहले के विधेयकों में भी रहा है, लेकिन यह विधेयक पिछले विधेयकों से थोड़ा अलग है। महिला आरक्षण तभी लागू होगा जब परिसीमन प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। परिसीमन का काम जनगणना प्रक्रिया पूरी होने के बाद होगा।

ये दो अनिवार्य शर्तें पारित होने के बाद भी महिलाओं को आरक्षण मिलने में समय लगेगा क्योंकि आरक्षित सीटों को चिह्नित करने की प्रक्रिया लंबी चलेगी। जम्मू-कश्मीर विधानसभा का परिसीमन 2 साल में हुआ। देश भर में कितना समय लगेगा, अंदाजा लगाया जा सकता है। इसीलिए दोनों सदनों में यह बात उठी कि मौजूदा व्यवस्था में महिला आरक्षण सीटों के रोटेशन के आधार पर उसी तरह लागू किया जा सकता है जैसा पंचायतों और शहरी निकायों में किया जा चुका है।

ऐसा होने पर विधानसभा चुनावों में न सही पर 2024 के लोकसभा चुनावों में इसे साकार किया जा सकता है। 2010 में यूपीए-2 के दौरान राज्यसभा में जो विधेयक पास हुआ था, उसमें रोटेशन का फार्मूला दिया था। इसीलिए कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने रास्ते की रुकावटों को दूर करने के साथ इसे जल्दी से जल्दी लागू करने की मांग की है और कहा कि यह असंभव नहीं है। 75 साल के बाद भी लोकसभा में महिलाओं की स्थिति ठीक नहीं है।

17वीं लोकसभा में अब तक हुए उपचुनावों को शामिल कर लें तो 82 महिला सांसद हैं, जो 15.21% बनता है। 2019 के लोकसभा चुनावों में मतदान में महिलाएं वोट देने में पुरुषों से आगे थीं। अंतरराष्ट्रीय संसदीय संघ का आंकड़ा बताता है कि महिला प्रतिनिधित्व के मामले में भारत सबसे निचले पायदान 148 वें नंबर पर खड़ा है. आज रवांडा की संसद में 64% महिलाएं हैं।

Web Title: Women's Reservation Bill 2023 Long journey, still waiting for the destination

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