लाइव न्यूज़ :

ब्लॉग: नीतीश कुमार भाजपा से क्यों हुए इतने नाराज? 12 जुलाई को आ गया था टर्निंग प्वाइंट

By हरीश गुप्ता | Updated: August 18, 2022 09:36 IST

जदयू और भाजपा के बीच रिश्ते कब और कैसे खराब होते चले गए, इसे लेकर कई तरह के कयास जारी हैं। हालांकि, मोड़ 12 जुलाई को आया जब पीएम नरेंद्र मोदी बिहार विधानसभा के शताब्दी वर्ष समारोह में शामिल होने के लिए पटना पहुंचे।

Open in App

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और भाजपा के बीच गठबंधन सरकार के गिरने को लेकर अलग-अलग कारण बताए जा रहे हैं. ऐसे विश्लेषकों की कमी नहीं है जो कहते हैं कि जिस दिन चिराग पासवान ने मार्च 2020 में बिहार विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार उतारने का फैसला किया था और 243 के सदन में जद (यू) 43 सीटों पर सिमट गया था, उसी दिन गठबंधन का भाग्य तय हो गया था. 

यह जद(यू) का अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन था. आरसीपी सिंह प्रकरण इंतेहा थी. इस बीच भाजपा और जदयू नेताओं के बीच सार्वजनिक विवाद जारी रहा. यहां तक कि भाजपा के दूत और कैबिनेट मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को भी नीतीश कुमार की आहत भावनाओं को शांत करने के लिए उनके पास भेजा गया था. लेकिन मोड़ 12 जुलाई को आया जब पीएम नरेंद्र मोदी बिहार विधानसभा के शताब्दी वर्ष समारोह में शामिल होने के लिए पटना पहुंचे. 

बिहार विधानसभा अध्यक्ष कार्यालय द्वारा जारी आमंत्रण पत्र में राज्यपाल फागू चौहान, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के नाम नहीं थे. दो पन्नों के निमंत्रण पत्र (हिंदी में) में केवल एक ही नाम था; स्पीकर विजय कुमार सिन्हा. इसे सीएम का अपमान माना गया. हालांकि नीतीश कुमार ने समारोह में शिरकत की लेकिन अलगाव तय हो गया. 

नीतीश कुमार के करीबी सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री और राज्यपाल के नाम को हटाना प्रोटोकॉल और सभी मानदंडों के खिलाफ था. बताया जाता है कि प्रधानमंत्री जहां भी किसी समारोह में जाते हैं, निमंत्रण पत्र का मसौदा, मिनट-दर-मिनट कार्यक्रम, आमंत्रितों की सूची आदि पीएमओ द्वारा पूर्व-अनुमोदित होते हैं. 

जद (यू) ने  सोचा कि पीएमओ इस चूक को कैसे नजरअंदाज कर सकता है! स्पीकर भाजपा के थे. यदि भाजपा स्पीकर के माध्यम से शक्ति का आकलन कर रही थी, तो उसे शिकायत नहीं करनी चाहिए कि चार हफ्ते के भीतर अलगाव हो गया.

भाजपा का मिशन झारखंड स्थगित

बिहार के हाथ से जाने के साथ, झामुमो-कांग्रेस गठबंधन सरकार को गिराने की भाजपा की महत्वाकांक्षा कम से कम अस्थायी रूप से थम गई है. दरअसल, खनन सचिव पूजा सिंघल और अन्य पर छापेमारी में भारी मात्रा में नगदी बरामद होने के बाद भाजपा हेमंत सोरेन सरकार को गिराने पर विचार कर रही थी. सोरेन को आरोपियों से जोड़ने के सबूत भी सामने आए. शायद इसी मिशन के तहत तीन कांग्रेस विधायकों को पड़ोसी पश्चिम बंगाल में नगद राशि दी गई थी, जहां उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था और अब तक उन्हें अदालत से राहत नहीं मिली है. 

पूरे प्रकरण में भाजपा के एक मुख्यमंत्री की संलिप्तता भी मीडिया में सामने आई. इन विधायकों की गिरफ्तारी और उनके पास से नगदी की बरामदगी ने भाजपा को बैकफुट पर ला खड़ा किया है. यह भी खुलासा हुआ है कि कांग्रेस के कई अन्य विधायकों से भी समझौता किया गया था. लेकिन झारखंड में ‘ऑपरेशन लोटस’ को रोक दिया गया है क्योंकि देश में यह धारणा बन रही है कि भाजपा विपक्षी दलों के विधायकों को लुभाने के लिए नगदी का इस्तेमाल कर रही है. 

हालांकि इस तरह के दावे को पुष्ट करने के लिए कोई सबूत नहीं हैं. भाजपा झारखंड विधायक मामले में राहत के लिए ममता बनर्जी की ओर देख रही है क्योंकि इसकी जांच पश्चिम बंगाल पुलिस कर रही है. यहां तक कि ईडी ने भी नजरंदाज करने का फैसला किया है. हालांकि यह ऐसे प्रत्येक मामले में कदम उठाती है जहां नगदी की वसूली होती है. यह अलग बात है कि सोरेन सरकार शायद ज्यादा दिन नहीं टिक पाएगी.

फिटनेस फ्रीक नड्डा

भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा में इन दिनों स्वास्थ्य के प्रति एक नया जोश है. उन्होंने लगभग 8 किलो वजन कम किया है तथा आगे और भी कम करने का इरादा रखते हैं. वे लगभग एक घंटे के लिए अपने मोतीलाल नेहरू मार्ग स्थित आवास पर या अपने बेहद व्यस्त कार्यक्रम के बीच जहां भी मौका मिलता है, सुबह की कसरत करते हैं. 

यात्रा के दौरान भी, वे अपनी सुबह की ड्रिल करने के लिए जगह ढूंढ़ते हैं. उन्होंने अपने आवास पर एक जिम स्थापित किया है और सुबह योग करते हैं. यह सुनिश्चित करने के लिए एक कोच है कि हर मुद्रा सही हो. हालांकि वे 2020 में भाजपा अध्यक्ष बनने के बाद बेहद व्यस्त हैं लेकिन 61 साल की उम्र में वजन बढ़ाने का जोखिम नहीं उठा सकते. 

यहां तक कि प्रधानमंत्री भी अपने मंत्रियों, सहयोगियों और पार्टी नेताओं को अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देने और नियमित योगाभ्यास करने के लिए आगाह करते रहे हैं. कई कैबिनेट मंत्रियों ने अपने आवास पर छोटे-छोटे जिम बनाए हैं. उनमें से कई मॉर्निंग वॉक के लिए भी जाते हैं. दिल्ली के अधिकांश भाजपा सांसदों को सुबह-सुबह दिल्ली के बगीचों में दौड़ते हुए देखा जा सकता है जो स्वास्थ्य के प्रति सतर्कता को दर्शाता है. 

दरअसल, पीएम ने पटना में 12 जुलाई के समारोह में राजद नेता तेजस्वी यादव को सलाह भी दी थी, ‘थोड़ा वजन कम करो.’ मोदी खुद नियमित रूप से योग करने के लिए जाने जाते हैं. हालांकि तेजस्वी का पिछले साल शादी के बाद वजन बढ़ा है लेकिन उन्होंने इन दिनों पीएम की सलाह को काफी गंभीरता से लिया है. वे अब उपमुख्यमंत्री हैं, लेकिन दिन की जल्दी शुरुआत करते हैं और लगभग एक घंटा स्वास्थ्य के लिए देते हैं. तेजस्वी अपने आवास पर टेबल टेनिस भी खेलते हैं. वे क्रिकेटर भी रहे हैं.

टॅग्स :नीतीश कुमारबिहार समाचारभारतीय जनता पार्टीनरेंद्र मोदीझारखंडहेमंत सोरेनजेपी नड्डा
Open in App

संबंधित खबरें

भारतनीतीश सरकार के 125 यूनिट मुफ्त बिजली योजना के कारण केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी पीएम सूर्य घर योजना पर पड़ा बुरा असर

भारतबिहार हिजाब विवादः 20 दिसंबर को डॉ नुसरत प्रवीण ज्वाइन करेंगी सरकारी नौकरी, सीएम नीतीश कुमार के समर्थन में उतरे NDA नेता, देखिए किसने क्या कहा

कारोबारविधानसभा चुनाव में महिला को 10000 रुपये?,  मुफ़्त बिजली, महिलाओं को 2-2 लाख की मदद और लोकलुभावन वादों ने नीतीश सरकार की तोड़ी कमर?

भारतपीएम मोदी भारत में X की नई 'सबसे ज़्यादा पसंद की जाने वाली' रैंकिंग में सबसे आगे

भारतVIDEO: डिंपल यादव बोलीं, राम के नाम का राजनीतिक फायदा उठाना चाहती है भाजपा

भारत अधिक खबरें

भारतलोकसभा, विधानसभा के बाद स्थानीय निकाय चुनावों के बीच नेताओं की आवाजाही?, राजनीति की नई शक्ल बनता दलबदल

भारतअपनी गाड़ी के लिए PUC सर्टिफिकेट कैसे बनाएं? जानिए डाउनलोड करने का आसान तरीका

भारतकर्मचारियों के लिए खुशखबरी! EPFO ने किए 2 बड़े अपडेट, अब मिलेगा ये फायदा

भारतचुनाव वाले तमिलनाडु में SIR के बाद ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से 97 लाख नाम हटा गए

भारतGujarat: एसआईआर के बाद गुजरात की ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी, 73.7 लाख वोटर्स के नाम हटाए गए