जीवनदायी पेड़ भी अब क्यों बनते जा रहे हैं जानलेवा?, आखिर क्या है वजह
By पंकज चतुर्वेदी | Updated: August 25, 2025 05:30 IST2025-08-25T05:30:13+5:302025-08-25T05:30:13+5:30
स्थानीय लोग बताते हैं कि लगातार हो रही बारिश के कारण पेड़ के आसपास की मिट्टी बह गई थी, इस वजह से पेड़ गिर गया.

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जश्ने आजादी की पूर्व संध्या पर जब तगड़ी बरसात हो रही थी, दक्षिण दिल्ली के कालकाजी में 50 साल का एक व्यक्ति नीम के पेड़ के पास इस आस में आया कि भीगने से बच पाएगा, लेकिन 20 साल से अधिक पुराना पेड़ जड़ से उखड़ गया और उस व्यक्ति की मौत हो गई, जबकि उसकी बेटी गंभीर घायल हो गई. यह घटना सीसीटीवी में कैद हो गई, जिसमें फुटपाथ से कुछ इंच की दूरी पर स्थित विशाल पेड़ को सड़क से उखड़कर यात्रियों पर गिरते हुए देखा जा सकता है. पेड़ कुछ वाहनों पर गिर गया. स्थानीय लोग बताते हैं कि लगातार हो रही बारिश के कारण पेड़ के आसपास की मिट्टी बह गई थी, इस वजह से पेड़ गिर गया.
दिल्ली को हरियाली के मामले में बहुत भाग्यशाली माना जाता है. जब दिल्ली को राजधानी बनाया गया तो ब्रिटिश आर्किटेक्ट सर एडविन लुटियंस ने हर सड़क पर खास तरह से पेड़ लगाए जिनमें जामुन, इमली, नीम जैसे बड़े और लंबे समय तक जीवित रहने वाले पेड़ थे. अधिकांश पेड़ 1910-1930 के बीच लगाए गए थे, अर्थात उनकी उम्र 100 से 125 साल है.
हालांकि इन पेड़ों की इतनी उम्र कोई ज्यादा नहीं लेकिन उनकी जड़ों को फैलने के लिए माकूल विस्तार न मिलना और उसके आसपास सीमेंट पोतने से मिट्टी पर जड़ की पकड़ ढीली होना ऐसे सामान्य कारण हैं जो पेड़ों को हल्की बरसात या आंधी में हिला देते हैं. हर बड़े पेड़ को गहराई तक अविरल जड़ों का फैलाव और जड़ों तक पर्याप्त पानी व पौष्टिक तत्व जरूरी होते हैं,
जंगलों में तो पेड़ से गिरे पत्ते ही सड़ कर बेहतरीन कम्पोस्ट के रूप में बड़े पेड़ों को पुष्ट करते हैं लेकिन दिल्ली या दीगर बड़े शहरों में पेड़ों की जड़ें गहराई तक जाकर उन्हें मिट्टी में मजबूती से जकड़ने के बजाय, सतह के पास ही रहने को मजबूर हैं क्योंकि नीचे पानी उपलब्ध नहीं है. शहरी इलाकों में गिरने वाला ज्यादातर पानी जमीन में रिसता नहीं; बल्कि नालियों में बह जाता है.
शहरों में ज्यादातर सतहों पर सीमेंट, कांक्रीट, टाइलें, पत्थर, प्लास्टिक, कोलतार और धातु होने के कारण जड़ें पेड़ों को स्थिर रखने का अपना काम नहीं कर पातीं. यही नहीं, शहरों में बढ़ता वायु प्रदूषण भी पेड़ों के लिए बड़ा खतरा है. सन् 2018 में यूनाइटेड किंगडम के एयर क्वालिटी एक्सपर्ट ग्रुप की रिपोर्ट में बताया गया था कि घने यातायात के बीच उपजने वाले पेड़ों की वायु प्रदूषण के कारण वृद्धि धीमी हो सकती है,
पत्तियां खराब हो सकती हैं और वे बीमारियों और कीटों के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकते हैं. इसके अलावा, वायु प्रदूषण, विशेष रूप से ओजोन, प्रकाश संश्लेषण को बाधित कर सकता है और पौधों के स्वास्थ्य को कमजोर कर सकता है. दूषित वायु के रासायनिक कण जब पानी के साथ मिल कर धरती की गहराई में पेड़ों की जड़ों तक पहुंचते हैं तो उसे बीमार बना देते हैं.
ईंधन से उपजने वाली सल्फर डाय ऑक्साइड और नाइट्रोजन डाय ऑक्साइड गैसों के वायुमंडल में नमी के साथ अभिक्रिया करने से बनने वाली अम्लीय वर्षा मिट्टी के पीएच को कम कर देती है, जिससे कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे आवश्यक पोषक तत्वों की कमी हो जाती है. परिणामस्वरूप, पेड़ कमजोर हो जाते हैं और बीमारियों और कीटों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं.