भूकंप की सटीक चेतावनी पर क्यों बंधे हैं हाथ? 

By अभिषेक कुमार सिंह | Updated: February 22, 2025 06:37 IST2025-02-22T06:37:21+5:302025-02-22T06:37:36+5:30

इससे चक्रवाती तूफान की चाल, हवाओं के वेग और बारिश की मात्रा आदि का सही अनुमान पेश कर चिह्नित इलाकों से आबादी को हटाने का प्रबंध किया जा सकता है

Why are hands tied on accurate earthquake warning | भूकंप की सटीक चेतावनी पर क्यों बंधे हैं हाथ? 

भूकंप की सटीक चेतावनी पर क्यों बंधे हैं हाथ? 

देश में अब चक्रवाती तूफान वैसी आपदा नहीं लाते हैं, जैसी वे आज से डेढ़-दो दशक पहल लाते थे. इसकी वजह यह है कि हमारे मौसम विभाग ने उपग्रहों, रडारों और चेतावनी देने वाली सूचनाओं के संग्रहण तथा विश्लेषण का एक सटीक तंत्र इस संबंध में विकसित कर लिया है. इससे चक्रवाती तूफान की चाल, हवाओं के वेग और बारिश की मात्रा आदि का सही अनुमान पेश कर चिह्नित इलाकों से आबादी को हटाने का प्रबंध किया जा सकता है. लेकिन भूकंप के मामले में ऐसा नहीं है.

सोमवार 17 फरवरी को पहले तो देश की राजधानी दिल्ली-एनसीआर इलाके में और फिर बिहार के सिवान में भूकंप के झटके दर्ज किए गए. रिक्टर स्केल पर एक जैसी तीव्रता यानी चार की शक्ति वाले भूकंप से जानमाल का कोई नुकसान तो नहीं हुआ, लेकिन इसे एक चेतावनी की तरह लिया गया है.

वजह यह है कि एक महीने पहले ही तिब्बत में आए भूकंप से भारी विनाश हुआ था. साथ ही, भारत के पूरे हिमालयी क्षेत्र और उससे सटे इलाकों में भारी भूकंप की भविष्यवाणियां अतीत में की जा चुकी हैं. हालांकि बड़ा सवाल यह है कि जब भी कोई भूकंप आता है, न तो जनता और न ही इससे जुड़े तंत्र को इसका कोई पूर्वानुमान होता है.

अहम सवाल यह है कि जब धरती और उसके वातावरण से जुड़े हरेक परिवर्तन को हमारे उपग्रह और तमाम सिस्टम हर क्षण दर्ज कर रहे हैं, तो उससे भूकंप की पूर्व सूचना क्यों नहीं मिल पा रही है?

उल्लेखनीय है कि एक महीना पहले जनवरी, 2025 में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के डेढ़ सौ वर्ष पूरे होने के अवसर पर एक नई योजना- मिशन मौसम का आरंभ करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैज्ञानिकों से भूकंप का सटीक पूर्वानुमान लगाने और चेतावनी देने वाली प्रणाली विकसित करने का आह्वान किया था. आह्वान का उद्देश्य यह था कि यदि हमारा तंत्र चक्रवात आदि मौसमी गतिविधियों का सटीक पूर्वानुमान लगा सकता है तो भूकंप को पहले से भांपने में क्या अड़चन है.

वैसे तो इस सिलसिले में कुछ छिटपुट प्रयास सरकारी सिस्टम की ओर से किए जाते रहे हैं. जैसे, वर्ष 2023 में सरकार की ओर से आपदा प्रबंधन की तैयारियों के सिलसिले में दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने देश भर की जनता को मोबाइल फोन पर सचेतक संदेश (अलर्ट मैसेज) भेजने का देशव्यापी प्रयोग किया था.

बताया गया कि सरकार यह व्यवस्था राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के साथ मिलकर लोगों को भूकंप, सुनामी और बाढ़ आदि प्राकृतिक आपदाओं के बारे में समय रहते सचेत करने के लिए बना रही है. लेकिन यह एक विरोधाभास ही है कि एक तरफ इस तरह का सिस्टम बन रहा था, तो दूसरी तरफ उसी दौरान दिल्ली-एनसीआर समेत तकरीबन पूरे उत्तर भारत ने दो भूकंपों का सामना किया, पर इस सिस्टम से कोई चेतावनी नहीं मिली.  

Web Title: Why are hands tied on accurate earthquake warning

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