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विजय दर्डा का ब्लॉग: भारत के लिए चिंताजनक है श्रीलंका विस्फोट

By विजय दर्डा | Updated: April 29, 2019 07:25 IST

जुलाई 2014 से जुलाई 2016 के बीच इस्लामिक स्टेट ने रक्का से एक मैग्जीन निकाली थी, जिसका नाम था ‘दबिक’। इसके शुरुआती अंक में ही इस्लामिक स्टेट ने बंगाल प्रांत की घोषणा की थी और एक खलीफा भी नियुक्ति किया था।

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श्रीलंका में सीरियल ब्लास्ट को महज आतंकी घटना के रूप में नहीं बल्कि इस इलाके में आतंकी विस्तार के रूप में देखने की जरूरत है। खास तौर पर तब, जब इसकी जिम्मेदारी खूंखार आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट ने ली है। शुरुआती दौर में लगा था कि श्रीलंका में आईएस मौजूद नहीं है तो उसने विस्फोट कैसे कराया? मगर अब सच्चाई सामने आ गई है। शनिवार को उसके 15 आतंकी मारे गए और दर्जनों गिरफ्तार हुए हैं। अधिकारियों को संदेह है कि आईएस के 140 से ज्यादा आतंकी श्रीलंका में छुपे हुए हैं। यह गहरी चिंता का विषय है।

इसमें किसी को कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि इस्लामिक स्टेट के निशाने पर भारत है। जुलाई 2014 से जुलाई 2016 के बीच इस्लामिक स्टेट ने रक्का से एक मैग्जीन निकाली थी, जिसका नाम था ‘दबिक’। इसके शुरुआती अंक में ही इस्लामिक स्टेट ने बंगाल प्रांत की घोषणा की थी और एक खलीफा भी नियुक्ति किया था। उस बंगाल प्रांत में भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, भूटान, नेपाल, म्यांमार, थाईलैंड सहित कई देशों को शामिल किया गया था। उसके बाद इस संगठन ने अपना घोषणापत्र जारी किया था, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा था कि वह भारत में जेहाद करेगा। उस घोषणा पत्र को ‘ब्लैक फ्लैग ऑफ आईएस’ कहा गया था। जाहिर है कि इस संगठन की खूंखार नजर भारत पर है। 

कश्मीर के कुछ हिस्सों में उसके झंडे दिखाई देते रहे हैं और यह सोशल मीडिया के माध्यम से युवाओं को आकर्षित करने की कोशिश करता रहा है। खुफिया एजेंसियों की इस बात पर नजर भी रही है। हालांकि इस मामले में इस्लामिक स्टेट को बहुत ज्यादा सफलता नहीं मिली। यूरोप से जहां उसे हजारों की संख्या में आतंकी मिले, वहीं भारत से  केवल दो दर्जन युवाओं को ही वह अपने जाल में फंसा पाया। दरअसल भारत का मुस्लिम समाज इस मामले में काफी सतर्क है और उसे पता है कि इस्लामिक स्टेट का इस्लाम से कोई लेना देना नहीं है। दुनिया में सबसे ज्यादा मुसलमानों को इसी संगठन ने मारा है। भारत के एक हजार से ज्यादा इमाम और मौलवी इस्लामिक स्टेट के खिलाफ फतवा जारी कर चुके हैं। इसके बावजूद सतर्क रहने की जरूरत से इनकार नहीं किया जा सकता। यह संगठन भारत के लिए खतरा बना हुआ है। 

इस्लामिक स्टेट को ध्यान में रखते हुए ही राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने पाक अधिकृत कश्मीर के संदर्भ में रणनीति बदलने की जरूरत बताई थी। यही वो रूट है जहां से आईएस के आतंकी भारत में घुस सकते हैं। बहरहाल अभी पाकिस्तान आईएस का साथ नहीं दे रहा है लेकिन वह पाकिस्तान में मौजूद है और अफगानिस्तान में तो गहरी जड़ें भी जमा रहा है। श्रीलंका में यदि वह अपनी पहुंच बना लेता है तो समुद्र के रास्ते वह दक्षिण भारत में घुसपैठ कर सकता है। 

2016 में आईएस से संबंधों के शक में एनआईए ने केरल से 6 लोगों को गिरफ्तार किया था। दरअसल केरल से 21 युवा गायब हुए थे और एनआईए उसी मामले की जांच कर रही थी। जांच में यह तथ्य सामने आया कि साजीर मंगलाचारी अब्दुल्ला नामक व्यक्ति युवाओं का ब्रेन वॉश करके उन्हें आईएस के लिए काम करने को उकसा रहा था। अब्दुल्ला केरल का रहने वाला है लेकिन अब अफगानिस्तान के नंगरहार प्रांत में रहता है, जो इस वक्त इस्लामिक स्टेट के प्रभाव में है। केरल के 21 युवाओं को वहां बुलाकर ट्रेनिंग दी गई। उसके बाद वे कहां गए, यह स्पष्ट नहीं है। खुफिया एजेंसियों की नजर केरल के अलावा तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, बिहार, यूपी और खासतौर पर कश्मीर पर भी है ताकि इस्लामिक स्टेट मुस्लिम युवाओं को बरगला न सके। दिक्कत यह है कि शिक्षित युवा भी ब्रेन वॉश के शिकार हो जाते हैं। केरल के जो युवा उसके जाल में फंसे उनमें कोई रिसर्चर था, कोई ग्राफिक डिजाइनर था, तो कोई चार्टर्ड एकाउंटेंट! ऐसी जानकारी सामने आई है कि इस्लामिक स्टेट की वेबसाइट देखने वालों में कश्मीर नंबर वन है तो यूपी दूसरे और महाराष्ट्र तीसरे नंबर पर है।

तो एक बड़ा सवाल यह है कि इस हालात से कैसे निपटें और इस्लामिक स्टेट के खतरों को कैसे दूर करें। इसका एक ही तरीका है कि मुस्लिम युवाओं के बीच विश्वास का वातावरण तैयार किया जाए और उन्हें समझाया जाए कि आईएस जैसे संगठन मुसलमानों के हमदर्द नहीं बल्कि मुसलमानों के कातिल हैं। उसने इराक को तबाह कर दिया, सीरिया को तबाह किया। वह जहां भी गया, लोगों की जिंदगी नरक बन कर रह गई। इस्लामिक स्टेट से सबको सतर्क रहने की जरूरत है। हमारी खुफिया एजेंसियों को खास तौर पर आक्रामक रुख रखना होगा।

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