वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: कोरोना से जंग में भारत आखिर क्यों चूक गया?

By वेद प्रताप वैदिक | Updated: April 29, 2021 13:01 IST2021-04-29T13:01:35+5:302021-04-29T13:01:35+5:30

भारत कोरोना की पहली लहर से बहुत हद तक सुरक्षित बच निकला था लेकिन दूसरी लहर में सबकुछ बिखर गया है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इस महामारी से जंग में कहां गलती हो गई।

Vedpratap Vedic blog: Why India miss out on war against Coronavius | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: कोरोना से जंग में भारत आखिर क्यों चूक गया?

कोरोना से जंग में भारत से हुई बड़ी गलती! (फाइल फोटो)

यह संतोष का विषय है कि भारत में कोरोना मरीजों के लिए नए-नए तात्कालिक अस्पताल दनादन खुल रहे हैं, ऑक्सीजन एक्सप्रेस रेलें चल पड़ी हैं, कई राज्यों ने मुफ्त टीके की घोषणा कर दी है. कुछ राज्यों में कोरोना का प्रकोप घटा भी है. 

ज्यादातर शहरों और गांवों में कुछ उदार सज्जनों ने जन-सेवा के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया है. कोरोना का डर इतना फैल गया है कि लोगों ने अपने घरों से निकलना बंद कर दिया है. जहां-जहां तालाबंदी और कर्फ्यू नहीं लगा हुआ है, वहां भी बाजार और सड़कें सुनसान दिखाई दे रही हैं. 

लोगों के दिल में डर बैठ गया है. कुछ लोगों का कहना है कि मरनेवालों की संख्या जितनी है, उसे घटाकर लगभग एक-चौथाई ही बताया जा रहा है ताकि लोगों में हड़कंप न मच जाए. यह आशंका कितनी सच है, पता नहीं लेकिन श्मशान घाटों और कब्रिस्तानों के दृश्य देख-देखकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं.

असलियत तो यह है कि देश के कोने-कोने में इतने लोग संक्रमित हो रहे हैं और मर रहे हैं कि बहुत कम ऐसे लोग बचे होंगे जिनके मित्र और रिश्तेदार इस विभीषिका का शिकार नहीं हुए होंगे. मौत का डर लगभग हर इंसान को सता रहा है. 

नेताओं की भी सिट्टी-पिट्टी गुम है, क्योंकि वे अपने चहेतों के लिए चिकित्सा और पलंगों का इंतजाम नहीं कर पा रहे हैं और डर के मारे घर से बाहर नहीं निकल रहे हैं. जो विपक्ष में हैं, वे सत्तारूढ़ नेताओं की टांग-खिंचाई से बिल्कुल नहीं चूक रहे. 

उनसे आप पूछें कि इस संकट के दौर में आपने जनता के भले के लिए क्या किया तो वे बगलें झांकने लगते हैं. देश के बड़े-बड़े सेठ लोग अपने खजानों पर अब भी कुंडली मारे बैठे हुए हैं. वे देख रहे हैं कि मरनेवालों को चिता या कब्र में खाली हाथ लिटा दिया जाता है लेकिन अभी भी सांसारिकता से उनका मोह-भंग नहीं हुआ है. 

कई घरों के बुजुर्ग कोरोना-पीड़ित हैं, लेकिन उनके जवान बेटे, बेटियां और बहू भी उनके नजदीक तक जाने में डर रहे हैं. कई अस्पताल मरीजों को चूसने से बाज नहीं आ रहे हैं. नकली इंजेक्शन और नुस्खे पकड़े जा रहे हैं. कई नेताओं ने अपने मोबाइल फोन बंद कर दिए हैं या बदल लिए हैं ताकि लोग उन्हें मदद के लिए मजबूर न करें. 

अभी तक ऐसे किसी आदमी को दंडित नहीं किया गया है, जो कोरोना की दवाइयों, इंजेक्शनों और ऑक्सीजन यंत्रों की कालाबाजारी कर रहा हो. इस महामारी ने सिद्ध किया है कि भारत के नेता और जनता, दोनों ही जरूरत से ज्यादा भोले हैं. 

दोनों अपनी लापरवाही की सजा भुगत रहे हैं. दुनिया के हर प्रमुख राष्ट्र ने महामारी के दूसरे दौर से मुकाबले की तैयारी की है लेकिन भारत पता नहीं क्यों चूक गया?

Web Title: Vedpratap Vedic blog: Why India miss out on war against Coronavius

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