वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः आंतरिक बहस से मजबूत होंगे राजनीतिक दल
By वेद प्रताप वैदिक | Published: November 10, 2021 12:27 PM2021-11-10T12:27:31+5:302021-11-10T12:29:00+5:30
कार्यकारिणी की बैठक का सीधा संबंध पांच राज्यों के आगामी चुनावों से है। उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर के चुनाव अगले कुछ माह में ही होने वाले हैं।
भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति की बैठक लगभग दो साल बाद हुई, जबकि वह हर तीसरे महीने होनी चाहिए थी। उसे नहीं करने का बहाना यह बनाया गया कि कोरोना महामारी के दौरान उसके सैकड़ों सदस्य एक जगह कैसे इकट्ठे होते? एक जगह इकट्ठे होने के इस तर्क में कुछ दम नहीं है, क्योंकि जैसे अभी आडवाणीजी, जोशीजी और कई मुख्यमंत्रियों ने घर बैठे उस बैठक में भाग ले लिया, वैसे ही सारे सदस्य ले सकते थे। लेकिन अब आनन-फानन यह बैठक कुछ घंटों के लिए बुलाई गई, यह बताता है कि हाल ही में हुए उपचुनावों ने भाजपा में चिंता पैदा कर दी है।
कार्यकारिणी की बैठक का सीधा संबंध पांच राज्यों के आगामी चुनावों से है। उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर के चुनाव अगले कुछ माह में ही होने वाले हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्नी योगी आदित्यनाथ को खासतौर से दिल्ली बुलाकर असाधारण महत्व इसीलिए दिया गया है कि यदि उत्तर प्रदेश हाथ से खिसक गया तो दिल्ली की कुर्सी भी हिलने लगेगी। खुद गृह मंत्नी अमित शाह ने कहा है कि यदि आप 2024 में मोदी को दिल्ली में तिबारा लाना चाहते हैं तो पहले योगी को लखनऊ में दुबारा लाकर दिखाइए।
कार्यसमिति की इस बैठक में सभी वक्ताओं ने पिछले दो साल की सरकार की उपलब्धियों पर अपने-अपने ढंग से प्रकाश डाला। लेकिन किसी भी वक्ता ने यह नहीं बताया कि सरकार कहां-कहां चूक गई। सभी मुद्दों पर खुली बहस का सवाल तो उठता ही नहीं है। कांग्रेस हो या भाजपा, इन दोनों महत्वपूर्ण राष्ट्रीय पार्टियों में आंतरिक बहस खुलकर होती रहे तो भारतीय लोकतंत्न को मजबूती मिलेगी।
भाजपा सरकार के मंत्रियों और कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों ने भी कोरोना महामारी के दौरान काफी लगन से काम किया, केंद्र सरकार ने कमजोरों की मदद के भी कई उपाय किए लेकिन विदेश नीति और अर्थ नीति के मामलों में कई गच्चे भी खाए। इन सभी मुद्दों पर दोटूक बहस के बजाय भाजपा कार्यकारिणी ने अपना सारा जोर पांच राज्यों के आसन्न चुनावों पर लगा दिया। यह जरूरी है लेकिन इससे भी ज्यादा जरूरी यह है कि देश भर से आए प्रतिनिधि सरकार के कार्यो की स्पष्ट समीक्षा करें और भविष्य के लिए रचनात्मक सुझाव दें।