वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः योग का आयोग पूरे भारत में बने

By वेद प्रताप वैदिक | Published: December 6, 2021 11:36 AM2021-12-06T11:36:59+5:302021-12-06T11:37:45+5:30

भारत में तन और मन, दोनों की साधना की प्राचीन परंपरा रही है, इसी कारण भारत विश्व गुरु कहलाता था और विश्व का सबसे धनी देश बना हुआ था।

vedpratap vaidik blog commission of yoga formed all over india | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः योग का आयोग पूरे भारत में बने

वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः योग का आयोग पूरे भारत में बने

यदि भारत को महासंपन्न और महाशक्तिशाली बनाना है तो हमारा सबसे ज्यादा जोर शिक्षा और चिकित्सा पर होना चाहिए, यह निवेदन मैंने पहले भी अपने कई प्रधानमंत्रियों और मुख्यमंत्रियों से किया है। इन क्षेत्रों में थोड़ी प्रगति तो हुई है लेकिन अभी बहुत काम होना बाकी है। मुझे यह जानकर बड़ी खुशी हुई कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने प्रदेश में एक ‘योगयोग’ स्थापित करने की घोषणा की है। योगगुरु  बाबा रामदेव को इस बात का श्रेय है कि उन्होंने सारे भारत में योग का डंका बजा दिया है। उन्हीं के कार्यक्रम में इस योग आयोग की घोषणा हुई है।

क्या संयोग है कि यह योग का आयोग है। लेकिन एक बात देश के सभी लोगों को अच्छी तरह से समझ लेनी चाहिए कि योग का अर्थ सिर्फ शारीरिक व्यायाम नहीं है। सिर्फ आसन और प्राणायाम ही नहीं है, यह तो एकदम शुरुआती चीज है। वास्तव में अष्टांग योग ही योग है। योग दर्शन में योग की परिभाषा करते हुए मंत्र कहता है- ‘योगश्चित्त वृत्ति निरोध:’। यानी योग मूलत: चित्त वृत्ति का नियंत्रण है। यदि आपका काम, क्रोध, मद, लोभ और मोह पर नियंत्रण है तो आप सच्चे योगी हैं। भारत और विदेशों में ऐसे कई योगियों को जानता रहा हूं, जो योगासन तो बहुत बढ़िया सिखाते हैं लेकिन उनकी चित्त वृत्ति पर उनका कोई नियंत्रण नहीं है। वे जीवेत शरद: शतम् का पाठ रोज करते हैं लेकिन सौ वसंत देखने के बहुत पहले ही परलोकगमन कर जाते हैं। 

कहा गया है कि अपने बंधन और मोक्ष का असली कारण मन ही है। मन पर नियंत्रण हो तो खान-पान और व्यायाम भी सदा सधा हुआ रहेगा। आप बीमार ही क्यों पड़ेंगे। मैं 90-95 वर्ष के ऐसे लोगों से भी परिचित हूं, जिन्हें मैंने कभी किसी बीमारी से ग्रस्त नहीं पाया। वे कहते हैं कि मन स्वस्थ रहे तो शरीर भी स्वस्थ रहता है और शरीर स्वस्थ रहे तो मन भी बुलंद रहता है। शास्त्रों में कहा भी गया है कि ‘शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्’। यानी धर्म का पहला साधन शरीर है। शरीर गया तो सब कुछ गया। शरीर बचा रहे तो खोया हुआ आनंद भी लौटाया जा सकता है। 

भारत में तन और मन, दोनों की साधना की प्राचीन परंपरा रही है, इसी कारण भारत विश्व गुरु कहलाता था और विश्व का सबसे धनी देश बना हुआ था। जो काम मध्य प्रदेश की सरकार शुरू कर रही है, यदि उसे देश के सभी स्कूलों और सरकारी दफ्तरों में अनिवार्य कर दिया जाए तो भारत को एक ही दशक में विश्व-शक्ति बनने से कोई रोक नहीं सकता। भारत की शिक्षा-प्रणाली सारे विश्व के लिए अनुकरणीय बन जाएगी और चिकित्सा पर खर्च भी काफी घट जाएगा। योग का आयोग सिर्फ मध्य प्रदेश में ही क्यों, सारे देश में क्यों न बने?

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