वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: कर्नाटक में येदियुरप्पा सरकार के भी टिकने की गारंटी नहीं

By वेद प्रताप वैदिक | Updated: July 28, 2019 07:57 IST2019-07-28T07:57:48+5:302019-07-28T07:57:48+5:30

इस समय कर्नाटक विधानसभा में 221 सदस्य हैं, एक अध्यक्ष और तीन निष्कासितों के अलावा. यानी येदियुरप्पा को अपना बहुमत सिद्ध करने के लिए कम से कम 111 विधायक चाहिए, लेकिन उनके पास सिर्फ 106 हैं. 14 विधायक अभी अधर में लटके हुए हैं.

Ved Pratap Vaidik's blog: Yeddyurappa government in Karnataka is not guaranteed to sustain | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: कर्नाटक में येदियुरप्पा सरकार के भी टिकने की गारंटी नहीं

वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: कर्नाटक में येदियुरप्पा सरकार के भी टिकने की गारंटी नहीं

कर्नाटक के भाजपा नेता बी.एस. येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्नी पद की शपथ तो ले ली लेकिन वे अपनी कुर्सी पर कितने दिन टिके रहेंगे? पहले भी वे तीन बार मुख्यमंत्नी पद की शपथ ले चुके हैं लेकिन वे एक बार भी अपनी अवधि पूरी नहीं कर सके हैं. 2007 में वे सिर्फ 7 दिन, 2008 में सवा तीन साल और 2018 में सिर्फ 3 दिन मुख्यमंत्नी रहे. वे भाजपा की मजबूरी हैं. वे 76 साल के हैं लेकिन भाजपा में किसी की हिम्मत नहीं है कि उन्हें मुख्यमंत्नी पद लेने से मना कर सके. 

येदियुरप्पा कोई सुमित्ना महाजन नहीं हैं. उनके दम-खम और जोड़-तोड़ के आगे कांग्रेस और देवगौड़ा परिवार तो पस्त है ही, भाजपा नेतृत्व भी मौन है. यों तो येदियुरप्पा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के काफी पुराने स्वयंसेवक हैं लेकिन जोड़-तोड़ में वे सभी को मात कर देते हैं.

इस समय कर्नाटक विधानसभा में 221 सदस्य हैं, एक अध्यक्ष और तीन निष्कासितों के अलावा. यानी येदियुरप्पा को अपना बहुमत सिद्ध करने के लिए कम से कम 111 विधायक चाहिए, लेकिन उनके पास सिर्फ 106 हैं. 14 विधायक अभी अधर में लटके हुए हैं. अध्यक्ष उनका इस्तीफा स्वीकार करेंगे या नहीं, कुछ पता नहीं. हो सकता है कि शक्ति-परीक्षण के पहले वे विधानसभा अध्यक्ष को बदलवाने की पेशकश करें. मान लिया कि वे किसी तरह विश्वास मत प्राप्त कर लेते हैं तो भी दो बड़े सवाल खड़े होते हैं. 

पहला यह कि उनकी सरकार कितने दिन चलेगी? जाहिर है कि केंद्र में भाजपा की सरकार है तो कर्नाटक की भाजपा सरकार यों ही आश्वस्त रहेगी. वह राजस्थान और मध्य प्रदेश की कांग्रेसी सरकारों की तरह घबराती नहीं रहेगी. लेकिन जो 14 विधायक इस्तीफा दे रहे हैं, यदि उनमें से आधे भी उप-चुनावों में जीत गए तो वे मंत्नी पद मांगे बिना नहीं रहेंगे. इसके अलावा उनमें से ज्यादातर उद्योगपति, ठेकेदार और गैर-राजनीतिक किस्म के लोग हैं. क्या वे फिर पाला बदलने की कोशिश नहीं करेंगे? भाजपा के कुछ असंतुष्ट विधायक उनके साथ हो जाएंगे, यह आशंका भी बनी रहेगी. 

दूसरा बड़ा सवाल यह है कि क्या अगला विधानसभा चुनाव भाजपा कर्नाटक में जीत पाएगी? मुङो मुश्किल लगता है. 2006 में मुख्यमंत्नी कुमारस्वामी ने 20 माह बाद अपनी गठबंधन-पार्टी भाजपा को सत्ता देने का जो वायदा किया था, उससे मुकरने पर उनका फल उन्हें भुगतना पड़ा या नहीं?

कर्नाटक की जनता शायद येदियुरप्पा को भी सबक सिखाएगी. भाजपा ने कांग्रेस के विधायकों को तोड़ने के लिए करोड़ों रु . खिलाए हों या नहीं, उसकी अखिल भारतीय छवि धूमिल तो हो ही रही है. भाजपा के केंद्रीय नेता भी हतप्रभ हैं लेकिन वे क्या करें? सत्ता का खेल ही ऐसा है.

Web Title: Ved Pratap Vaidik's blog: Yeddyurappa government in Karnataka is not guaranteed to sustain

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