वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: राम मंदिर अध्यादेश कैसा हो? 

By वेद प्रताप वैदिक | Updated: October 31, 2018 15:30 IST2018-10-31T15:30:37+5:302018-10-31T15:30:37+5:30

2010 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए उस फैसले पर सिर्फ अपील सुनेगी, जिसके तहत उस पौने तीन एकड़ जमीन को तीन हिस्सों में बांट  उसने तीन दावेदारों को दे दी थी। ये तीन दावेदार हैं- रामलला, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड। 

Ved Pratap Vaidik blog: how Ram Mandir Ordinance | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: राम मंदिर अध्यादेश कैसा हो? 

वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: राम मंदिर अध्यादेश कैसा हो? 

सर्वोच्च न्यायालय ने राम मंदिर के मामले को जनवरी 2019 तक के लिए टाल दिया है। जनवरी 2019 में वह फैसला दे देगा, ऐसा उसने नहीं कहा है। तीन महीने बाद वह उस बेंच का निर्माण करेगा, जो मंदिर-मस्जिद के मामले पर विचार करेगी। वह कौन से मामले पर विचार करेगी? इस पर नहीं कि जिसे राम जन्मभूमि कहा जाता है, उस 2.77 एकड़ जमीन पर मंदिर बनेगा या मस्जिद बनेगी या दोनों बनेंगे?

वह तो 2010 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए उस फैसले पर सिर्फ अपील सुनेगी, जिसके तहत उस पौने तीन एकड़ जमीन को तीन हिस्सों में बांट  उसने तीन दावेदारों को दे दी थी। ये तीन दावेदार हैं- रामलला, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड। 

इस फैसले का भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी तत्कालीन अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी और संघ-प्रमुख मोहन भागवत ने स्वागत किया था लेकिन सवाल यह है कि उस पौने तीन एकड़ में मंदिर-मस्जिद साथ-साथ बनने दिए जाएंगे क्या? और क्या वे साथ-साथ रह पाएंगे? इस समस्या को हल करने के लिए मेरा सुझाव यह था कि पौने तीन एकड़ नहीं, बल्किलगभग 100 एकड़ जमीन में सरकार सर्वधर्म पूजा-स्थल बनाएं और राम की अयोध्या को विश्व की अयोध्या बना दें। उसे विश्व-तीर्थ बना दें।

जनवरी 1993 में तत्कालीन प्रधानमंत्नी नरसिंहराव एक अध्यादेश लाए और सरकार ने 70 एकड़ जमीन ले ली। बाद में संसद ने उसे कानून का रूप दे दिया। अक्तूबर 1994 में पांच जजों की संविधान पीठ ने जो फैसला दिया, उसमें इस 70 एकड़ में मंदिर, मस्जिद, पुस्तकालय, संग्रहालय, धर्मशाला आदि बनाने का निर्देश दिया। मैं कहता हूं कि वहां दुनिया के लगभग सभी प्रमुख धर्मो के तीर्थ क्यों न बनें? यह विश्व-सभ्यता को भारत की अभूतपूर्व देन होगी। अयोध्या विश्व पर्यटन का आध्यात्मिक केंद्र बन जाएगी। यदि इसी पद्धति का अध्यादेश भाजपा सरकार लाएगी तो वह सबको पसंद आ जाएगा और सर्वोच्च न्यायालय की दुविधा समाप्त हो जाएगी। 

Web Title: Ved Pratap Vaidik blog: how Ram Mandir Ordinance

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