वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: सीडीएस से देश को उम्मीदें
By वेद प्रताप वैदिक | Published: January 1, 2020 09:19 AM2020-01-01T09:19:32+5:302020-01-01T09:19:32+5:30
इस प्रधान की घोषणा तो हो गई. अब उनके भावी कदमों पर नजर रहेगी. यह ठीक है कि अब जनरल बिपिन रावत परमाणु कमान के सदस्य भी बन जाएंगे लेकिन उनकी हैसियत क्या होगी? यहां सवाल यह भी है कि इन नए फौजी-प्रमुख की हैसियत क्या रक्षा मंत्नी के सिर्फ प्रमुख सलाहकार की ही होगी?
भारत को आजाद हुए 72 साल हो गए लेकिन देश के प्रधान सेनापति (सीडीएस) की नियुक्ति अब हो रही है. इस महत्वपूर्ण पहल के लिए नरेंद्र मोदी सरकार को बधाई! यहां पहला सवाल है कि यह नियुक्ति सभी सरकारों के द्वारा टाली क्यों जाती रही? कुछ निहित स्वार्थी तत्व यह अफवाह फैलाते थे कि सेना के तीनों अंगों का यदि एक प्रधान हुआ तो इस बात की पूरी संभावना है कि वह आसानी से तख्ता-पलट कर दे.
इस बात की पुष्टि आज से पूरे 50 साल पहले कनाडा की मेकगिल यूनिवर्सिटी में मेरे भाषण के दौरान एक भारतीय जनरल ने कही थी, जो नेहरू-काल में उच्चपदस्थ थे. कारगिल-युद्ध के बाद जो के. सुब्रह्मण्यम कमेटी बनी थी उसने भी साफ-साफ कहा था कि हमारी सेना के तीनों अंगों का एक प्रधान होना चाहिए.
इस प्रधान की घोषणा तो हो गई. अब उनके भावी कदमों पर नजर रहेगी. यह ठीक है कि अब जनरल बिपिन रावत परमाणु कमान के सदस्य भी बन जाएंगे लेकिन उनकी हैसियत क्या होगी? यहां सवाल यह भी है कि इन नए फौजी-प्रमुख की हैसियत क्या रक्षा मंत्नी के सिर्फ प्रमुख सलाहकार की ही होगी?
यह अच्छा है कि वह सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों के बीच समन्वय करेंगे और रक्षा-मंत्नी को पूरी फौज की जरूरतों के बारे में एकरूप जानकारी और सलाह देंगे.
जब कोई नया पद कायम होता है तो कुछ मुश्किलें तो सामने आती ही हैं. मुझे विश्वास है कि जनरल रावत इस ऐतिहासिक अवसर पर ऐसी स्वस्थ परंपराएं कायम कर देंगे कि फौज अपनी मर्यादाओं का दृढ़तापूर्वक पालन करेगी और उसकी कार्यक्षमता भी पहले से काफी अधिक बढ़ जाएगी. मोदी सरकार ने यह साहसिक पहल की है, यह उसके आत्मविश्वास का परिचायक है.