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वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: मतदाताओं को रिश्वत देने की कोशिश

By वेद प्रताप वैदिक | Updated: January 28, 2022 13:45 IST

पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सभी पार्टियां कई तरह लुभावने वादे लेकर आ रही हैं. पार्टियां पैसे, स्मार्टफोन, स्कूटी आदी मुफ्त में देने के वादे कर रही हैं. क्या ये आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है?

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भारत के लोगों को गर्व होना चाहिए, क्योंकि यहां की सरकारें तख्ता-पलट से नहीं, चुनावों से उलटती और पलटती रहती हैं. इसीलिए भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहलाता है. यह बात अलग है कि चुनाव उम्मीदवारों के गुण-दोष पर नहीं होते बल्कि जाति, मजहब और भाषा के आधार पर होते हैं. 

बहुत कम चुनाव राष्ट्रीय मुद्दों को लेकर हुए हैं. लेकिन अब हमारे लोकतंत्र को अपंग बनानेवाला एक नया प्रपंच भी शुरू हो गया है. वह है- मतदाताओं को बाकायदा रिश्वतें देने का प्रपंच. कोई पार्टी ऐसी नहीं है, जो मतदाताओं को तरह-तरह के प्रलोभन न दे. एक पार्टी यदि डाल-डाल चलती है तो उसकी प्रतिद्वंद्वी पार्टी पात-पात चलने लगती है.

ये पार्टियां जन-सामान्य के लिए लाभकारी कानून बनाने का वादा करने के बजाय जनता के कुछ वर्गो, जातियों, समूहों आदि को लालच में फंसाने के लिए ऐसे वादों की घोषणा कर देती हैं, जो कभी पूरे हो ही नहीं सकते. यदि वे उन्हें पूरा करने चलें तो उन्हें पूरा करने में पूरा बजट ही लग जाए.

पार्टियों की यह प्रवृत्ति पिछले कुछ चुनावों में बहुत ज्यादा बढ़ती गई है. इस वक्त पांच राज्यों में चुनाव हो रहे हैं, उनमें तो ऐसे वादों का अंबार लगा हुआ है. यदि आम आदमी पार्टी कहती है कि 18 वर्ष से अधिक आयु की हर महिला को वह एक हजार रुपया महीना दिया करेगी तो अकालियों ने नहले पर दहला मार दिया, उन्होंने हर महिला को दो हजार रुपये देने की घोषणा कर दी. 

कांग्रेस तो और भी आगे निकल गई. उसने महिला मतदाताओं को लुभाने के लिए 2 हजार रुपये में साल के आठ गैस सिलेंडर भी जोड़ दिए. इसी तरह पंजाब की छात्राओं को अपनी परीक्षाएं पास करने पर पांच, दस, पंद्रह और 20 हजार रुपये के तोहफे उसने घोषित कर दिए. 

उत्तरप्रदेश में भी रिश्वतों की बयार बहने लगी है. 12 वीं कक्षा की हर छात्रा को स्मार्टफोन और हर स्नातक छात्र को एक स्कूटी देने की घोषणा कर दी गई है. कांग्रेस ने इनके अलावा हर परिवार को दस लाख रु. तक के मुफ्त इलाज और मुफ्त बस-यात्रा का भी वादा कर दिया है. 

समाजवादी पार्टी उससे भी आगे निकल गई है. उसने अपने मतदाताओं को पटाने के लिए इतनी चूसनियां लटका दी हैं कि उनका वर्णन करना कठिन है. सभी दलों की इसी पैंतरेबाजी का मुकाबले करने के लिए भाजपा भी कोई न कोई दांव जरूर चलेगी. यह भ्रष्टाचार का छद्म तरीका है लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने एक याचिका के तहत इस मुद्दे को जमकर उठाया है. उन्होंने चुनाव आयोग को सफाई देने के लिए कहा है और उससे पूछा है कि आदर्श आचार संहिता का क्या वह उल्लंघन नहीं है?

टॅग्स :विधानसभा चुनाव 2022कांग्रेसभारतीय जनता पार्टीसमाजवादी पार्टी
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