इंदिरा गांधी को अयोध्या से बहुत गहरा लगाव था? 

By कृष्ण प्रताप सिंह | Updated: November 19, 2024 05:46 IST2024-11-19T05:45:46+5:302024-11-19T05:46:29+5:30

UP Ayodhya: 1984-85 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्रीपति मिश्र और सिंचाई मंत्री वीरबहादुर सिंह की देखरेख में अयोध्या में जो ऐतिहासिक राम की पैड़ी निर्मित हुई.

UP Ayodhya Indira Gandhi deep love Ayodhya BLOG Krishna Pratap Singh Dr Ram Manohar Lohia Avadh University or Ram Ki Paadi all contribution her time | इंदिरा गांधी को अयोध्या से बहुत गहरा लगाव था? 

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Highlightsइंदिरा गांधी ने ही सबसे पहले हरिद्वार स्थित हर की पैड़ी से प्रेरित होकर उसकी परिकल्पना की थी. विचार-विमर्श के बाद मुख्यमंत्री श्रीपति मिश्र को उस दिशा में तेजी से कदम बढ़ाने के निर्देश दिए थे.अयोध्या के उन्नयन की और योजनाएं बनवाकर उन पर तेजी से अमल की ताकीद भी की थी.

UP Ayodhya: हमारी आज की युवा पीढ़ी के ज्यादातर हिस्से को नहीं मालूम कि देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को अयोध्या से बहुत गहरा लगाव था और उसके विकास के आधारभूत ढांचे के विकास के लिए सरयू नदी पर बना पहला पुल हो, आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय या डाॅ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय अथवा राम की पैड़ी-सबके सब इंदिरा गांधी की या उनके वक्त की ही देन हैं. जानकार बताते हैं कि 1984-85 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्रीपति मिश्र और सिंचाई मंत्री वीरबहादुर सिंह की देखरेख में अयोध्या में जो ऐतिहासिक राम की पैड़ी निर्मित हुई.

इंदिरा गांधी ने ही सबसे पहले हरिद्वार स्थित हर की पैड़ी से प्रेरित होकर उसकी परिकल्पना की थी. फिर उन्होंने ही उसके निर्माण की सोची और विशेषज्ञों से अनौपचारिक विचार-विमर्श के बाद मुख्यमंत्री श्रीपति मिश्र को उस दिशा में तेजी से कदम बढ़ाने के निर्देश दिए थे. अयोध्या के उन्नयन की और योजनाएं बनवाकर उन पर तेजी से अमल की ताकीद भी की थी.

दुर्भाग्य से पगलाई हिंसा ने 31 अक्तूबर, 1984 को नृशंसतापूर्वक उनके प्राण ले लिए और उन्हें अयोध्या से जुड़े अपने सपनों को साकार होता नहीं देखने दिया. तब से अब तक के अपने समय में राम की पैड़ी अच्छी-बुरी कई ऐतिहासिक घटनाओं की साक्षी बन चुकी, साथ ही अपना कायाकल्प भी देख चुकी है.

योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा प्रायोजित और गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकाॅर्ड में दर्ज दीपोत्सव भी इसी पैड़ी पर संपन्न होते हैं. प्रसंगवश, गांधी कुल तीन बार अयोध्या आईं. इनमें दो यात्राएं उन्होंने प्रधानमंत्री पद पर आसीन रहते हुए कीं, जो उनके अयोध्या के विकास को गति प्रदान करने के प्रयत्नों का हिस्सा थीं, जबकि तीसरी लोकसभा चुनाव में प्रचार के अभियान का अंग थी.

इस अंचल में हुई उनकी एक यात्रा बहुत चर्चित रही थी, जो अयोध्या के पड़ोसी जिले बहराइच में आई विकराल बाढ़ के निरीक्षण व राहत कार्यों में तेजी लाने की मुहिम से जुड़ी थी. 1978 में अयोध्या के समीपवर्ती बहराइच जिले के भिनगा क्षेत्र में भयंकर बाढ़ से हुई तबाही का वे मौके पर मुआयना करने आईं और नाव में बैठकर उफनाती राप्ती  नदी के पार उतरीं, तो लोगों को उनका 27 मई, 1977 को बिहारशरीफ में हुए कुख्यात बेलछी कांड के बाद पहले जीप, फिर ट्रैक्टर और अंत में बिना हौदे वाले हाथी पर बैठकर पीड़ितों को ढाढस बंधाने वहां जाना याद आ गया था.

तब अयोध्या के लोकप्रिय कवि विकल साकेती ने ‘उतरी हुई’ और ‘उमड़ी हुई’ नदी का रूपक रचते हुए अपनी एक गजल में लिखा था : उतरी हुई नदी का कोई करे अनादर, सम्मान करने वाले सम्मान कर रहे हैं. 1979 में राजा रणंजय सिंह के अभिनंदन समारोह में श्रीमती गांधी अमेठी गईं तो कांग्रेसियों ने आग्रह करके उन्हें यह पूरी गजल सुनवाई थी. लेकिन विकल साकेती का कहना था कि तब तक उतरी हुई नदी उमड़ी हुई नदी में बदल गई थी. इसलिए उन्होंने अपनी गजल की संबंधित पंक्ति यों कर दी थी-उतरी हुई नदी अब उमड़ी हुई नदी है, स्नान करने वाले स्नान कर रहे हैं.

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