लाइव न्यूज़ :

त्रिपुरा निकाय चुनाव के संदेश को समझें भाजपा के विरोधी दल

By अवधेश कुमार | Updated: November 30, 2021 12:12 IST

विरोधियों को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना चाहिए। इससे यह भी धारणा गलत साबित हुई है कि जमीनी वास्तविकता के परे केवल हवा बनाने या माहौल बनाने से चुनाव जीता जा सकता है।

Open in App

त्रिपुरा के स्थानीय निकाय चुनाव में भाजपा की जबरदस्त विजय ने विपक्ष के साथ पूरे देश को चौंकाया है। पश्चिम बंगाल में भारी विजय के पश्चात ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस ने त्रिपुरा को जिस दिन से अपनी दूसरी प्रमुख राजनीति का केंद्र बिंदु बनाया था और पूरी आक्रामकता से वहां सदस्यता अभियान व चुनाव प्रचार अभियान चल रहा था, उससे लगता था कि वहां भाजपा को अच्छी चुनौती मिलेगी। 

चुनाव परिणामों ने इसे गलत साबित किया है। राजधानी अगरतला नगर निगम सहित कुल 24 नगर निकायों के चुनाव हुए। इनके 334 वार्डों में से भाजपा ने 329 पर विजय प्राप्त की। किसी भी पार्टी की इससे अच्छी सफलता कुछ हो ही नहीं सकती। तृणमूल कांग्रेस को पूरे चुनाव में केवल एक सीट प्राप्त हुई। 

पश्चिम बंगाल चुनाव के बाद से पूरे देश में माहौल बनाया गया था कि भाजपा के पराभव के दौर की शुरुआत हो चुकी है और कम से कम पूर्वोत्तर में तृणमूल उसे पटखनी देने की स्थिति में आ गई है। ऐसा नहीं हुआ तो निश्चित रूप से विचार करना पड़ेगा कि राजनीति में भाजपा के विरुद्ध जिस तरह के विरोधी वातावरण या माहौल की बात की जाती है, वैसा हो क्यों नहीं पाता?

तृणमूल कांग्रेस कह रही है कि वह अपने प्रदर्शन से संतुष्ट है क्योंकि बहुत ज्यादा दिन उसकी पार्टी के त्रिपुरा में आए नहीं हुए और वह मुख्य विपक्षी पार्टी के तौर पर उभरी है। यह बात सही है कि उसने वहां माकपा को स्थानापन्न कर भाजपा के बाद दूसरा स्थान प्राप्त किया है। इसके बावजूद दोनों के बीच मतों में इतनी दूरी है जिसमें यह कल्पना करना व्यावहारिक नहीं लगता कि 2023 के चुनाव आते-आते उसे पाट दिया जाएगा। 

यह बात सही है कि अनेक बार विधानसभा या लोकसभा के चुनाव परिणाम स्थानीय निकाय के चुनाव परिणामों से बिल्कुल अलग होते हैं, तो अभी 2023 के बारे में किसी प्रकार की भविष्यवाणी उचित नहीं होगी। लेकिन यह स्वीकार करना पड़ेगा कि त्रिपुरा के स्थानीय निकाय चुनाव को न केवल तृणमूल कांग्रेस बल्कि संपूर्ण देश के भाजपा विरोधियों ने बड़े चुनाव के रूप में परिणत कर दिया था।

बांग्लादेश में हिंदुओं और हिंदू स्थलों पर हिंसात्मक हमले के विरुद्ध प्रदर्शन के दौरान हुई एक घटना को जिस तरह प्रचारित किया गया उसका उद्देश्य बिल्कुल साफ था। मामला सोशल मीडिया से मीडिया और न्यायालय तक भी आ गया। पूरा वातावरण ऐसा बनाया गया मानो त्रिपुरा की भाजपा सरकार के संरक्षण में हिंदुत्ववादी शक्तियां वहां अल्पसंख्यकों खासकर मुसलमानों के विरुद्ध हिंसा कर रही हैं और पुलिस या स्थानीय प्रशासन उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाते।

त्रिपुरा सरकार की फासिस्टवादी छवि बनाने की कोशिश हुई। इसमें भाजपा के विरुद्ध माहौल बनाने की रणनीति साफ थी। दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस लगातार भाजपा शासन में उनके कार्यकर्ताओं पर हमले व अत्याचार का आरोप लगा रही थी। इससे त्रिपुरा के बारे में कैसी तस्वीर हमारे आपके मन में आ रही थी, यह बताने की आवश्यकता नहीं।

कल्पना यही थी कि त्रिपुरा में भी पश्चिम बंगाल दोहराया जा सकता है। सच कहें तो त्रिपुरा निकाय चुनाव भाजपा विरोधी राजनीतिक, गैर राजनीतिक सभी समूहों व व्यक्तियों के लिए फिर से एक सीख बनकर आया है। वे इसे नहीं समझेंगे तो ऐसे ही समय-समय पर भाजपा के खत्म होने की कल्पना में डूबते और परिणामों में निराश होते रहेंगे।

विरोधियों को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना चाहिए। इससे यह भी धारणा गलत साबित हुई है कि जमीनी वास्तविकता के परे केवल हवा बनाने या माहौल बनाने से चुनाव जीता जा सकता है। निकाय चुनाव परिणाम की सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि 112 स्थानों पर भाजपा प्रत्याशी निर्विरोध निर्वाचित हुए। 

इसका मतलब यही है कि बाहर भले आप माहौल बना दीजिए कि भाजपा खत्म हो रही है और तृणमूल कांग्रेस उसकी जगह ले रही है, जमीन पर ऐसा नहीं था। अगर जमीन पर तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस या माकपा का ठोस आधार होता तो कम से कम उम्मीदवार अवश्य खड़े होते। त्रिपुरा निकाय चुनाव का निष्कर्ष यह है कि भाजपा विरोधी उसके विरुद्ध वास्तविक मुद्दे सामने लाएं और परिश्रम से अपना जनाधार बढ़ाएं तभी उसे हर जगह चुनौती दी जा सकती है।

Open in App

संबंधित खबरें

क्रिकेटजनवरी 2011 और 5472 दिन के बाद ऑस्ट्रेलिया में जीता इंग्लैंड?, 2 दिन में टेस्ट खत्म, 36 विकेट गिरे, सीरीज में 3-1 से आगे ऑस्ट्रेलिया?

भारतप्रकाश पर्व पर पीएम मोदी ने गुरु गोबिंद सिंह को किया नमन, कहा- 'वो साहस, करुणा और त्याग के प्रतीक'

कारोबारबनारस की फिजा बदली?, 2014 में 54.89 लाख पर्यटक काशी पहुंचे और 2025 में 146975155, देखिए 10 साल में 45.44 करोड़ भारतीय-विदेशी गलियों और घाटों की सैर

क्रिकेटMI Cape Town vs Durban Super Giants: 40 ओवर, 449 रन, 12 विकेट, 25 छक्के और 40 चौके?, रयान रिकेलटन कमाल, पहले मैच में खेली शतकीय पारी

क्राइम अलर्टPilibhit News: भाई से ज्यादा जमीन से प्यार! विवाद के बाद छोटे भाई की हत्या, शव को घर में दफनाया

भारत अधिक खबरें

भारतDelhi: न्यू ईयर से पहले दिल्ली पुलिस का एक्शन, 150 लोग गिरफ्तार, हथियार और ड्रग्स जब्त

भारतयोगी आदित्यनाथ ने गुरु गोबिंद सिंह की जयंती पर किया नमन, बोले- "उनका संघर्ष निर्भीकता के मार्ग पर अडिग रहने की प्रेरणा"

भारतभयमुक्त मानवता के महाशिल्पकार थे गुरु गोविंद सिंह

भारतदक्षिण भारत में क्यों पड़ रही अप्रत्याशित ठंड?

भारतघोसी विधानसभा सीट उपचुनावः सपा प्रत्याशी होंगे सुजीत सिंह?, सुधाकर सिंह के निधन से सीट रिक्त