शिक्षा और नैतिकता का गठबंधन जरूरी

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: July 4, 2025 07:14 IST2025-07-04T07:14:51+5:302025-07-04T07:14:54+5:30

इस कारण शिक्षा और नैतिक मूल्यों का जुड़ाव बेहद जरूरी है ताकि हम एक सामंजस्यपूर्ण और नैतिक समाज बना सकें.

There is a need for a union of education and morality | शिक्षा और नैतिकता का गठबंधन जरूरी

शिक्षा और नैतिकता का गठबंधन जरूरी

माजिद पारेख

हम सभी इस बात से सहमत हैं कि अच्छी शिक्षा का बहुत महत्व है. यह न केवल व्यक्तिगत विकास में मदद करती है, बल्कि समाज और दुनिया को भी आकार देती है. एक अच्छी शिक्षा व्यक्ति को आलोचनात्मक सोच, समस्या समाधान और निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करती है. इसके अलावा, यह विभिन्न संस्कृतियों और विचारों से परिचित कराती है, जिससे समाज में सहिष्णुता और समझ बढ़ती है.

शिक्षा एक दीपक की तरह है, जो व्यक्ति और समाज को मार्गदर्शन देती है. लेकिन जब इसे नैतिकता से अलग किया जाता है तो यह खतरनाक भी हो सकती है. बिना नैतिक मूल्यों के शिक्षा केवल ज्ञान देती है, लेकिन व्यक्ति को सही और गलत की  समझ नहीं मिलती. इस कारण शिक्षा और नैतिक मूल्यों का जुड़ाव बेहद जरूरी है ताकि हम एक सामंजस्यपूर्ण और नैतिक समाज बना सकें.

पवित्र ग्रंथों में भी यह बताया गया है कि शिक्षा और नैतिकता का रिश्ता बहुत मजबूत है. सच्ची शिक्षा केवल ज्ञान तक सीमित नहीं होती, बल्कि इसमें नैतिक निर्णय लेने की क्षमता भी शामिल होनी चाहिए. यदि शिक्षा नैतिकता से रहित होती है, तो यह बिना नाविक के जहाज की तरह होती है, जो अनिश्चितता के समुद्र में तैरती रहती है. महात्मा गांधी ने भी कहा था, ‘वह शिक्षा, जो चरित्र का निर्माण नहीं करती, बेकार है.’

विज्ञान और तकनीकी प्रगति के दौरान कई बार ऐसा हुआ है जब नैतिकता को नजरअंदाज किया गया, और इसका परिणाम विनाशकारी रहा. 20वीं सदी के युद्धों और हथियारों के विकास में इसका उदाहरण तो देखा ही गया, 21 वीं सदी भी इससे अछूती नहीं रह रही है. इसलिए यह जरूरी है कि शिक्षा प्रणाली में नैतिकता और मूल्यों को शामिल किया जाए. पाठ्यक्रम में विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टिकोणों से नैतिक शिक्षा दी जानी चाहिए.

साथ ही, स्कूलों में चरित्र शिक्षा पर भी जोर देना चाहिए, जैसे कि ईमानदारी, सम्मान और करुणा. इसके लिए भूमिका-निर्माण और वास्तविक जीवन के उदाहरणों का उपयोग किया जा सकता है, ताकि छात्र नैतिक दुविधाओं पर सोच सकें. शिक्षक भी आदर्श प्रस्तुत करके छात्रों को नैतिक मार्गदर्शन दे सकते हैं.

इसके अलावा, सामुदायिक सेवा और स्वयंसेवी कार्य जैसे अनुभवों से छात्रों में सामाजिक जिम्मेदारी का अहसास होता है. जब छात्र समाज के वास्तविक मुद्दों पर काम करते हैं, तो वे अपने कार्यों के नैतिक प्रभाव को समझ पाते हैं.
अंततः, शिक्षा और नैतिकता का संबंध एक शाश्वत सिद्धांत है, जो समय और समाज से परे है. यह न केवल ज्ञान प्राप्ति का माध्यम है, बल्कि यह व्यक्ति को एक बेहतर इंसान बनने की दिशा में भी मार्गदर्शन करता है.

यदि हम शिक्षा को केवल शैक्षिक उपलब्धियों तक सीमित न रखकर इसे नैतिक शिक्षा के साथ जोड़ते हैं, तो हम एक ऐसा समाज बना सकते हैं, जिसमें केवल ज्ञान ही नहीं, बल्कि करुणा और नैतिकता भी प्रमुख हो.

Web Title: There is a need for a union of education and morality

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