वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: बलात्कारियों को फांसी दी जाए
By वेद प्रताप वैदिक | Updated: June 12, 2019 06:50 IST2019-06-12T06:50:25+5:302019-06-12T06:50:25+5:30
जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में बकरवाल समुदाय की एक बच्ची के साथ पहले बलात्कार किया गया और फिर उसकी हत्या कर दी गई.

वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: बलात्कारियों को फांसी दी जाए
जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में बकरवाल समुदाय की एक बच्ची के साथ पहले बलात्कार किया गया और फिर उसकी हत्या कर दी गई. वह लड़की सिर्फ आठ साल की थी. उसे एक मंदिर में ले जाकर नशीली दवाइयां खिलाई गईं और फिर कुकर्म किया गया. उन अपराधियों पर विशेष अदालत में मुकदमा चला और उनमें से तीन को उम्र-कैद हुई और तीन को पांच-पांच साल की सजा! सिर्फ डेढ़ साल में यह फैसला आ गया.
मैं इस फैसले को नाकाफी मानता हूं. पहली बात तो यह कि इस घोर राक्षसी मामले को सांप्रदायिक रूप दिया गया. एक संगठन ने अपराधियों को बचाने की कोशिश की. इस मामले में भाजपा के दो मंत्रियों को इस्तीफे भी देने पड़े. इसके लिए भाजपा नेतृत्व बधाई का पात्न है लेकिन कितने शर्म की बात है कि यह जघन्य अपराध एक मंदिर में हुआ और उस मंदिर का पुजारी इस नृशंस अपराध का सूत्नधार था. जहां तक तीन लोगों को उम्रकैद का सवाल है, उसमें वह पुलिस अधिकारी भी है, जो बलात्कार में शामिल था और जिसने सारे मामले को रफा-दफा कराने की कोशिश की थी. जिन अन्य अपराधियों को पांच-पांच साल की सजा मिली है और जुर्माना भी ठोंका गया है, वे लोग इतने वीभत्स कांड में शामिल थे कि यह सजा उनके लिए सजा नहीं है, ईनाम के समान है. अब उनमें से आधे पूरी उम्रभर और आधे पांच साल तक जेल में सुरक्षित रहेंगे, सरकारी रोटियां तोड़ेंगे और मौज करेंगे. कभी-कभी पेरोल पर छूटकर मटरगश्ती भी करेंगे. उनको मिली इस सजा का समाज पर क्या असर पड़ेगा? यही न, कि पहले अपराध करो और फिर चैन से सरकारी रोटियां तोड़ते रहो.
मेरी राय में इन सभी लोगों को सिर्फ और सिर्फ मौत की सजा मिलनी चाहिए ताकि इस तरह के संभावित अपराध करनेवालों के मन में अपराध का विचार पैदा होते ही उनकी हड्डियों में कंपकंपी दौड़ जाए. इस तरह की कठोर सजा नहीं होने का परिणाम यह है कि कठुआ-कांड के बाद उससे भी अधिक नृशंस दर्जनों घटनाएं देश में हो चुकी हैं. इसलिए कठोर से कठोर सजा दी जाए