ब्लॉग: नौकरशाहों की प्राथमिकता अधिकार नहीं, कर्तव्य हो

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: July 13, 2024 10:39 IST2024-07-13T10:37:37+5:302024-07-13T10:39:32+5:30

विवादास्पद परिवीक्षाधीन आईएएस अधिकारी पूजा खेड़कर को लेकर जिस तरह से नए-नए मामले सामने आ रहे हैं

The priority of bureaucrats should be duty not rights | ब्लॉग: नौकरशाहों की प्राथमिकता अधिकार नहीं, कर्तव्य हो

फाइल फोटो

Highlightsपूजा ने छह बार मेडिकल जांच में शामिल होने से इंकार कियाइसके बाद वे एमआरआई सेंटर से रिपोर्ट लेकर आईं और यूपीएससी को सौंप दीयूपीएससी ने इस पर आपत्ति जताकर पूजा के चयन को केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण यानी कैट में चुनौती दी

विवादास्पद परिवीक्षाधीन आईएएस अधिकारी पूजा खेड़कर को लेकर जिस तरह से नए-नए मामले सामने आ रहे हैं, वे बेहद हैरान करने वाले हैं. अधिकारियों के साथ अनुचित व्यवहार को लेकर उनकी जांच शुरू हुई तो अब नए-नए खुलासे हो रहे हैं. अभी गुरुवार को ही केंद्र ने पूजा खेड़कर के ‘उम्मीदवारी दावों और अन्य विवरणोंं’ की जांच के लिए एक सदस्यीय समिति का गठन किया है.

खेड़कर पर दिव्यांगता और ओबीसी कोटे का दुरुपयोग करने का आरोप है. जहां तक दिव्यांगता का सवाल है, आईएएस का पद मिलने के बाद जब यूपीएससी ने उनकी मेडिकल जांच कराने का फैसला किया तो पूजा ने छह बार मेडिकल जांच में शामिल होने से इंकार किया. इसके बाद वे एमआरआई सेंटर से रिपोर्ट लेकर आईं और यूपीएससी को सौंप दी.

यूपीएससी ने इस पर आपत्ति जताकर पूजा के चयन को केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण यानी कैट में चुनौती दी तो 23 फरवरी 2023 को कैट ने पूजा के खिलाफ फैसला सुनाया. लेकिन उसके बाद पता नहीं कैसे उनके एमआरआई प्रमाणपत्र को स्वीकार कर लिया गया और नियुक्ति को वैध कर दिया गया! इसके अलावा पूजा खेड़कर ओबीसी नॉन-क्रीमी लेयर श्रेणी से आईएएस अधिकारी बनीं, लेकान उनके पिता के चुनावी हलफनामे में उनकी आय और संपत्ति 40 करोड़ रुपए बताई गई है.

ऐसे में वे नॉन क्रीमी लेयर में कैसे आ सकती हैं? दरअसल मूल मुद्दा अधिकारियों के साथ उनके दुर्व्यवहार का है, जिसके बाद अब उनके अतीत के कारनामे सामने आ रहे हैं. किसी भी आईएएस अधिकारी को पदस्थ होने के बाद तो सारी सुविधाएं मिलती ही हैं, लेकिन पूजा के अंदर इतना भी धैर्य नहीं था कि वे प्रोबेशन अवधि के खत्म होने का इंतजार कर पातीं. उन्होंने ज्वाइन करने के पहले ही तमाम अनुचित मांगें करनी शुरू कर दीं और जब उन्हें बताया गया कि उनके द्वारा मांगी गई सुविधाएं ट्रेनी अधिकारियों को देने का प्रावधान नहीं है तो वे अधिकारियों के साथ अनुचित व्यवहार करने पर उतर आईं.

आश्चर्य की बात तो यह है कि वे नौकरशाहों के परिवार से आती हैं, उनके पिता दिलीप खेड़कर महाराष्ट्र सरकार में वरिष्ठ अधिकारी थे, जबकि नाना जगन्नाथ बुधवंत वंजारी समुदाय के पहले प्रशासनिक अधिकारी थे. इसके बावजूद पूजा को प्रशासनिक परंपराओं का ज्ञान नहीं था और उनके पिता ने भी उन्हें सही सलाह देने के बजाय उनकी अनुचित मांगों को ही पूरा किए जाने पर जोर दिया!

पूजा खेड़कर के खिलाफ अब तमाम तरह के आरोप सामने आ रहे हैं, लेकिन इन सबके बीच बुनियादी सवाल यह है कि भविष्य में आईएएस बनने के इच्छुकों के लिए क्या मनुष्यता के बुनियादी गुणों की परीक्षा भी पास करना जरूरी नहीं होना चाहिए? आखिर भविष्य में उन्हें एक वरिष्ठ अधिकारी के रूप में जिन नियमों का पालन करवाना है, उन्हीं नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए वे नौकरशाह कैसे बन सकते हैं?

Web Title: The priority of bureaucrats should be duty not rights

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे