शोभना जैन का ब्लॉग: पूरब के देशों से रिश्ते बढ़ाना आज के समय की मांग

By शोभना जैन | Updated: September 13, 2024 10:39 IST2024-09-13T10:38:04+5:302024-09-13T10:39:08+5:30

ऐतिहासिक रूप से जुड़े दक्षिण पूर्व एशिया के दो अहम देशों की यह यात्रा इसलिए और भी अहम मानी जा रही है कि हाल के वर्षों में खाड़ी क्षेत्र में हो रहे घटनाक्रम के मद्देनजर ऐसा लग रहा था कि भारत का दक्षिण एशिया पर से ध्यान अपेक्षाकृत कुछ बंट रहा है. 

The need of the hour is to increase relations with eastern countries | शोभना जैन का ब्लॉग: पूरब के देशों से रिश्ते बढ़ाना आज के समय की मांग

शोभना जैन का ब्लॉग: पूरब के देशों से रिश्ते बढ़ाना आज के समय की मांग

Highlights ब्रुनेई दक्षिण चीन सागर में एक छोटा लेकिन रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण द्वीप है और भारत की एक्ट ईस्ट नीति में महत्वपूर्ण साझीदार है. पिछले 10 वर्षों में आसियान देशों के साथ भारत का व्यापार 65 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 120 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया है. भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी चीन के लिए खासी चुनौतीपूर्ण है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल की आसियान क्षेत्र स्थित सिंगापुर और ब्रुनेई यात्रा न केवल द्विपक्षीय संबंधों के लिए खासी अहम मानी जा रही है बल्कि इससे खास तौर पर क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए ‘आसियान’ की केंद्रीय भूमिका को और बल मिलेगा. 

ऐतिहासिक रूप से जुड़े दक्षिण पूर्व एशिया के दो अहम देशों की यह यात्रा इसलिए और भी अहम मानी जा रही है कि हाल के वर्षों में खाड़ी क्षेत्र में हो रहे घटनाक्रम के मद्देनजर ऐसा लग रहा था कि भारत का दक्षिण एशिया पर से ध्यान अपेक्षाकृत कुछ बंट रहा है. 

लेकिन पिछले दिनों  प्रधानमंत्री की सिंगापुर, ब्रुनेई यात्रा से इस तरह के स्पष्ट संकेत दिए गए कि खाड़ी के साथ-साथ दक्षिण पूर्व एशिया भारत के लिए न केवल उतना ही अहम है बल्कि अंतरराष्ट्रीय समीकरणों के चलते रिश्तों की मजबूती आज की जरूरत भी है.

इसी पृष्ठभूमि में विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर के इस बयान से डिप्लोमेसी की बारीकियों को समझें जिसमें उन्होंने साफ तौर पर कहा था कि खाड़ी और दक्षिण एशिया क्षेत्र- दोनों ही भारत के लिए अहम हैं. प्रधानमंत्री मोदी की हाल की आसियान देशों की यात्रा इसी डिप्लोमेसी की सूचक मानी जा सकती है.

इसी पृष्ठभूमि में अगर दुनिया के अनेक देशों की तरह इस क्षेत्र में भी चीन की बढ़ती सक्रियता की बात करें तो इस यात्रा में प्रधानमंत्री मोदी के पहले ब्रुनेई और फिर सिंगापुर दौरे से चीन की बेचैनी बढ़ गई है. 

अहम बात यह है कि  चीन की तरफ झुकाव वाले ब्रुनेई की प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान दोनों देशों द्वारा आर्थिक रिश्तों को और बढ़ाने के साथ रक्षा क्षेत्र सहित समुद्री सुरक्षा के अहम क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर जोर  देने की सहमति से द्विपक्षीय सहयोग को नई गति मिल सकती है. ब्रुनेई दक्षिण चीन सागर में एक छोटा लेकिन रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण द्वीप है और भारत की एक्ट ईस्ट नीति में महत्वपूर्ण साझीदार है. 

एक तरफ जहां अमेरिका के साथ मजबूत सामरिक रिश्ते रखने वाले ब्रुनेई के चीन के साथ आर्थिक रिश्ते लगातार बढ़ रहे हैं, वहीं भारत के साथ उसका व्यापार घटा है, बावजूद इसके कि पिछले दशक में भारत का आसियान देशों के साथ व्यापार दोगुना बढ़ा है. पिछले 10 वर्षों में आसियान देशों के साथ भारत का व्यापार 65 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 120 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया है. 

सामरिक दृष्टि से आसियान का केंद्र माने जाने वाले ब्रुनेई के साथ आर्थिक, सुरक्षा सहित इन सभी क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की दिशा में पहल कर कदम उठाए जाने चाहिए. दरअसल भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी चीन के लिए खासी चुनौतीपूर्ण है. चीन दक्षिण चीन क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, वहां आए दिन नौवहन की निर्बाध गतिविधियों को बाधा पहुंचाता रहता है, जिससे क्षेत्रीय स्थिरता पर खतरा मंडराता रहा है.  

Web Title: The need of the hour is to increase relations with eastern countries

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