भीड़ की हिंसा : भेड़ बने भेड़िये, इनसे ज्यादा कायर कौन होता है...

By वेद प्रताप वैदिक | Published: July 21, 2018 03:22 AM2018-07-21T03:22:29+5:302018-07-21T03:22:29+5:30

आरएसएस और भाजपा के नेताओं से कहना है कि वे अपने कार्यकर्ताओं को समझाएं और देश में ऐसा माहौल बनाएं कि भीड़ कानून को अपने हाथ में न ले. ऐसा नहीं है कि भीड़ सिर्फ विशिष्ट संप्रदाय के लोगों को मारती है.

Supreme Court comment on Mob Lynching, why government not make any law on Mob | भीड़ की हिंसा : भेड़ बने भेड़िये, इनसे ज्यादा कायर कौन होता है...

भीड़ की हिंसा : भेड़ बने भेड़िये, इनसे ज्यादा कायर कौन होता है...

भीड़ की हिंसा के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय को टिप्पणी करनी पड़ी. भारत की कानून-व्यवस्था में हत्या, मारपीट और हिंसा के लिए उचित सजा के प्रावधान हैं, फिर भी अदालत को इसीलिए विस्तार से बोलना पड़ा कि 2015 से लेकर अब तक ऐसी 200 घटनाएं हो चुकी हैं. 2017 में ऐसी घटनाएं 80 प्रतिशत बढ़ गईं. पिछले डेढ़ साल में 66 बार भीड़ ने कुछ लोगों पर हमला बोला, जिसमें 33 लोग मारे गए और दर्जनों घायल हुए. 

पांच तरह के लोगों पर हमले हुए. सबसे ज्यादा हमले यह कहकर हुए कि भीड़ के शिकार लोग गोमांस ले जा रहे थे और उन्होंने गोवध किया है. दूसरे हमले दलितों पर हुए. बहाना यह था कि वे सवर्णो की तरह  घोड़ी पर बैठकर बारात ले जा रहे हैं. तीसरा बहाना यह है कि फलां-फलां बच्चों का अपहरण करनेवालों को मार डाला जाए. चौथा, कुछ औरतों को इसलिए जिंदा जला दिया गया कि उन्हें डाकिन या प्रेतनी समझ लिया गया और पांचवां हमला वह है, जो अग्निवेशजी पर किया गया यानी हमें जिसकी भी बात पसंद नहीं होगी, उसे हम जिंदा नहीं रहने देंगे.

यह ठीक है कि इस तरह के सभी हमलों की निंदा लोकसभा में सभी दलों ने की है. गृह मंत्नी राजनाथ सिंह ने राज्यों से भी आग्रह किया है कि वे इन हिंसक तत्वों के साथ कड़ाई से पेश आएं लेकिन मुङो आरएसएस और भाजपा के नेताओं से कहना है कि वे अपने कार्यकर्ताओं को समझाएं और देश में ऐसा माहौल बनाएं कि भीड़ कानून को अपने हाथ में न ले. ऐसा नहीं है कि भीड़ सिर्फ विशिष्ट संप्रदाय के लोगों को मारती है.

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उसके हत्थे जो भी चढ़े, उसे वह मौत के घाट उतार देती है. भीड़ में शामिल होने पर भेड़ भी भेड़िये में बदल जाती है. भीड़ के पास दिमाग नहीं होता. यदि भीड़ को इस बात का जरा भी अंदाज हो जाए कि एक आदमी की हत्या के बदले 100 आदमियों की पूरी भीड़ को फांसी के फंदे पर लटकाना होगा तो वह सिर पर पांव रख भाग खड़ी होगी. भीड़ से ज्यादा कायर कौन होता है लेकिन क्या हमारे सांसदों में इतना दम है कि वे इतना कठोर कानून बना सकें? 

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Web Title: Supreme Court comment on Mob Lynching, why government not make any law on Mob

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