शोभना जैन का ब्लॉगः अफगानिस्तान में भारत की चिंताएं

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: February 3, 2019 05:25 PM2019-02-03T17:25:07+5:302019-02-03T17:25:07+5:30

भारत इस वार्ता से जुड़ा नहीं है, लेकिन वह स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए है क्योंकि वार्ता के परिणाम  का भारत पर, उसके  सुरक्षा तंत्न के साथ ही इस क्षेत्न की शांति सुरक्षा पर  सीधा असर पड़ेगा.

Shobhana Jain's Blog: India's Concerns in Afghanistan | शोभना जैन का ब्लॉगः अफगानिस्तान में भारत की चिंताएं

सांकेतिक तस्वीर

अब जबकि दोहा में अमेरिका और तालिबान के बीच अफगानिस्तान में अमेरिकी फौजों की वापसी के स्वरूप के बारे में वार्ता का पहला दौर पूरा हो गया है और बताया जा रहा है कि इस बारे में दोनों पक्षों के बीच लगभग सहमति हो गई है, ऐसे संकेत हैं कि अमेरिका अगले 18 माह में अपनी फौजें वहां से हटा लेगा. वार्ता का अगला दौर आगामी 25 फरवरी को कतर में होने की संभावना है. अमेरिका वहां 17 वर्ष तक युद्ध में फंसे होने के बाद अब हड़बड़ी में हाथ खींच रहा है, लेकिन सवाल उठ रहे हैं कि अमेरिकी फौजों की वापसी के बाद अफगानिस्तान में हालात क्या होंगे और तालिबान के अंतरिम सरकार में प्रमुख भूमिका में आ जाने से इस पूरे क्षेत्न में विशेष तौर पर भारत की शांति और सुरक्षा को लेकर असर क्या पड़ेगा? 

भारत इस वार्ता से जुड़ा नहीं है, लेकिन वह स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए है क्योंकि वार्ता के परिणाम  का भारत पर, उसके  सुरक्षा तंत्न के साथ ही इस क्षेत्न की शांति सुरक्षा पर  सीधा असर पड़ेगा. विशेष तौर पर  अगर वहां पाकिस्तान और अफगानिस्तान में सक्रिय आतंकी तत्व और उग्र होते हैं तो भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए और भी गंभीर चिंता उत्पन्न हो जाएगी. भारत का स्टैंड रहा है कि अफगान शांति प्रक्रिया अफगानिस्तान के नेतृत्व में और उसी के द्वारा नियंत्रित होनी चाहिए और वह  शांति और सुलह के ऐसे प्रयासों का समर्थक रहा है जिसमें सभी को साथ लेकर चला जाए. दिलचस्प बात यह है कि पाकिस्तान अपने अपेक्षित तेवर के अनुसार  ही कह रहा है कि  भारत की अफगानिस्तान में कोई भूमिका नहीं है.

तालिबान को जिस तरह से पाक लगातार समर्थन देता रहा है, उससे साफ है कि तालिबान की मुख्य भूमिका वाली अफगान सरकार से वह अपना उल्लू सीधा करेगा. यह सर्वविदित है कि अफगानिस्तान में विकास कार्यो, विशेष तौर पर पुनर्निर्माण कार्यो से भारत नजदीक से जुड़ा रहा है. वहां की जनता के मन में भी भारत के प्रति खासा अपनापा है. लेकिन लगता है कि इस शांति प्रक्रि या से जब तक अफगान सरकार नहीं जुड़ती, वह तालिबान से दूरी बनाए रखेगा. वास्तव में  अभी तक राष्ट्रपति अशरफ गनी की सरकार इस वार्ता से पूरी तरह से दूर है या उन्हें दूर रखा गया है. तालिबान ने उनसे बात तक करने से इंकार कर दिया है.  तालिबान ने अलकायदा और आईएस जैसे संगठनों के साथ अन्य आतंकी संगठनों को मदद नहीं देने का भरोसा दिया है. लेकिन तालिबान पर भरोसा वक्त की कसौटी पर कितना खरा उतरेगा यह तो वक्त ही बताएगा.

Web Title: Shobhana Jain's Blog: India's Concerns in Afghanistan

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