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जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: संकटों के बीच कृषि क्षेत्र दे रहा है राहत

By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Published: March 04, 2022 11:44 AM

कृषि और कृषक कल्याण योजनाओं का कुल बजट इस बार 1.24 लाख करोड़ रुपए रखा गया है।

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ठळक मुद्देभारत में यूक्रेन संकट से निर्मित आर्थिक चुनौतियों के बीच भी कृषि का परिदृश्य सुकूनदेह है।दुनिया में देश की पहचान खाद्यान्न की वैश्विक आपूर्ति करने वाले मददगार के रूप में हुई है।अनुमान है कि 2022-23 में कृषि निर्यात 55-60 अरब डॉलर मूल्य की ऊंचाई पर पहुंच सकता है।

यद्यपि इन दिनों यूक्रेन संकट के कारण दुनिया के अधिकांश देशों में खाद्यान्न की कीमतें बढ़ते हुए दिखाई दे रही हैं, लेकिन भारत में यूक्रेन संकट से निर्मित आर्थिक चुनौतियों के बीच भी कृषि का परिदृश्य सुकूनदेह है. जहां देश का आम आदमी खाद्यान्न की महंगाई से दूर है, वहीं देश में कृषि क्षेत्न को आधुनिक बनाकर कृषि को कच्चे तेल की तरह मजबूत आर्थिक आधार बनाए जाने की संभावनाएं उभरकर दिखाई दे रही हैं.

नि:संदेह कोविड-19 की चुनौतियों के बीच पिछले दो वर्षो में दुनिया में भारत की पहचान खाद्यान्न की वैश्विक आपूर्ति करने वाले मददगार देश के रूप में उभरकर सामने आई है. अब इस वर्ष 2022 में रूस और यूक्रे न युद्ध के संकट जैसी अन्य स्थितियों के मद्देनजर भारत से खाद्य पदार्थो के निर्यात की संभावनाएं हैं. 

ऐसे में कृषि को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के मद्देनजर सुकूनभरी उम्मीदों के तीन महत्वपूर्ण आधार दिखाई दे रहे हैं. एक, फसल वर्ष 2021-22 (जुलाई-जून) में रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन का अनुमान प्रस्तुत हुआ है.

दो, वर्ष 2022 में मानसून के अनुकूल रहने का पूर्वानुमान लगाया गया है. तीन, वर्ष 2022-23 के नए बजट में कृषि को आधुनिक बनाकर कृषि उत्पादन बढ़ाने के नए रणनीतिक रास्ते सुझाए गए हैं.कृषि मंत्नालय द्वारा हाल ही में प्रस्तुत खाद्यान्न उत्पादन के दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार, फसल वर्ष 2021-22 में देश में कुल खाद्यान्न उत्पादन रिकॉर्ड 31.60 करोड़ टन पर पहुंच जाने का अनुमान है, जो पिछले फसल वर्ष में 31.07 करोड़ टन रहा था. 

इस वर्ष गेहूं का उत्पादन रिकॉर्ड 11.13 करोड़ टन रहने का अनुमान है. गेहूं का उत्पादन पिछले वर्ष 10.95 करोड़ टन रहा था. 2021-22 के दौरान चावल का कुल उत्पादन 12.79 करोड़ टन रिकॉर्ड अनुमानित है. साथ ही इस साल तिलहन उत्पादन 3.71 करोड़ टन रह सकता है, जो पिछले साल के 3.59 करोड़ टन से ज्यादा है. 

कृषि मंत्नी नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक सभी प्रमुख फसलों के एमएसपी में उत्साहजनक वृद्धि, पीएम किसान के मार्फत जनवरी 2022 तक 11.30 करोड़ से अधिक किसानों को 1.82 लाख करोड़ रुपयों की सराहनीय आर्थिक मदद, कृषि क्षेत्न में शोध एवं नवाचार को बढ़ावा और कृषि विकास की विभिन्न योजनाओं से कृषि क्षेत्न में उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है.

गौरतलब है कि पिछले दो वर्ष 2020 और 2021 में भी कोविड-19 की चुनौतियों के बीच अर्थव्यवस्था के दूसरे सेक्टरों में भारी गिरावट के बीच कृषि ही एकमात्न ऐसा क्षेत्न रहा है जिसने लगातार वृद्धि हासिल की है. निश्चित रूप से वर्ष 2022 में जबर्दस्त कृषि उत्पादन और अच्छा मानसून देश के आर्थिक-सामाजिक सभी क्षेत्नों के लिए लाभप्रद होगा. नि:संदेह रूस और यूक्रेन संकट के साथ-साथ खाद्य मांग बढ़ने की अन्य वैश्विक चुनौतियों के बीच खाद्य पैदावार बढ़ाने के मद्दनेजर विगत एक फरवरी 2022 को वित्त मंत्नी निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत आगामी वित्त वर्ष 2022-23 का बजट अहम भूमिका निभाते हुए दिखाई दे सकता है. 

छोटे किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कृषि सुधारों को व्यापक प्रोत्साहन दिया गया है. कृषि और कृषक कल्याण योजनाओं का कुल बजट इस बार 1.24 लाख करोड़ रुपए रखा गया है जो पिछले बजट की तुलना में करीब छह हजार करोड़ रु. ज्यादा है. नए बजट के तहत किसानों को कम समय के लिए कर्ज उपलब्ध कराने के लिए 19500 करोड़ रुपए का आवंटन सुनिश्चित किया गया है. न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर किसानों की चिंता को कम करने की कोशिश नए बजट में की गई है. एमएसपी पर खरीदारी का लक्ष्य 2.37 लाख करोड़ रुपए रखा गया है. सरकारी फसल खरीद की ये रकम सीधे किसानों के खाते में भेजी जाएगी. नए बजट में प्राकृतिक खेती और मांग आधारित खेती को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष घोषणा की गई है.

नि:संदेह इन विभिन्न अनुकूलताओं से इस वर्ष 2022 में रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन देश की नई आर्थिक शक्ति बन सकता है. दुनिया को 25 फीसदी से अधिक गेहूं का निर्यात करने वाले रूस और यूक्रेन के युद्ध में फंस जाने के कारण भारत के करीब 2.42 करोड़ टन के विशाल गेहूं भंडार से गेहूं के अधिक निर्यात की संभावनाओं को मुट्ठियों में लिया जा सकेगा. 

खासतौर से भारत को गेहूं निर्यात के लिए मिस्र, बांग्लादेश और तुर्की जैसे देशों को बड़ी मात्ना में निर्यात पूरा करने का मौका मिलेगा. अब भारत के द्वारा चावल, बाजरा, मक्का और अन्य मोटे अनाज के निर्यात में भी भारी वृद्धि का नया अध्याय लिखा जा सकेगा. अनुमान है कि आगामी वर्ष 2022-23 में कृषि निर्यात 55-60 अरब डॉलर मूल्य की ऊंचाई पर पहुंच सकता है.

यद्यपि इस समय देश के कृषि परिदृश्य पर विभिन्न अनुकूलताएं हैं, लेकिन कृषि क्षेत्न को देश की नई आर्थिक शक्ति बनाने के लिए कई बातों पर विशेष ध्यान देना होगा. सरकार के द्वारा कृषि उपज का अच्छा विपणन सुनिश्चित किया जाना होगा. खराब होने वाले कृषि उत्पादों जैसे फलों और सब्जियों के लिए लॉजिस्टिक्स सुदृढ़ किया जाना होगा. 

साथ ही वर्ष 2022 में किसान ट्रेनों के माध्यम से कृषि एवं ग्रामीण विकास को नया आयाम देना होगा. अच्छे कृषि बुनियादी ढांचे से फसल तैयार होने के बाद होने वाले नुकसान में कमी आ सकेगी. अब कृषि निर्यात के डगर पर दिखाई दे रहे कई अवरोध भी दूर किए जाने होंगे. प्राकृतिक खेती को आगे बढ़ाने के लिए सीड टेक्नोलॉजी अपनाने पर आगे बढ़ना होगा. खाद्यान्न के रिकॉर्ड उत्पादन के साथ-साथ तिलहन के अधिकतम उत्पादन पर फोकस करना होगा. भंडारण सुविधा बढ़ानी होगी.

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