ब्लॉग: ऐसे तो सुरक्षित नहीं बन पाएगा सड़क का सफर!
By राजकुमार सिंह | Published: March 11, 2024 11:04 AM2024-03-11T11:04:33+5:302024-03-11T11:06:49+5:30
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2022 में देश में हुई 461312 सड़क दुर्घटनाओं में 168491 लोग मारे गए, इनके अलावा 443366 लोग घायल भी हुए।
ट्रांसपोर्टर्स और ट्रक चालकों की हड़ताल से चुनावी दबाव में हिट एंड रन मामलों में सख्त सजावाले प्रावधान को लागू करने पर फिलहाल रोक लग गई है, पर भारत में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं और उनमें रिकॉर्ड मौतों का सवाल मुंह बाए खड़ा है। बेशक सवाल नया नहीं है, पर असहज सवालों से मुंह चुराने की हमारी आदत भी पुरानी है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2022 में देश में हुई 461312 सड़क दुर्घटनाओं में 168491 लोग मारे गए, इनके अलावा 443366 लोग घायल भी हुए।
2021 के मुकाबले 2022 में सड़क दुर्घटनाओं में 12 प्रतिशत की वृद्धि बताती है कि साल-दर-साल सड़क हादसे बढ़ते ही जा रहे हैं। जब हादसे बढ़ रहे हैं तो मृतक और घायल संख्या भी बढ़ रही है। 2021 के मुकाबले 2022 में मृतक संख्या 9.4 प्रतिशत बढ़ी तो घायलों की संख्या भी 15.3 प्रतिशत बढ़ी। 2022 में भारत में हर दिन औसतन 462 लोगों ने सड़क हादसों में अपनी जान गंवाई यानी हर घंटे 19 लोग मारे गए। सबसे ज्यादा 13.9 प्रतिशत हादसे तमिलनाडु में हुए, लेकिन सबसे ज्यादा यानी 13.4 प्रतिशत मौतें उत्तर प्रदेश में हुईं। अगर हादसे और उनमें मौतें लगातार बढ़ रही हैं तो मूल सवाल कारणों की सही पहचान और उनके वास्तविक निदान के कारगर प्रयासों पर ही उठता है।
खुद सरकार की एक रिपोर्ट बताती है कि सड़क हादसों में होनेवाली 10 में से सात यानी 70 प्रतिशत मौतों का कारण ओवर स्पीडिंग है। इधर राजमार्गों पर कैमरे लगाने के काम में तेजी आई है, पर क्या आधुनिकीकरण के नाम पर वाहनों की रफ्तार क्षमता में लगातार वृद्धि विरोधाभासी ही नहीं है? गाड़ियों की रफ्तार क्षमता लगातार बढ़ाए जाने के बीच तेज रफ्तार ड्राइविंग न करने की सलाह देते विज्ञापन से हम किसे धोखा दे रहे हैं?
नशे में ड्राइविंग भी सड़क हादसों का बड़ा कारण माना जाता है, पर एक ओर सरकार नशे में ड्राइविंग न करने की नसीहत का प्रचार करती है, तो दूसरी ओर ठेकों और बार में शराब की उपलब्धता देर रात तक बढ़ाई जा रही है? आंकड़ों के मुताबिक 5.2 प्रतिशत मौतें गलत दिशा से यानी रांग साइड ड्राइविंग से होती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों की बात तो छोड़िए, व्यस्त शहरों तक में इस प्रवृत्ति पर रोक लगाने में ट्रैफिक पुलिस नाकाम नजर आती है। जगह-जगह डिवाइडर तोड़ कर अवैध कट बना लिए जाते हैं।
यह आंकड़ा सरकारी दावों और जिम्मेदार नागरिक-चरित्र, दोनों पर ही बड़ा सवालिया निशान है कि सड़क हादसों में दुनिया में सबसे ज्यादा मौतें भारत में होती हैं, जबकि दुनिया भर में मौजूद वाहनों की संख्या का मात्र एक प्रतिशत ही भारत में है। विश्व बैंक के एक अध्ययन के मुताबिक भारत में सड़क हादसों में होनेवाली मौतें देश की अर्थव्यवस्था पर जीडीपी के पांच से सात प्रतिशत तक असर डाल रही हैं।