सिर्फ सरकार ही क्यों, प्रदूषण को रोकने के लिए हम खुद क्यों नहीं कुछ करते?

By गुलनीत कौर | Updated: June 16, 2018 16:32 IST2018-06-16T16:32:26+5:302018-06-16T16:32:26+5:30

दिल्ली में 12 जून से जब हवाएं पश्चिम और उत्तर पश्चिम दिशा में चलने लगीं तो धूल के ये कण हवा में मिलकर दिल्ली-एनसीआर में भी आ गए। हवा में केवल धूल ही नहीं, गर्मी भी अचानक बढ़ गयी।

Recent Delhi pollution causes and how to tackle with it | सिर्फ सरकार ही क्यों, प्रदूषण को रोकने के लिए हम खुद क्यों नहीं कुछ करते?

सिर्फ सरकार ही क्यों, प्रदूषण को रोकने के लिए हम खुद क्यों नहीं कुछ करते?

दिल्ली-एनसीआर के इलाके में दिसम्बर से जनवरी के महीने में कोहरा छाने लगता है। दूर-दूर तक कुछ भी दिखाई नहीं देता है, फिर भी लोग परेशान होने की बजाय खुश होते हैं और इस सुहाने मौसम का आनंद लेते हैं। लेकिन जून महीने की इस गर्मी में इस साल पहली बार कुछ ऐसा धुंधला दृश्य दिल्ली के लोगों को देखने को मिला। बाहर निकलते ही सड़क पर कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। कहाँ सर्दियों के महीने का कोहरा और कहाँ जून में यह धुंधलाहट, दोनों में जब मौसम का इतना फर्क था तो लोगों के चेहरे पर भी वह अंतर दिखाई दिया। खुशी की बजाय उदासी, गुस्सा और माथे पर परेशानी की लकीरें थीं क्योंकि यह ठंडे मौसम की धुंध नहीं, बल्कि हवा में उड़ती गंदी धूल थी, जो ना केवल आंखों को बल्कि स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचा रही थी। 

मौसम विभाग के मुताबिक दिल्ली समेत उत्तरपश्चिम भारत के कई हिस्सों में ऐसे हालात पैदा हुए। इसे देख हर किसी के मन में एक ही सवाल था कि आखिर अचानक ये धूल की चादर आई कहां से है? बहुत जांच पड़ताल के बाद मौसम विभाग ने इसका कारण बताया जिसे जान कुछ मिनटों ताकि विश्वास कर पाना मुश्किल हुआ। विभाग की मानें तो यह धूल-मिट्टी राजस्थान से उठी और पूरे उत्तरपश्चिम भारत को इसने अपनी चपेट में ले लिया। दरअसल, राजस्थान में हवाओं की तेज रफ्तार के साथ हीट वेव चलने लगी। बारिश नहीं होने से धूल में नमी की कमी के कारण वह उठकर ऊपरी सतह पर उड़ने लगी। जैसे ही तेज हवाएं चलीं तो यह धुल भी हवा के साथ आगे बड़ी और धीरे-धीरे हवा में धूल के ये कण उत्तर पश्चिम भारत के कई हिस्सों में पहुंच गए। 

दिल्ली में 12 जून से जब हवाएं पश्चिम और उत्तर पश्चिम दिशा  में चलने लगीं तो धूल के ये कण हवा में मिलकर दिल्ली-एनसीआर में भी आ गए। हवा में केवल धूल ही नहीं, गर्मी भी अचानक बढ़ गयी। परिणामस्वरूप गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ गई। 2 दिनों तक तो दिल्ली वालों ने जैसे-तैसे इस दिक्कत को झेला, लेकिन परेशानी का असली कारण जानने के बाद लोगों ने सरकार को कोसना शुरू कर दकिया और इस मुसीबत से बाहर आने के लिए जल्द से जल्द समाधान भी मांगा। लेकिन मेरा यह सवाल है कि क्या हमारे स्वस्थ वातावरण के लिए केवल सर्कार ही जिम्मेदार है? क्या हमें स्वयं कुछ उपाय नहीं करने चाहिए? जिस घर, मोहल्ले में हम रह रहे हैं, जिस सड़क पर हम चल रहे हैं, क्या उसे सही रखने में हम मदद नहीं कर सकते हैं? 

हर साल सर्दी में दिल्ली-एनसीआर के इलाके में ना केवल धुंध बल्कि पर्दूषण से भरी धुंध होती है। और इस बार गर्मियों में भी वाताव अरण में यह अजीब बदलाव देखने को मिला। फिर भी लोग खुद से इसे ठीक काढ़ने को कुछ नहींह करते हैं। दिल्ली-एनसीआर के लोग आज भी कुछ ऐसे काम कर रहे हिहं जो वातावरण को भारी नुकसान पहुंचाते हैं, जैसे कि-
- घर के आसपास साफ सफाई ना रखना
- घर-मोहल्ले, सड़क आदि पर पेड़-पौधे ना लगाना
- एक घर में एक से अधिक गाड़ियां होना
- पानी का सही इस्तेमाल ना करना
- घर की गाड़ियों, आँगन को पानी से रोज धोना
- चीजों को रीसायकल का करना
- इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का अधिक से अधिक इस्तेमाल करना

सरकार को दोष देना काफी आसान है लेकिन जब तक हम खुद ही जागरूक होकर समस्या का समाधान नहीं निकालेंगे, तब तक कोई बड़ा बदलाव नहीं आएगा। सोचिये अगर दिल्ली में 10 में से 9 लोग भी अपने घरों और आसपास के इलाके को पेड़-पौधे लगाकर भर दें, तो कुछ ही दिनों में हवा स्वच्छ हो जाएगी। इसके अलावा पानी को बचानकर और उसे स्वच्छ रखकर भी हम पर्यावरण संरक्षण की ओर एक गहरा कदम बढाते हैं। फिर हमें ना तो सर्दियों में हवा में वाटर टैंकर से बारिश करने की जरूरत है, और ना ही सरकार द्वारा वातावरण को स्वच्छ बनाने का दावा अकरने वाली किसी बनावटी मुहीम की आवश्यक्ता है। 

 

Web Title: Recent Delhi pollution causes and how to tackle with it

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