Rajiv Gandhi: पहले ही भांप ली थीं 21वीं सदी की चुनौतियां?, देश को नई अर्थनीति व विदेश नीति

By कृष्ण प्रताप सिंह | Updated: August 20, 2025 05:30 IST2025-08-20T05:30:03+5:302025-08-20T05:30:03+5:30

Rajiv Gandhi: इंदिरा गांधी राजनीति के प्रति राजीव की वितृष्णा के मद्देनजर ही अपनी राजनीतिक विरासत छोटे बेटे संजय को सौंपने वाली थीं.

Rajiv Gandhi 20 august 1944 birth anniversary challenges 21st century already sensed blog Krishna Pratap Singh | Rajiv Gandhi: पहले ही भांप ली थीं 21वीं सदी की चुनौतियां?, देश को नई अर्थनीति व विदेश नीति

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Highlights‘राजीवरत्न’ नाम रखा था, जो बाद में सिर्फ ‘राजीव’ रह गया.राजनीतिक विरासत के बावजूद कहते हैं कि राजीव की राजनीति में कतई रुचि नहीं थी. संजय की खाली हुई अमेठी सीट का उपचुनाव जीतकर लोकसभा में पहुंचे.

लिट्टे के घातक आतंकवाद ने बरबस हमसे छीन नहीं लिया होता और हमारे सातवें (और अब तक के सबसे युवा) प्रधानमंत्री राजीव गांधी हमारे बीच होते तो 81 साल के होते. 1944 में 20 अगस्त को यानी आज के ही दिन मुंबई में श्रीमती इंदिरा नेहरू व फिरोज जहांगीर की पहली संतान के रूप  में उनका जन्म हुआ तो नाना पंडित जवाहरलाल नेहरू के खास अनुरोध पर उनका नामकरण आचार्य नरेन्द्र देव ने किया था. उन आचार्य नरेन्द्र देव ने, जो बाद में भारतीय समाजवाद के पितामह कहलाए. अलबत्ता, उन्होंने उनका ‘राजीवरत्न’ नाम रखा था, जो बाद में सिर्फ ‘राजीव’ रह गया.

राजनीतिक विरासत के बावजूद कहते हैं कि राजीव की राजनीति में कतई रुचि नहीं थी. हम जानते हैं कि इंदिरा गांधी राजनीति के प्रति राजीव की वितृष्णा के मद्देनजर ही अपनी राजनीतिक विरासत छोटे बेटे संजय को सौंपने वाली थीं. लेकिन 23 जून, 1980 को विमान दुर्घटना में संजय के देहांत के बाद उन्होंने राजीव को उनका स्थानापन्न बनने के लिए राजी कर लिया.

लेकिन अभी वे संजय की खाली हुई अमेठी सीट का उपचुनाव जीतकर लोकसभा में पहुंचे और राजनीतिक भविष्य के लिए खुद को तैयार कर ही रहे थे कि 31 अक्तूबर, 1984 का काला दिन आ पहुंचा, जब  इंदिरा गांधी की हत्या हो गई. फिर तो राजीव ने अत्यंत असामान्य परिस्थितियों में देश के सातवें और सबसे युवा प्रधानमंत्री का कांटों भरा ताज अपने सिर पर रखा.

राजीव ने नए वैकल्पिक नजरिये के साथ  इक्कीसवीं सदी की चुनौतियों को भांपकर देश को उनके लिए तैयार करना शुरू कर दिया. अनंतर, उन्होंने लालफीताशाही वाली पारम्परिक समाजवादी नीतियों की जगह देश को नई अर्थनीति व विदेश नीति दी, जो देश में उदारीकरण का प्रस्थानबिंदु सिद्ध हुई.

1986 में उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के रास्ते युवा पीढ़ी को आधुनिक व वैज्ञानिक नजरिये से सम्पन्न करने की शुरुआत की तो नवोदय विद्यालयों की परिकल्पना भी साकार की. जो कम्प्यूटरीकरण अब हमारी अनेक सुविधाओं का हेतु बन गया है, अपने प्रधानमंत्रीकाल में उन्होंने उसका आह्वान किया तो वे सारे विपक्षी दलों के निशाने पर आ गए थे.

उस वक्त वे विपक्ष द्वारा अपनी नाक में किया जा रहा दम बर्दाश्त न कर कम्प्यूटरीकरण की नीति से पीछे हट जाते तो क्या देश कम्प्यूटर क्रांति देख पाता? इस लिहाज से देखें तो बहुत संभव है कि आने वाला समय हमें उनके दूसरे कदमों की बाबत भी नई सोचों तक ले जाए. वैसे भी शायर ने गलत नहीं कहा है- हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमी, जिसको भी देखना तो कई बार देखना.  

Web Title: Rajiv Gandhi 20 august 1944 birth anniversary challenges 21st century already sensed blog Krishna Pratap Singh

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