रहीस सिंह का ब्लॉग: अमेरिका-ईरान तनाव से भारतीय हित होंगे प्रभावित

By रहीस सिंह | Published: January 22, 2020 05:26 AM2020-01-22T05:26:06+5:302020-01-22T05:29:21+5:30

भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह होगी कि वह कैसे अमेरिका और ईरान के बीच संतुलन स्थापित करे क्योंकि भारत के लिए दोनों ही देश महत्वपूर्ण हैं और दोनों के साथ बहुत अच्छे रिश्ते हैं.

Rahees Singh blog: Indian interests will be affected by US-Iran tension | रहीस सिंह का ब्लॉग: अमेरिका-ईरान तनाव से भारतीय हित होंगे प्रभावित

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। (फाइल फोटो)

अमेरिका द्वारा ईरान के रिवाल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प के चीफ कासिम सुलेमानी की हत्या के बाद से अमेरिका और ईरान के बीच शुरू हुआ तनाव खाड़ी क्षेत्र में युद्धोन्मादी वातावरण को बढ़ा रहा है. हालांकि ईरान द्वारा की गई प्रतिक्रिया के बाद लगा था कि चीजें धीरे-धीरे ठीक हो रही हैं लेकिन बगदाद स्थित अमेरिकी दूतावास के बाहर दागे गए तीन रॉकेटों से यह संकेत मिलता है कि चीजें अभी सामान्य से बहुत दूर हैं. ध्यान रहे कि पिछले दिनों हिजबुल्ला विद्रोहियों द्वारा इराक में अमेरिकी दूतावास पर रॉकेट से हमलों के बाद अमेरिका ने बगदाद के अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर हवाई हमला कर ईरान के शीर्ष कमांडर जनरल कासिम सुलेमानी और कुर्दशि विद्रोहियों के कमांडर को मार गिराया था. तो क्या आने वाले समय में खाड़ी एक नए युद्ध का मैदान बन सकती है? सवाल यह भी है कि खाड़ी में इस तरह की जो भी स्थितियां बनी हैं या आगे बनेंगी उनका भारत और ईरान के संबंधों पर प्रभाव क्या पड़ेगा? ये भारत के आर्थिक हितों को किस तरह से प्रभावित करेंगी?

डोनॉल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के साथ ही अमेरिका-ईरान संबंध 180 डिग्री विपरीत दिशा में घूम गए थे. इसके बाद दोनों के बीच दूरियां बढ़ती गईं और खाइयां गहरी होती गईं. लेकिन ऐसा नहीं लग रहा था कि अमेरिका उस समय दुनिया को किसी युद्ध की ओर ले जाने का कार्य करेगा जब दुनिया आर्थिक मंदी की चपेट में हो और क्षेत्रीय असंतुलनों से गुजर रही हो. हालांकि उन्होंने दुनिया की परवाह किए बगैर ऐसा किया क्योंकि इससे उनके अपने राजनीतिक हित जुड़े हुए हैं. यही वजह है कि अभी इससे जुड़ी आशंकाओं के समाप्त होने की संभावनाएं कम दिख रही हैं इसलिए अब उस कैलकुलस पर ध्यान देने की आवश्यकता है जो भारत के कूटनीतिक और आर्थिक पहलुओं से जुड़ा है.

भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह होगी कि वह कैसे अमेरिका और ईरान के बीच संतुलन स्थापित करे क्योंकि भारत के लिए दोनों ही देश महत्वपूर्ण हैं और दोनों के साथ बहुत अच्छे रिश्ते हैं. जहां तक आर्थिक पक्षों की बात है तो इस समय की रिपोर्र्टें बता रही हैं कि ईरान और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव के कारण दुनिया के कई हिस्सों में तेल की आपूर्ति बाधित होने का खतरा मंडरा रहा है. जाहिर है तेल आयात पर निर्भर अर्थव्यवस्थाओं को झटका लगेगा, जिनमें भारत भी शामिल है. अब तक की जानकारी के अनुसार भारत यूरोपीय देशों के साथ काफी पहले से ही इस वार्ता को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहा है कि वह ईरान से जितनी मात्र में तेल खरीदता था, उतनी ही मात्र की खरीदारी कई अन्य देशों को मिला कर करे जिससे ‘क्रूड बास्केट’ का विस्तार हो. भारत अन्य तेल उत्पादक देशों के साथ-साथ चीन व जापान के भी संपर्क में है ताकि आपस में क्रूड की स्वैपिंग हो सके.

Web Title: Rahees Singh blog: Indian interests will be affected by US-Iran tension

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