राफेल सौदा: PM मोदी की चुप्पी ने बेजान नेताओं की आवाज में जान डाली, अब सच आए सामने
By वेद प्रताप वैदिक | Published: October 12, 2018 05:43 AM2018-10-12T05:43:21+5:302018-10-12T05:43:21+5:30
अदालत का यह तर्क समझने में मुझे कुछ दिक्कत हो रही है। माना कि राफेल विमान की कुछ खर्चीली और अतिरिक्त सामरिक विशेषताओं को सरकार गोपनीय रखना चाहती है तो जरूर रखे लेकिन उसे मोटे तौर पर जनता को यह बताना चाहिए कि वह इन 36 विमानों के 60 हजार करोड़ रुपए क्यों दे रही है?
वेदप्रताप वैदिक
सर्वोच्च न्यायालय ने राफेल-सौदे पर उंगली उठा दी है। उसने सरकार से यह पूछा है कि वह उसे सिर्फ यह बताए कि इन विमानों की खरीद का फैसला कैसे किया गया है? अदालत को इससे मतलब नहीं कि इन विमानों को कितना पैसा देकर खरीदा गया है और तकनीकी दृष्टि से ये कितने शक्तिशाली हैं।
अदालत का यह तर्क समझने में मुझे कुछ दिक्कत हो रही है। माना कि राफेल विमान की कुछ खर्चीली और अतिरिक्त सामरिक विशेषताओं को सरकार गोपनीय रखना चाहती है तो जरूर रखे लेकिन उसे मोटे तौर पर जनता को यह बताना चाहिए कि वह इन 36 विमानों के 60 हजार करोड़ रुपए क्यों दे रही है?
यदि इसे वह छुपाएगी तो यह बोफोर्स से हजार गुना बड़ा भ्रष्टाचार बनकर उसके गले की चट्टान बन जाएगा। वह सिर्फ 60 करोड़ का था। यह 60 हजार करोड़ का है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी ने बेजान नेताओं की आवाज में जान डाल दी है। बोफोर्स के बंद मामले को फिर से अदालत में ले जाने और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण को इस वक्त पेरिस भेजने से इस सौदे में भ्रष्टाचार का शक बढ़ गया है।
फ्रांसीसी अखबारों में पहले पूर्व राष्ट्रपति ओलांद और अब दसाल्ट कंपनी के अधिकारियों के बयान छपे हैं, जो कहते हैं कि अनिल अंबानी की कंपनी को बिचौलिया बनाने का प्रस्ताव भारत सरकार का ही था।
क्या प्रधानमंत्री मोदी या तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने अंबानी का नाम लिखकर दसाल्ट कंपनी को दिया होगा? ऐसे घपले कलम से नहीं होते, मुंह से होते हैं। अदालत शायद सरकार का कान पकड़ने की कोशिश कर रही है, वह भी सीधे नहीं, अपने हाथ को घुमा-फिराकर। लोग सारी बात अपने आप समझ जाएंगे।