ब्लॉग: छोटे दलों पर निर्भर होती जा रही है बड़े दलों की राजनीति
By राजकुमार सिंह | Updated: July 15, 2023 15:21 IST2023-07-15T15:19:39+5:302023-07-15T15:21:02+5:30
मुकेश सहनी की वीआईपी, उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी और जीतन राम मांझी के हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा को एनडीए में लाने की तैयारी हो चुकी है. एलजेपी का पशुपति नाथ पारस गुट एनडीए में है, अब चिराग पासवान गुट को भी लाने की तैयारी है।

फोटो क्रेडिट- फाइल फोटो
लोकसभा चुनाव लगभग दस महीने दूर हैं, पर दोनों ओर मोर्चाबंदी की कवायद बताती है कि कोई भी पक्ष जोखिम नहीं उठाना चाहता। विपक्ष को तो पिछले नौ साल से अहसास है कि बिना एकता नरेंद्र मोदी की भाजपा का मुकाबला संभव नहीं, अब सत्तारूढ़ भाजपा को भी अपने गठबंधन (एनडीए) का कुनबा बढ़ाने की जरूरत महसूस हो रही है।
एनडीए के घटक दलों और संभावित मित्र दलों की बैठक भी 18 जुलाई को ही दिल्ली में बुलाई गई है। उसी दिन बेंगलुरु में विपक्षी एकता के लिए बैठक होगी।
इस बार विपक्ष की बैठक में पिछली बार के 15 के मुकाबले 24 दलों को आमंत्रित किया गया है। 17 जुलाई को विपक्षी नेताओं को रात्रिभोज के जरिये एकता की कवायद में सोनिया गांधी की एंट्री भी हो रही है। विपक्ष की एक बैठक 23 जून को पटना में हो चुकी है। औपचारिक रूप से एनडीए की यह पहली बैठक होगी, पर अनौपचारिक रूप से यह कवायद कई दिनों से जारी है।
शरद पवार की एनसीपी में विभाजन एनडीए का कुनबा बढ़ाने की भाजपाई कवायद का भी नतीजा है. उत्तर प्रदेश के बाद सबसे ज्यादा 48 लोकसभा सांसद महाराष्ट्र से ही आते हैं. पिछली बार भाजपा ने शिवसेना के साथ मिल कर चुनाव लड़ा था और 41 सीटें जीत कर गठबंधन ने शानदार प्रदर्शन किया था, पर इस बार वह विरोधी पाले में है.
पिछले साल शिवसेना में बड़ी टूट के जरिये उद्धव ठाकरे सरकार गिरा कर एकनाथ शिंदे भाजपा की मदद से मुख्यमंत्री बन चुके हैं. जाहिर है, विरोधियों को कमजोर करने और एनडीए का कुनबा बढ़ाने के रूप में भाजपा दोहरी रणनीति पर काम कर रही है.
कांग्रेस और आप की तल्खी के बीच हुई पटना बैठक में तो राज्यवार चुनावी रणनीति बनाने की बात ही हुई थी, भाजपा ने उस पर काम भी शुरू कर दिया है. विपक्षी एकता के सूत्रधार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के घर में भी सेंधमारी शुरू हो गई है.
बिहार से 40 लोकसभा सांसद चुने जाते हैं. पिछले चुनाव में नीतीश, भाजपा के दोस्त थे और एनडीए ने 39 लोकसभा सीटें जीती थीं. नीतीश के महागठबंधन में वापस चले जाने पर वह प्रदर्शन दोहरा पाना नामुमकिन है, पर अन्य छोटे दलों को एनडीए में शामिल कर भाजपा मुकाबले को कड़ा अवश्य बनाना चाहती है.
मुकेश सहनी की वीआईपी, उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी और जीतन राम मांझी के हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा को एनडीए में लाने की तैयारी हो चुकी है. एलजेपी का पशुपति नाथ पारस गुट एनडीए में है, अब चिराग पासवान गुट को भी लाने की तैयारी है. 18 जुलाई की बैठक में ये सब भाजपा के साथ दिख सकते हैं. अटकलें नीतीश के जदयू में सेंधमारी की भी हैं।