रमेश ठाकुर ब्लॉग: प्लास्टिक पर प्रतिबंध में सख्ती लाने की जरूरत
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: July 3, 2023 16:57 IST2023-07-03T16:55:48+5:302023-07-03T16:57:04+5:30
प्लास्टिक के इस्तेमाल को रोकने की दिशा में पड़ोसी देश बांग्लादेश हमसे कहीं आगे है. बांग्लादेश सन् 2002 में ही पतली प्लास्टिक थैलियों पर प्रतिबंध लगा चुका है. ऐसा करने वाला वह पूरी दुनिया का अव्वल मुल्क बन चुका है।

फाइल फोटो
बेशक औद्योगिक क्रांति के आधुनिक युग में प्लास्टिक वस्तुएं एक सस्ता और प्रचुर संसाधन हैं, पर इसके दुष्परिणाम एक नहीं, बल्कि कई हैं. ऐसा भी नहीं कि इन्हें हम जानते न हों लेकिन फिर भी हम अनदेखी कर आगे बढ़ रहे हैं.
पॉलीथिन थैलियों व प्लास्टिक बैग्स पर लगाम लगाने को लेकर अभियान समय-समय पर चलाए जाते हैं. लेकिन अक्सर देखने को मिलता है कि जैसे ही प्रतिबंध का असर कमजोर पड़ता है और प्रशासनिक धरपकड़ थोड़ी धीमी होती है तो उसके बाद प्लास्टिक वस्तुओं का इस्तेमाल और तेजी से होना आरंभ हो जाता है.
प्लास्टिक का इस्तेमाल मानव जनजीवन और बेजुबान जानवरों के लिए खतरनाक ही नहीं, जानलेवा भी हो सकता है. गाय, भैंस, बकरियां आदि बेजुबान जानवरों की मौत पॉलीथिन थैलियों के निगलने से होने लगी है. प्लास्टिक के इस्तेमाल से लोगों में विभिन्न किस्म के कैंसर भी होने लगे हैं. इसी से जागरूक करने के लिए हर साल 3 जुलाई को ‘अंतरराष्ट्रीय प्लास्टिक बैग मुक्त दिवस’ मनाया जाता है. इसे मनाने की शुरुआत वर्ष 2009 में यूरोप में की गई थी.
प्लास्टिक के इस्तेमाल को रोकने की दिशा में पड़ोसी देश बांग्लादेश हमसे कहीं आगे है. बांग्लादेश सन् 2002 में ही पतली प्लास्टिक थैलियों पर प्रतिबंध लगा चुका है. ऐसा करने वाला वह पूरी दुनिया का अव्वल मुल्क बन चुका है. प्लास्टिक की थैलियां विनाशकारी बाढ़ के दौरान जल निकासी प्रणालियों को अवरुद्ध करने में भी भूमिका निभाती हैं.
इस समस्या से बांग्लादेश खासा परेशान था. बांग्लादेश की देखादेखी दक्षिण अफ्रीका, रवांडा, चीन, ऑस्ट्रेलिया व इटली ने भी इसका अनुसरण किया. इन देशों ने भी अपने यहां प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया हुआ है.