लाइव न्यूज़ :

पीयूष पांडे का कॉलम: विदेशी ऐप, परदेसियों से न अंखियां मिलाना

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: July 4, 2020 17:20 IST

कार के कारखाने में जिस तरह कारों का निर्माण होता है, वैसे टिकटॉक फैक्ट्री में टिकटॉक सितारों का हो रहा था. हर गली मुहल्ले में दो-चार टिकटॉक स्टार घूम रहे थे.

Open in App

आनंद बख्शी साहब बहुत दूरदर्शी थे. बरसों बरस पहले टिकटॉक संकट पर एक महान रचना लिख गए. इसके शुरुआती बोल हैं- ‘परदेसियों से न अंखियां मिलाना, परदेसियों को है एक दिन जाना.’ अब देखिए, जिस-जिस ने परदेसी चीनी ऐप से दिल लगाया, वो परेशान हैं. जिन्होंने दिल नहीं लगाया, वो फेसबुक, ट्विटर वगैरह पर मजे ले रहे हैं.

 

(पीयूष पांडे)इस कविता में कवि बार-बार लोगों को चेता रहा है कि परदेसियों के चक्कर में मत फंसना. कवि एक जगह लिखता है- ‘प्यार से अपने ये नहीं होते. ये पत्थर हैं ये नहीं रोते. इनके लिए ना आंसू बहाना.’ लेकिन, कई लोग आंसू बहा रहे हैं. खासकर टिकटॉक स्टार. कार के कारखाने में जिस तरह कारों का निर्माण होता है, वैसे टिकटॉक फैक्ट्री में टिकटॉक सितारों का हो रहा था. हर गली मुहल्ले में दो-चार टिकटॉक स्टार घूम रहे थे. मार्क्‍सवादी देश का टिकटॉक समाजवाद को बढ़ावा दे रहा था, क्योंकि मेरे घर की कामवाली भी टिकटॉक स्टार थी. पत्नी खुलकर कह नहीं पाती थी, पर मुङो मालूम है कि कामवाली की बढ़ती लोकप्रियता से उसे ईष्र्या थी. टिकटॉक पर प्रतिबंध के बाद पत्नी खुश है और वो इसे ‘ईश्वर के घर देर है अंधेर नहीं’ वाले इंसाफ से जोड़ रही है.

वैसे, टिकटॉक पर पैदा होते सितारों से सरकार भी खुश थी. जिस तरह नशे के शौकीन को दिन-भर नशा मिलता रहे तो वो कोई दूसरी शिकायत नहीं करता, वैसे ही टिकटॉक वीडियो बनाने वाला बंदा दिन भर वीडियो बनाने के चक्कर में काम नहीं मांगता था. सरकार से कुछ भी मांगो, बस काम मत मांगो. सरकार को काम मांगने वाले लोग अच्छे नहीं लगते. टिकटॉक के मामले में सरकार को दो फायदे थे. पहला, बंदा टिकटॉक वीडियो बनाने में इतना व्यस्त रहता था कि घरवालों को भले उसकी चिंता हो जाए, उसे काम की चिंता नहीं होती थी. दूसरा, यदा-कदा कोई बंदा काम मांग भी ले तो सरकार दो-टूक कह सकती थी- ‘दिया तो है बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम. उसे करो. बनाओ वीडियो और छा जाओ.’

मैं कंफ्यूज हूं कि अब क्या होगा? टिकटॉक के ग्राहक अब क्या करेंगे?  कहीं कोई मोर्चा, संगठन या दल न बना लें? देश में 12 करोड़ टिकटॉक उपयोगकर्ता थे. 12 करोड़ वोट तो बड़ी पार्टियों को नहीं मिल रहे. सब साथ आ गए तो खुद सरकार बना सकते हैं. टिकटॉक सरकार. जो जितना बड़ा स्टार, उसे उतना बड़ा पद. लोकतांत्रिक ढंग से इस सरकार का मुखिया चुन लिया जाएगा. मुहल्ले का टिकटॉक स्टार पार्षद हो लेगा. इलाके का विधायक. मुङो डर है कि काइयां चीन भी फंडिंग की सोच सकता है. फंडिंग-फंडिंग खेलते हुए ही तो चीन ने नेपाल को अपने पाले में मिला लिया है.

टॅग्स :टिक टोकटिक टॉकचीन
Open in App

संबंधित खबरें

विश्वदुनियाभर में आफत?, हांगकांग में आग, 128 मरे, थाईलैंड में बाढ़ से 145 की मौत और श्रीलंका में बाढ़-भूस्खलन से 56 की मौत

विश्वHong Kong Fire: भीषण आग की चपेट में दर्जनों जिंदगियां, हांगकांड में इमारतों में लगी आग में मरने वालों की संख्या 94 हुई, कई लोग अब भी लापता

विश्वHong Kong fire: मरने वालों की संख्या बढ़कर 65, 279 लोग अब भी लापता, अस्पताल में जूझ रहे 68

भारतविश्व मुक्केबाजी कप फाइनल्स में 20 पदक, सोना ही सोना?, 09 स्वर्ण, 06 रजत और 05 कांस्य, भारतीय मुक्केबाजों ने चीन और इटली को धुना

कारोबारPM Modi in Bhutan: पीएम मोदी की भूटान यात्रा का चीन पहलू 

भारत अधिक खबरें

भारतशशि थरूर को व्लादिमीर पुतिन के लिए राष्ट्रपति के भोज में न्योता, राहुल गांधी और खड़गे को नहीं

भारतIndiGo Crisis: सरकार ने हाई-लेवल जांच के आदेश दिए, DGCA के FDTL ऑर्डर तुरंत प्रभाव से रोके गए

भारतबिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र हुआ अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित, पक्ष और विपक्ष के बीच देखने को मिली हल्की नोकझोंक

भारतBihar: तेजप्रताप यादव ने पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास के खिलाफ दर्ज कराई एफआईआर

भारतबिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम हुआ लंदन के वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज, संस्थान ने दी बधाई