Paris Olympics 2024: भारतीय एथलीटों का 117 सदस्यीय दल, जिनमें 47 महिलाएं शामिल थीं, पेरिस ओलंपिक-2024 में पिछले खेल महाकुंभ के मुकाबले तमगों की तादाद दुगुनी करने के लक्ष्य के साथ उतरा था, जो हो नहीं सका. 2020 टोक्यो ओलंपिक में भारत ने एक स्वर्ण पदक समेत कुल सात पदकों की कमाई की थी. इस बार 14 न सही लेकिन 10 पदकों की उम्मीद तो हर किसी को थी, लेकिन वास्तव में छह पदक ही मिल पाए और उसमें स्वर्ण नहीं है. फाइनल मुकाबले के लिए पहलवान विनेश फोगाट का वजन अगर 100 ग्राम अतिरिक्त न होता तो कुश्ती में एक पदक वह जीत सकती थीं और छह पदकों में कम से कम एक रजत पदक का इजाफा और हो जाता. लेकिन अब जो आंकड़ा है उसे स्वीकार करना ही होगा.
भारतीय दल के पिछले ओलंपिक प्रदर्शन पर गौर करें तो हमारे एथलीटों के प्रदर्शन में निरंतर सुधार दिखाई दिया है. 2008 बीजिंग ओलंपिक से स्थिति बेहतर हुई है, जहां तीन पदक भारतीय दल ने जीते थे. 2012 लंदन ओलंपिक में पदकों की संख्या दुगुनी यानी छह हो गई लेकिन चार साल बाद 2016 के रियो ओलंपिक में हमारे एथलीट केवल दो ही पदक जीत सके.
2020 टोक्यो ओलंपिक में पदकों की संख्या सात हो गई. भारतीय एथलीटों से प्रदर्शन का स्तर और उन्नत कर सात से अधिक पदक जीतने की उम्मीद थी. पदक तालिका में 71वें स्थान के साथ भारत का अभियान समाप्त हुआ. ओलंपिक में इस भारतीय दल की विफलता पर हर तरफ से रोना रोया जा रहा है लेकिन दर्द इस बात का है कि ओलंपिक जैसी खेल प्रतियोगिता को भारत में खेलों के कर्ताधर्ता गंभीरता से कब लेंगे. क्या ओलंपिक के बहाने आयोजन स्थल की तफरीह करना उनका उद्येश्य होता है?
पेरिस ओलंपिक में भारत के खिलाड़ी 117 थे और अफसर थे 140. प्रदर्शन रहा टोक्यो ओलंपिक की तुलना में कमजोर. इससे क्या निष्कर्ष निकाला जा सकता है? बहरहाल तारीफ करनी होगी मनु भाकर और विनेश फोगाट की, जो प्रतिकूल हालात से जूझने के बावजूद पदक तक पहुंचीं.
टोक्यो ओलंपिक में मनु की पिस्टल में तकनीकी खराबी आ जाने से वह संभावित पदक से चूक गई थीं लेकिन पेरिस में महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल में और सरबजोत सिंह के साथ 10 मीटर एयर पिस्टल मिश्रित टीम स्पर्धा में कांस्य पदक जीते. विनेश को तो अपने ही महासंघ के मुखिया के खिलाफ सड़क पर उतरना पड़ा था, लड़ना पड़ा था.
इसके बावजूद वह 50 किलोग्राम वजन वर्ग के फाइनल तक पहुंचीं. हॉकी के प्रदर्शन को टोक्यो का एक्शन रिप्ले कहा जा सकता है जिसने दोनों जगह कांस्य पदक जीते. लेकिन महाराष्ट्र के कुसाले ने निशानेबाजी में कांस्य तथा पहलवान अमन सहरावत ने कांस्य जीतकर नई उम्मीद जगा दी है. भारत में प्रतिभाओं की कमी हरगिज नहीं है, जरूरत है समुचित और योग्य दिशा में खिलाड़ियों के मार्गदर्शन की.
बेहतर से बेहतरीन होने के लिए टॉप्स या खेलो इंडिया या विदेशी कोच या विदेश में अभ्यास ही पर्याप्त नहीं है. ओलंपिक में प्रतिद्वंद्विता कितनी कड़ी होती है यह शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता. उस प्रतिद्वंद्विता में बने रहने के लिए अधिक प्रयास जरूरी हैं. खिलाड़ियों में जीत का जज्बा पैदा करना जरूरी है.