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निशांत का ब्लॉग: मौसम की हर असामान्य घटना जलवायु परिवर्तन का परिणाम नहीं

By निशांत | Updated: February 23, 2023 12:19 IST

हाल के दिनों में कई लोगों ने प्राकृतिक परिवर्तनशीलता के प्रभाव को नजरअंदाज करते हुए जलवायु परिवर्तन को हर मौसम की विसंगति का श्रेय देना शुरू कर दिया है.

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ठळक मुद्देमौसम हमेशा एक जटिल और बदलने वाली प्रणाली रही है, जो प्राकृतिक और मानवजनित दोनों तरह के कई कारकों से प्रभावित है.ध्यान रहे कि कुछ मौसम संबंधी घटनाएं प्राकृतिक खतरों का भी परिणाम होती हैं, जैसे कि तूफान, बवंडर और भूकंप.

भारतीयमौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने महाराष्ट्र और गुजरात समेत देश के कई हिस्सों में लू का अलर्ट जारी किया है. कोंकण क्षेत्र पर एक पश्चिमी विक्षोभ की उपस्थिति सहित कारकों के संयोजन के कारण अलर्ट जारी किया गया है, जिससे हवा के पैटर्न में बदलाव हो रहा है और लंबे समय तक शुष्क मौसम बना हुआ है. 

मौसम हमेशा एक जटिल और बदलने वाली प्रणाली रही है, जो प्राकृतिक और मानवजनित दोनों तरह के कई कारकों से प्रभावित है. हालांकि हाल के दिनों में कई लोगों ने प्राकृतिक परिवर्तनशीलता के प्रभाव को नजरअंदाज करते हुए जलवायु परिवर्तन को हर मौसम की विसंगति का श्रेय देना शुरू कर दिया है.

जलवायु परिवर्तन एक गंभीर चिंता का विषय है, लेकिन यहां यह समझना महत्वपूर्ण है कि हर मौसम की घटना सीधे तौर पर इससे जुड़ी नहीं होती है. जैसे फिलहाल हम एक बेहद गर्म फरवरी का अनुभव कर रहे हैं और तमाम लोग इसे एक गर्म होती दुनिया से जोड़ कर देख रहे हैं. 

लेकिन यदि विशेषज्ञों और उपलब्ध आंकड़ों पर भरोसा किया जाए, तो वर्तमान मौसम का पैटर्न, साल के इस समय के लिए, बिल्कुल भी अप्रत्याशित नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि फरवरी का महीना सर्दियों और गर्मियों के बीच के बदलाव वाला महीना है. तापमान औसत से अधिक जरूर है, लेकिन फिर भी अभी तापमान इस अवधि के दौरान देखे जाने वाले तापमान के उतार-चढ़ाव की सामान्य सीमा के भीतर है.

सरल शब्दों में कहें तो वर्तमान मौसम का पैटर्न अकेले जलवायु परिवर्तन के कारण ही नहीं है बल्कि इसकी वजह मौसम की प्राकृतिक परिवर्तनशीलता भी है.

इसलिए, मौसम की घटनाओं का मूल्यांकन करते समय विचार करने के लिए आवश्यक कारकों में से एक प्राकृतिक परिवर्तनशीलता है. यह जलवायु प्रणालियों में निहित उतार-चढ़ाव को दिखाता है, जिसके परिणामस्वरूप विषम मौसम पैटर्न हो सकते हैं. ध्यान रहे कि कुछ मौसम संबंधी घटनाएं प्राकृतिक खतरों का भी परिणाम होती हैं, जैसे कि तूफान, बवंडर और भूकंप. 

जबकि वनों की कटाई, शहरीकरण और खराब भूमि उपयोग प्रथाओं जैसी मानवीय गतिविधियां उनके प्रभावों को बढ़ा सकती हैं, इन प्राकृतिक आपदाओं की घटना को जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है.

इसलिए, कुल मिलाकर, जबकि जलवायु परिवर्तन एक गंभीर चिंता है जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है, मौसम की घटनाओं का मूल्यांकन करते समय प्राकृतिक परिवर्तनशीलता और मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन के बीच अंतर करना महत्वपूर्ण है.

टॅग्स :भारतीय मौसम विज्ञान विभागभारतमौसममौसम रिपोर्ट
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