एन. के. सिंह का ब्लॉग: एक अद्भुत और प्रभावी कदम

By एनके सिंह | Updated: August 6, 2019 05:07 IST2019-08-06T05:07:05+5:302019-08-06T05:07:05+5:30

एक दृढ़ मानसिकता, पूरी प्रतिबद्धता और कानूनी चतुराई दिखाते हुए मोदी सरकार ने संविधान में पहले से मौजूद प्रावधानों का इस्तेमाल करते हुए बगैर कुछ किए संविधान के अनुच्छेद 370 को मात्न राष्ट्रपति के एक आदेश से ही निष्प्रभ कर दिया. 

NK Singh Blog on Article 370: A wonderful and effective step | एन. के. सिंह का ब्लॉग: एक अद्भुत और प्रभावी कदम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। (फाइल फोटो)

जरूरी नहीं कि इतिहास की मजबूरियां, बाध्यताएं और गलतियां किसी गतिशील समाज को स्थिर करें, क्योंकि स्थिरता कालांतर में शरीर में मवाद पैदा करती है. कश्मीर को विशेष दर्जा देने की स्थिति की पहली शर्त थी कश्मीरी लोगों की सामाजिक, प्रशासनिक व सांस्कृतिक पहचान बरकरार रखना. हिंदुओं को मार-मार कर भगाने के बाद वह शर्त भी खत्म हो गई थी. लिहाजा कश्मीर का विशेष दर्जा कायम रखना उसी मवाद को पूरे शरीर में फैलाने जैसा था.

एक दृढ़ मानसिकता, पूरी प्रतिबद्धता और कानूनी चतुराई दिखाते हुए मोदी सरकार ने संविधान में पहले से मौजूद प्रावधानों का इस्तेमाल करते हुए बगैर कुछ किए संविधान के अनुच्छेद 370 को मात्न राष्ट्रपति के एक आदेश से ही निष्प्रभ कर दिया. 

इस अनुच्छेद के उपखंड (3) में राष्ट्रपति को अधिकार है कि पूरे अनुच्छेद को ही खत्म कर दें बशर्ते राज्य की संविधान सभा ऐसे किसी भी परिवर्तन को पहले से मंजूरी दे. आज के आदेश में राष्ट्रपति ने अंतिम पैराग्राफ में ‘संविधान सभा’ को ‘विधानसभा’ से विस्थापित कर दिया है (चूंकि यह शब्द बदलना दरअसल संविधान संशोधन है लिहाजा इसे संसद से पारित करवाना संविधान-सम्मत होगा). साथ ही, चूंकि इस समय विधानसभा भंग है और इसका कार्य राज्यपाल के हाथों में है, लिहाजा केंद्र सरकार राज्यपाल से जो कुछ भी प्रस्ताव चाहे मंगवा सकती है. यानी अब से इस राज्य का विशेष दर्जा खत्म. लेकिन क्या दक्षिण कश्मीर जो मुस्लिम-बहुल और आतंकवाद-ग्रसित है, इसे स्वीकार करेगा?

ऐसे संकेत हैं कि सरकार ने इसका भी बंदोबस्त किया है, क्योंकि भारतीय संविधान से 35 ए के खत्म होने के बाद उद्योगपतियों को निमंत्रित किया जा सकता है कि वे उद्योग लगाएं और अन्य लोग भी बाहर से आकर निवेश करें. केवल एक शर्त लगाई जा सकती है- कुल नौकरियों में उद्योगपति स्थानीय लोगों को 80 प्रतिशत या ज्यादा नौकरियां दें. इससे आम कश्मीरी युवकों को पक्की नौकरी की उम्मीद बंधेगी और साथ ही अगर सुरक्षा बल आतंकियों पर अंकुश लगा सके तो आम जनता भारत सरकार के प्रयासों के साथ खड़ी दिखेगी. 

एक राजनीतिक चालाकी और की गई है, जम्मू-कश्मीर को दो टुकड़ों में बांट कर. लद्दाख अलग राज्य के रूप में केंद्रशासित होगा और उपराज्यपाल उसका मुखिया. जम्मू-कश्मीर भी केंद्रशासित होगा लेकिन जम्मू-कश्मीर की अपनी विधानसभा भी होगी और उपराज्यपाल भी. दोनों राज्यों की पुलिस केंद्र के अधीन होगी.

अब जाहिर है कि इस विधानसभा में भाजपा बहुमत में होगी क्योंकि कश्मीर में कम से कम तीन दल- नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी और कांग्रेस के बीच सीटें बंट जाएंगी, जबकि जम्मू में भाजपा का वर्चस्व रहेगा. कुल मिलाकर जहां अब तक लगता था कि इस राज्य से कोई भी छेड़छाड़ न तो संवैधानिक रूप से संभव है न शांति के मद्देनजर, वह एक सख्त और प्रतिबद्ध मोदी सरकार ने कर दिया. बस यह देखना है कि क्या कश्मीर के लोग वाकई विकास की मुख्यधारा में शामिल होते हैं और राज्य स्थायी शांति पा सकता है.

Web Title: NK Singh Blog on Article 370: A wonderful and effective step

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