निरंकार सिंह का ब्लॉग: मनुष्य का जीवनकाल घटा रही है जहरीली हवा

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: November 4, 2019 15:03 IST2019-11-04T15:03:47+5:302019-11-04T15:03:47+5:30

इस प्रदूषण का मुख्य कारण बढ़ते उद्योग-धंधों के साथ-साथ वाहनों से निकलने वाला धुआं है. दिवाली पर आतिशबाजी का धुआं भी हवा को जहरीला बनाता है. इसका एक कारण पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों का अपने खेतों में पराली और खरपतवार का जलाना भी है. 

Nirankar Singh blog: Poisonous air is decreasing human's life | निरंकार सिंह का ब्लॉग: मनुष्य का जीवनकाल घटा रही है जहरीली हवा

निरंकार सिंह का ब्लॉग: मनुष्य का जीवनकाल घटा रही है जहरीली हवा

आजकल दिल्ली और एनसीआर सहित उत्तर भारत के कई नगरों में हवा इस हद तक प्रदूषित हो गई है कि लोगों का सांस लेना मुश्किल हो गया है. मनुष्य को जीने के लिए हवा पहली जरूरत है. इसके बिना कुछ क्षण के लिए भी जीना कठिन है.  वायु प्रदूषण का दुष्प्रभाव मानव तक ही सीमित नहीं है, जीव-जंतु, पेड़-पौधे भी इसका शिकार होते हैं. मनुष्य ने अपने क्रिया-कलापों से वायुमंडल को विषाक्त बना दिया है. इस असंतुलन को रोका नहीं गया तो भयावह परिणाम अवश्यंभावी है.

इस प्रदूषण का मुख्य कारण बढ़ते उद्योग-धंधों के साथ-साथ वाहनों से निकलने वाला धुआं है. दिवाली पर आतिशबाजी का धुआं भी हवा को जहरीला बनाता है. इसका एक कारण पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों का अपने खेतों में पराली और खरपतवार का जलाना भी है. 

इसके अलावा नगर निगमों द्वारा कूड़े का ढेर भी जलाया जाता है. उत्तर भारत में जहरीली हवा के कारण गंगा के मैदानी इलाकों में रहने वाले भारतीयों की आयु सात साल तक कम हो गई है. 1998-2016 के बीच हुए शोध में बताया गया है कि उत्तर भारत में प्रदूषण बाकी भारत के मुकाबले तीन गुना अधिक जानलेवा है. 

इस अध्ययन में सबसे अधिक प्रदूषित दिल्ली को बताया गया है. राष्ट्रीय राजधानी में 2016 के दौरान पीएम 2.5 का स्तर 114 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा. उत्तर भारत में 48 करोड़ से अधिक आबादी या कह लें कि भारत की करीब 40 फीसदी जनसंख्या गंगा नदी के किनारे इन्हीं मैदानी इलाकों में रहती है. अत्यधिक दूषित हवा वाले अधिकांशत: हिंदी भाषी यह राज्य बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, पश्चिम बंगाल और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ हैं. 

द एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट एट यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो की ओर से जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार एयर क्वालिटी लाइट इंडेक्स (एक्यूएलआई) के मुताबिक 2016 आते-आते क्षेत्र में वायु प्रदूषण 72 फीसदी तक बढ़ गया. इसके चलते उत्तर भारत में रहने वाले लोगों का जीवन अब 71 साल तक कम होने लगा है. 

गंगा के मैदानी इलाकों में रहने वाले लोगों की आयु भारत के अन्य लोगों की आयु की अपेक्षा तीन गुना कम हो रही है. एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स के अनुसार भारत अगर राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के लक्ष्यों को हासिल कर लेता है और मौजूदा प्रदूषण में 25 फीसदी की कटौती कर लेता है तो वायु की गुणवत्ता में इतना सुधार होगा कि भारतीयों का औसत जीवन करीब 1.3 साल बढ़ जाएगा. अब वक्त आ गया है कि साफ हवा के लिए केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर काम करें और कुछ कड़े कदम उठाए जाएं.

Web Title: Nirankar Singh blog: Poisonous air is decreasing human's life

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