New Criminal Law Bills: भारत को अपने नए आपराधिक न्याय कानून मिले, नए कानूनों से आएगा आपराधिक न्याय प्रणाली में परिवर्तन, जानें क्या-क्या बदलेगा

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: December 22, 2023 12:52 PM2023-12-22T12:52:03+5:302023-12-22T12:54:39+5:30

New Criminal Law Bills: नए आपराधिक न्याय कानून मिले संसद के दोनों सदनों ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) विधेयक, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) विधेयक, 2023 और भारतीय साक्ष्य (बीएस) विधेयक, 2023 को पारित कर दिया.

New Criminal Law Bills bjp vs congress pm narendra modi amit shah India gets its new criminal justice laws, new laws will bring changes in the criminal justice system | New Criminal Law Bills: भारत को अपने नए आपराधिक न्याय कानून मिले, नए कानूनों से आएगा आपराधिक न्याय प्रणाली में परिवर्तन, जानें क्या-क्या बदलेगा

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Highlightsकेंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ‘ऐतिहासिक’ करार दिया.महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देंगे.एक स्वदेशी न्याय प्रणाली का दशकों पुराना स्वप्न साकार होगा.

New Criminal Law Bills: आपराधिक कानूनों से जुड़े तीन बिल लोकसभा से पास हो गए हैं. यह बिल ऐसे समय में पारित हुए हैं, जब संसद से 143 सांसदों को निलंबित कर दिया गया है. माना जा रहा है कि इनके लागू होने के बाद दुनिया में सबसे अधिक आधुनिक आपराधिक न्याय प्रणाली भारत की होगी. ये तीनों विधेयक गुलामी की सभी निशानियों को समाप्त करने वाले हैं.

बेशक, पुराने कानून अंग्रेजी शासन को मजबूत करने और उसकी रक्षा करने के लिए बनाए गए थे और उनका उद्देश्य दंड देने का था, न्याय देने का नहीं. नए कानून भारतीय नागरिकों को संविधान द्वारा दिए गए सभी अधिकारों की रक्षा करेंगे और उन्हें न्याय मिल सकेगा. तीन कानूनों से हमारी आपराधिक न्याय प्रक्रिया में बहुत बड़ा परिवर्तन आएगा.

कई पुरानी धाराओं को समाप्त किया गया है और कई नई जोड़ी भी गई हैं. इनमें किए गए प्रावधानों के अनुसार निर्दोष नागरिकों को फंसाया नहीं जा सकेगा. वहीं, नए कानूनों में महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराध, हत्या व हत्या के प्रयास, देश की सीमाओं की सुरक्षा जैसे मुद्दे को सबसे पहले रखा गया है.

18 वर्ष से कम आयु की बच्चियों के साथ अपराध के मामले में मृत्यु दंड का भी प्रावधान रखा गया है, जो प्रशंसनीय है. बच्चों के साथ अपराध करने वाले व्यक्ति के लिए सजा को 7 साल से बढ़ाकर 10 वर्ष कर दिया गया है. कानूनों का उद्देश्य किसी को दंड देना नहीं, बल्कि न्याय उपलब्ध कराना होना चाहिए.

इस प्रक्रिया में दंड वहीं दिया जाना चाहिए जहां अपराध के प्रति डर पैदा करने की आवश्यकता हो. प्रावधान यह भी है कि किसी को भी अधिकतम 3 वर्षों में न्याय मिल सकेगा. दरअसल, हमारी न्याय प्रक्रिया इतनी धीमी गति से चलती है, और न्याय इतनी देर से मिलता है कि उस न्याय का कोई अर्थ नहीं रह जाता.

इसीलिए  लोग अदालतों की सीढ़ियां चढ़ने से भी डरते हैं. उम्मीद की जानी चाहिए कि नए कानूनों में शामिल अत्याधुनिक तकनीकों के कारण अदालती कार्यवाही जल्दी निपटेगी और लोगों को भी समय से न्याय मिल सकेगा. नए कानून में आतंकवाद को परिभाषित करते हुए इसे सामान्य कानून का हिस्सा बना दिया गया है.

पुलिस अपने अधिकारों का दुरुपयोग न कर सके, ऐसे प्रावधान भी किए गए हैं. एक तरफ राजद्रोह जैसे कानूनों को निरस्त किया गया है, दूसरी ओर धोखा देकर महिला का शोषण करने और मॉब लिंचिंग जैसे जघन्य अपराधों के लिए दंड का प्रावधान और संगठित अपराधों और आतंकवाद पर नकेल कसने का काम भी किया गया है.

सरकार द्वारा कानून नागरिकों की भलाई के लिए बनाए जाते हैं, जहां इनको सख्ती से लागू करना शासन-प्रशासन का काम है, वहीं इनका ईमानदारी से पालन करना नागरिकों का फर्ज ही नहीं, बल्कि नैतिक जिम्मेदारी भी है.  

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