ब्लॉग: इतनी सख्ती के बावजूद पेपर लीक होना चिंता का विषय

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: June 21, 2024 10:29 IST2024-06-21T10:28:00+5:302024-06-21T10:29:36+5:30

पेपर लीक को रोकने के लिए सरकार में दृढ़ इच्छाशक्ति होना भी जरूरी है। इस तरह के मामलों की सुनवाई फास्ट ट्रैक में की जानी चाहिए। 

neet-ugc net exam Despite such strictness paper leaking is a matter of concern | ब्लॉग: इतनी सख्ती के बावजूद पेपर लीक होना चिंता का विषय

ब्लॉग: इतनी सख्ती के बावजूद पेपर लीक होना चिंता का विषय

शिक्षा मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग के तहत काम करने वाली स्वायत्त एजेंसी एनटीए ने मंगलवार को हुई यूजीसी-नेट परीक्षा को रद्द करने का फैसला किया है. गृह मंत्रालय की राष्ट्रीय साइबर अपराध खतरा विश्लेषण इकाई से गड़बड़ी के संकेत मिलने के बाद परीक्षा को रद्द करने का फैसला लिया गया। एनटीए ने यूजीसी-नेट परीक्षा 18 जून, 2024 को देश के विभिन्न शहरों में दो चरणों में ओएमआर (पेन और पेपर) मोड में आयोजित की थी।

जानकारियों से प्रथम दृष्टया संकेत मिला कि परीक्षा की सत्यनिष्ठा से समझौता किया गया होगा। अब नए सिरे से परीक्षा आयोजित की जाएगी, जिसके लिए जानकारी अलग से साझा की जाएगी. इसके साथ ही मामले की गहन जांच के लिए मामलों को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपा जा रहा है। 9 लाख से ज्यादा छात्रों ने दी थी परीक्षा। सवाल है कि आखिर इतनी सख्ती होने के बावजूद पेपर लीक का मामला कैसे सामने आ जाता है।

सरकारी नौकरियों और महत्वपूर्ण प्रवेश परीक्षाओं में पेपर लीक की यह बीमारी इतनी ज्यादा बढ़ गई है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले सात वर्षों में 15 राज्यों की 45 सरकारी भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक हो चुके हैं और अगर इनमें अकादमिक परीक्षाओं के लीक हुए पेपरों को भी जोड़ दें तो इनकी संख्या बढ़कर 70 हो जाती है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह कोई छोटी-मोटी बीमारी नहीं बल्कि नई पीढ़ी के भविष्य के लिए कैंसर से भी ज्यादा खतरनाक हो चुकी है।

युवाओं के करियर के लिए यह कितनी जानलेवा बीमारी है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हाल में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले सात सालों में 1.5 करोड़ से अधिक छात्र इस महामारी से बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं, जिसका मतलब यह है कि पेपर लीक के इस अपराध के कारण या तो इन छात्रों का करियर बर्बाद हो चुका है या इनके हाथ इनके करियर का जो सुखद अवसर आ सकता था, वह इस पेपर लीक बीमारी के कारण हाथ से निकल चुका है।

बेरोजगारी के इस दौर में युवा सालोंसाल रात-दिन पढ़ाई करके विविध प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं, लेकिन पेपर माफिया इन युवाओं के भविष्य को पूरी तरह से बर्बाद करने पर आमादा है। ऐसा नहीं है कि देश में परीक्षाओं से संबंधित इस बीमारी से निपटने के लिए किसी तरह की कानूनी व्यवस्था नहीं है। देश के 8 राज्यों में पेपर लीक से लेकर नकल तक को रोकने के लिए कई तरह के कड़े कानून हैं और ये पिछले कई सालों से मौजूद हैं।

लेकिन कोई भी नियम-कानून तब तक प्रभावशाली नहीं बन सकता जब तक उसे लागू करने वाले लोग ईमानदार नहीं हो। सरकार को अब साइबर सुरक्षा प्रोटोकॉल पर फिर से विचार करने और अपराधियों को दंडित करने के लिए कड़े कानून बनाने की जरूरत है। पेपर लीक को रोकने के लिए सरकार में दृढ़ इच्छाशक्ति होना भी जरूरी है। इस तरह के मामलों की सुनवाई फास्ट ट्रैक में की जानी चाहिए। 

Web Title: neet-ugc net exam Despite such strictness paper leaking is a matter of concern

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