क्यों खाली पड़े हैं शिक्षकों के दस लाख पद ?

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: August 21, 2025 07:23 IST2025-08-21T07:23:51+5:302025-08-21T07:23:55+5:30

ऐसे शिक्षकों को लगता है कि कांट्रैक्ट पर रहने से तो बेहतर है कि अच्छे निजी विश्वविद्यालयों में क्यों न नौकरी की जाए जहां पैसा भी मिलता है और स्थायित्व भी होता है.

NCTE Recruitment Why are 10 lakh teacher posts lying vacant | क्यों खाली पड़े हैं शिक्षकों के दस लाख पद ?

क्यों खाली पड़े हैं शिक्षकों के दस लाख पद ?

संसद की शिक्षा, महिला, बाल, युवा और खेल मामलों की स्थाई समिति ने देश भर के सरकारी शैक्षणिक संस्थानों में 10 लाख पदों के खाली होने की जो ताजातरीन जानकारी दी है, उससे चौंकने की जरूरत नहीं है. पांच साल पहले भी संसद में तत्कालीन शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ने बताया था कि देश में शिक्षकों के 10 लाख 60 हजार पद खाली पड़े हैं. यानी स्थितियां लगभग वही की वही हैं. हां, अब यह जानकारी जरूर सामने आई है कि 2019 के बाद नियुक्तियां हुई ही नहीं हैं.

यह बात समझ से बाहर है कि हमारी सरकार शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र के प्रति इतनी उदासीन क्यों बनी हुई है? हर कोई यह जानता है कि शिक्षा ही एकमात्र ऐसा माध्यम है जिसकी किसी भी राष्ट्र की तस्वीर बदलने में सबसे प्रमुख भूमिका है. लेकिन हकीकत तो यही है कि तमाम तरह के दावों के बावजूद हमारे देश में शिक्षा और खासकर प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा उपेक्षा का शिकार रही है.

अब तो शिक्षा पर होने वाला खर्च कुछ बढ़ा भी है लेकिन अभी भी उतनी धनराशि मुहैया नहीं कराई जाती कि हमारी शिक्षा व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन हो सके. ये दस लाख पदों की जो बात हो रही है, ये वो पद हैं जो स्वीकृत हैं लेकिन उन पर नियुक्तियां नहीं हुई हैं. इसकी तो बात ही नहीं हो रही है कि जरूरत कितने शिक्षकों की है? पिछले साल एक जानकारी आई थी कि देश में करीब एक लाख प्राथमिक स्कूल ऐसे हैं जहां केवल एक शिक्षक हैं. वही सभी विषय पढ़ाते हैं.

जरा सोचिए कि ऐसे स्कूलों से किस तरह के विद्यार्थी निकलेंगे. यदि प्राथमिक शिक्षा ही गड़बड़ हो गई तो माध्यमिक और उच्च शिक्षा का क्या होगा? हम सभी जानते हैं कि जो शिक्षक स्कूलों में हैं, उन्हें शिक्षा के अलावा और भी दीगर सरकारी काम करने होते हैं.

जहां तक उच्च शिक्षा का सवाल है तो वहां भी स्थितियां बेहतर नहीं हैं. ज्यादातर विश्वविद्यालयों में स्थाई नियुक्तियों से बचने की कोशिश की जा रही है. अस्थाई यानी कांट्रैक्ट वाले शिक्षक रखे जा रहे हैं. स्वाभाविक सी बात है कि इस पद्धति से विश्वविद्यालयों को उच्च गुणवत्ता वाले शिक्षक नहीं मिल पा रहे हैं. ऐसे शिक्षकों को लगता है कि कांट्रैक्ट पर रहने से तो बेहतर है कि अच्छे निजी विश्वविद्यालयों में क्यों न नौकरी की जाए जहां पैसा भी मिलता है और स्थायित्व भी होता है.

कांट्रैक्ट तो ग्यारह महीने बाद खत्म होने की आशंका बनी रहती है. संसद की स्थाई समिति की जानकारी को गंभीरता से लेना चाहिए और शिक्षकों की नियुक्ति तत्काल प्रभाव से की जानी चाहिए ताकि विद्यार्थियों को भविष्य के नुकसान से बचाया जा सके. इसके साथ ही सरकार को यह जिम्मेदारी भी तय करनी चाहिए कि आखिर दस लाख पद वर्षों से क्यों खाली पड़े हुए हैं? इससे हुए नुकसान की भरपाई कौन करेगा?

Web Title: NCTE Recruitment Why are 10 lakh teacher posts lying vacant

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