नवीन जैन का ब्लॉग: कोविड-19 के इस दौर में देवदूत हैं चिकित्सक

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: July 1, 2020 02:20 PM2020-07-01T14:20:31+5:302020-07-01T14:20:31+5:30

कई डॉक्टर्स, नर्सेज व अन्य स्वास्थ्य कर्मी लगातार कोरोना पेशेंट को स्वस्थ करते हुए अपनी जान से भी हाथ धो बैठे, लेकिन कहीं से भी खबर नहीं निकली कि किसी डॉक्टर ने कोरोना के इलाज से मना कर दिया हो.

Naveen Jain's blog: doctors is god during covid-19 | नवीन जैन का ब्लॉग: कोविड-19 के इस दौर में देवदूत हैं चिकित्सक

नवीन जैन का ब्लॉग: कोविड-19 के इस दौर में देवदूत हैं चिकित्सक

नवीन जैन
सन् 2020 इतिहास में दर्ज रहेगा क्योंकि इसी वर्ष में लगभग शुरुआत से कोरोना की महाविभीषिका ने पूरी मानव सभ्यता को बड़ी चुनौती दी जिसमें भारत भी शामिल है. भारत में आज का दिन डॉक्टर्स डे के रूप में मनाया जाता है. सनद रहे कि यह  दिन आधुनिक पश्चिम बंगाल के निर्माता और प्रसिद्घ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. डॉक्टर बी. के. राय के सम्मान एवं स्मृति में मनाया जाता है. संयोग की बात है कि  डॉ. राय का जन्म आज ही के दिन बिहार में हुआ था एवं इसी रोज बिहार में ही उनका निधन हुआ. इस दिन को राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस के रूप में 1991 की 1 जुलाई से मनाया जाना प्रारंभ हुआ.

चिकित्सकों को धरती का भगवान तक कहा जाता है. कई डॉक्टर्स, नर्सेज व अन्य स्वास्थ्य कर्मी लगातार कोरोना पेशेंट को स्वस्थ करते हुए अपनी जान से भी हाथ धो बैठे लेकिन कहीं से भी खबर नहीं निकली कि किसी डॉक्टर ने कोरोना के इलाज से मना कर दिया हो. जबकि दुनिया भर को मालूम है कि यह जानलेवा बीमारी सीधे-सीधे संक्रमण से फैलती है. भारत की  स्वास्थ्य सेवाओं की दशा इतनी बुरी है कि डॉक्टर्स के पास तथा अस्पतालों में जरूरतों के अनुसार पर्याप्त उपकरण नहीं हैं, फिर भी कोरोना के इलाज की जंग डॉक्टर्स ने जारी रखी है.  

जहां विश्व स्वास्थ्य संगठन के निर्देश के अंतर्गत देश में प्रति 1000 जनसंख्या पर एक डॉक्टर का होना जरूरी है वहीं आज हालत यह है कि देश में 11000 से ज्यादा नागरिकों के लिए एक ही डॉक्टर मौजूद है. ऐसे में झोलाछाप डॉक्टरों की बन आती है जो गांवों में ही नहीं शहरों में भी गंभीर मरीजों का अनाप-शनाप इलाज करके पैसा बनाने में कई सालों से लगे हुए हैं.

पिछले कुछ वर्षो से देशभर में विभिन्न प्रकार के मनोरोगों की संख्या भी तेजी से बढ़ती जा रही है. इसके निवारण या इन पर काबू पाने के लिए योग तथा ध्यान जैसी पद्धतियां तो जोरदार तरीके से अपनाई जाने लगी हैं लेकिन बड़े शहरों तक में मनोचिकित्सकों की भारी कमी है. मनोविश्लेषक भी गिनती के हैं और मानसिक रोग के अस्पतालों की भी यही हालत है. गांवों की स्थिति तो आज भी यही है कि रोगों को वहां अक्सर झाड़-फूंक, नजर उतारने, बाबा जोगियों से मिली कोई भभूत जैसी चीजों पर विश्वास किया जाता है. यह जरूर है कि आज चिकित्सक बनाना माता-पिता के लिए काफी खर्चीला हो गया है.  लेकिन डॉ़  राय को अपने पेशे के प्रति समर्पण के कारण इतना सम्मान मिला था.

Web Title: Naveen Jain's blog: doctors is god during covid-19

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