National Highway Accident: सड़कों पर रफ्तार के साथ बढ़ते हादसे चिंतनीय

By प्रमोद भार्गव | Updated: July 26, 2025 05:26 IST2025-07-26T05:25:07+5:302025-07-26T05:26:03+5:30

National Highway Accident: देशभर में हुई सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़ों के प्रबंधन और विश्लेषण के लिए ‘इलेक्ट्रॉनिक डिटेल’ एक्सिडेंट रिपोर्ट (ई-डार) पोर्टल विकसित किया गया है.

National Highway Accident january and June, 26770 people lost lives Increasing number of accidents speed roads concern | National Highway Accident: सड़कों पर रफ्तार के साथ बढ़ते हादसे चिंतनीय

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Highlightsरिपोर्ट के मुताबिक 2023 में 53,372 लोगों और 2024 में 52,609 लोगों के प्राण चले गए थे.एक्सप्रेस हाइवे, चौड़ीकरण और ग्रामों में सड़कों के विस्तार के चलते जिस अनुपात में रफ्तार की सुविधा बढ़ी है.अनुपात में दुर्घटनाएं भी बढ़ रही हैं.  पूरे देश में एक्सप्रेस-वे पर निरंतर दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं.

देशभर में इस साल जनवरी से जून के बीच केवल राष्ट्रीय राजमार्गों पर हुई दुर्घटनाओं में 26,770 लोगों ने प्राण गंवा दिए. केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने संसद के चालू सत्र में राज्यसभा में लिखित जानकारी सांसद संबित पात्रा के प्रश्न के उत्तर में दी है. गडकरी ने बताया कि सरकार 2022 से प्रत्येक वर्ष राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से मिले आंकड़ों के आधार पर भारत में ‘सड़क दुर्घटनाएं‘ शीर्षक से रपट प्रकाशित करती है. देशभर में हुई सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़ों के प्रबंधन और विश्लेषण के लिए ‘इलेक्ट्रॉनिक डिटेल’ एक्सिडेंट रिपोर्ट (ई-डार) पोर्टल विकसित किया गया है.

इस रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में 53,372 लोगों और 2024 में 52,609 लोगों के प्राण चले गए थे और 2025 के बीते छह माह में 26,770 की मौत हुई है. देश में सड़कों पर एक्सप्रेस हाइवे, चौड़ीकरण और ग्रामों में सड़कों के विस्तार के चलते जिस अनुपात में रफ्तार की सुविधा बढ़ी है, उसी अनुपात में दुर्घटनाएं भी बढ़ रही हैं.  पूरे देश में एक्सप्रेस-वे पर निरंतर दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं.

यह चिंता की बात है कि आखिर ये हादसे क्यों हो रहे हैं? केंद्र सरकार ने नवंबर 2022 में जानकारी दी थी कि देशभर में हुई कुल सड़क दुर्घटनाओं में 32.9 प्रतिशत एक्सप्रेस-वे पर हुई हैं.यातायात सुचारु रूप से संचालित हो, इसके लिए जापान, अमेरिका और सिंगापुर के यातायात कानून से भी सीख लेने की बात कही जा रही है.

खासतौर से यूरोपीय देशों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक आचार संहिता लागू है, जिसका ज्यादातर देश पालन करते हैं. इस संहिता के मुताबिक यदि किसी कार की गति 35 किमी प्रति घंटा है, तो दो कारों के बीच की दूरी 74 फुट होनी चाहिए. 40 मील प्रतिघंटा की रफ्तार होने पर यह अंतर 104 फुट और 45 मील की गति पर यह अंतर 132 फुट होना चाहिए.

संहिता में चालकों के नियम भी तय किए गए हैं. यदि चालक की मुट्ठी बंद करने की ताकत पौने सोलह किलोग्राम से कम निकलती है तो माना जाना चाहिए कि वह व्यक्ति वाहन चलाने लायक नहीं है. संहिता की शर्त के मुताबिक वाहन चलाने लायक उस व्यक्ति को माना जाएगा जो 20 मीटर आगे चल रहे वाहन का नंबर आसानी से पढ़ ले. हमारे यहां तो 80 साल के शक्ति और दृष्टि से कमजोर हो चुके बुजुर्ग भी सड़कों पर वाहन चलाते खूब देखे जाते हैं. फिर वाहनों के अनुपात में हमारी सड़कों पर जगह भी नहीं है.

74 फुट दूरी बनाए रखने की बात तो छोड़िए, देश के महानगरों में 2 से 5 फुट की दूरी वाहनों के बीच बनाए रखना भी मुश्किल हो रहा है.  जाहिर है, हम बात भले दुनिया के देशों का अनुकरण करने की करें, लेकिन नतीजे कारगर निकलेंगे, ऐसी उम्मीद कम ही है.

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