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संपादकीयः विदर्भ और मराठवाड़ा के सर्वांगीण विकास के लिए संजीवनी साबित होगी नागपुर-मुंबई हाईस्पीड ट्रेन

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: August 4, 2022 14:18 IST

नागपुर-मुंबई हाईस्पीड ट्रेन का संभावित रूट नागपुर, वर्धा, पुलगांव, कारंजालाड, मालेगांव (जागीर), मेहकर, जालना, औरंगाबाद, शिरडी, नाशिक, इगतपुरी, शाहपुर तथा मुंबई है।

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मराठवाड़ा और विदर्भ के बेहद पिछड़े इलाकों को नागपुर-मुंबई हाईस्पीड ट्रेन के रूप में तेज विकास की संजीवनी मिलने जा रही है। केंद्र सरकार ने इस परियोजना का सर्वेक्षण कर व्यापक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। सरकार ने पांच और हाईस्पीड ट्रेन परियोजनाओं के सर्वेक्षण के भी आदेश दिए हैं। इनसे भी संबंधित क्षेत्रों के विकास को पंख लगेंगे। अब सवाल यह है कि नागपुर-मुंबई समेत तमाम हाईस्पीड परियोजनाओं पर कितनी तेजी से काम होता है और वे साकार कब होती हैं। 

नागपुर-मुंबई हाईस्पीड ट्रेन का संभावित रूट नागपुर, वर्धा, पुलगांव, कारंजालाड, मालेगांव (जागीर), मेहकर, जालना, औरंगाबाद, शिरडी, नाशिक, इगतपुरी, शाहपुर तथा मुंबई है। प्रस्तावित परियोजना से विदर्भ के मेहकर जैसे पिछड़े इलाके मुख्य रेलमार्ग से जुड़ जाएंगे। विदर्भ के कपास बेल्ट जहां किसान सबसे ज्यादा आत्महत्याएं करते हैं, में विकास के नए द्वार खुल जाएंगे। कपास उत्पादकों के लिए प्रस्तावित हाईस्पीड ट्रेन वरदान साबित होगी। कनेक्टिविटी सुगम तथा तेज हो जाने के कारण विदर्भ और मराठवाड़ा में व्यापार-व्यवसाय और उद्योग की गतिविधियां बढ़ेंगी। मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना भारत में रेल यातायात को नई पहचान देने का मानक बन चुकी है। नई हाईस्पीड परियोजनाओं से भारतीय ट्रेनों की गति को पंख लग जाएंगे। 

नागपुर-मुंबई हाईस्पीड ट्रेन परियोजना पर लंबे समय से मंथन हो रहा है। 15 वर्ष पूर्व भी इस परियोजना का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया था। उस वक्त देश में बुलेट ट्रेन चलाने की संकल्पना बेहद शुरुआती चरणों में थी। सबसे बड़ी बाधा हाईस्पीड ट्रेन परियोजना पर आने वाला विशाल खर्च था। केंद्र सरकार के पास इतने संसाधन नहीं थे कि वह इन परियोजनाओं को हाथ में लेने के बारे में सोच भी सकती। सन 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारतीय ट्रेनों की गति विकसित देशों की तरह करने की दिशा में गंभीरता से प्रयास शुरू किए। मोदी ने इस दिशा में सबसे महत्वाकांक्षी कदम मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन के रूप में उठाया। जापान से भारत के मैत्रीपूर्ण संबंध काम आए। जापान ने बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए आर्थिक सहयोग देने की घोषणा की। बुलेट ट्रेन परियोजना इस वक्त अंतिम चरण में होनी चाहिए थी लेकिन भूमि अधिग्रहण संबंधी अड़चनों, नौकरशाही की सुस्ती और विभिन्न राजनीतिक कारणों से परियोजना की गति मंद पड़ती चली गई। 

हमारे देश में राजनीतिक जीवन में नैतिक पतन तेजी से हो रहा है। नेहरू-इंदिरा युग में राजनीतिक मतभेदों के कारण सत्ता बदलने पर विकास परियोजनाएं अवरुद्ध नहीं होती थीं, मगर अब राजनीतिक मतभेदों का सीधा असर विकास योजनाओं पर पड़ता है। विदर्भ और मराठवाड़ा में कपास उत्पादकों का जीवन बदल देने में सक्षम वर्धा-यवतमाल-नांदेड़ रेल परियोजना की नींव 13 साल पहले रख दी गई थी मगर स्थानीय राजनीतिक नेतृत्व में इच्छाशक्ति के अभाव से वह धीमी गति से आगे बढ़ रही है और उसकी लागत कई गुना बढ़ गई है। नागपुर-मुंबई हाईस्पीड रेल परियोजना ने पिछड़े क्षेत्रों के विकास की आस जगाई है। सरकार इसे पूरा करने की एक अवधि निश्चित रूप से तय करेगी लेकिन उसे यह सुनिश्चित करना होगा कि परियोजना शुरू होने के बाद उसकी रफ्तार कम न हो। यह परियोजना विदर्भ और मराठवाड़ा के सर्वांगीण विकास के लिए संजीवनी की तरह है।

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