अभिषेक कुमार सिंह का ब्लॉगः पलायन, अवैध प्रवासन की मजबूरी
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: July 2, 2019 07:09 AM2019-07-02T07:09:59+5:302019-07-02T07:09:59+5:30
बेबी एंजी और उसके पिता ऑस्कर की तरह ही उसी दिन 3 अन्य बच्चे और एक महिला रियो ग्रैंड वैली में मृत पाए गए थे. इससे पहले, इसी महीने एक भारतीय बच्ची भी एरिजोना में मृत पाई गई थी. 2 महीने पहले रियो ग्रैंड नदी में ही डेंगी डूबने से होंडुरास के 3 बच्चे और एक वयस्क की मौत हो गई थी.
अभिषेक कुमार सिंह
कहना मुश्किल है कि मैक्सिको के रास्ते अमेरिका में दाखिल होने की कोशिश करते रियो ग्रैंड नदी में डूबकर जान गंवा बैठे अल सल्वाडोर के ऑस्कर मार्टिनेज रैमिरेज और उनकी 23 महीने की बेटी वलेरिया (बेबी एंजी) की विचलित करने वाली तस्वीरें इस वक्त दुनिया की सबसे बड़ी समस्या मानव पलायन का कोई स्थायी या तात्कालिक हल भी ला पाएंगी.
कारण यह है कि आज से चार साल पहले 2015 में भी तुर्की के तट पर बहकर आए मासूम, तीन वर्षीय मृत सीरियाई बच्चे एलन (आयलान) कुर्दी की तस्वीर से भी दुनिया भर में शरणार्थियों के प्रति दया का भाव उमड़ता जरूर नजर आया था, पर अंतत: हुआ कुछ नहीं. आज भी हालात वैसे ही हैं, जब हर साल हजारों लोग बेहतर जीवन की चाह में अमेरिका या यूरोपीय देशों में घुसने की कोशिश करते हैं. इन्हीं में से सैकड़ों लोग कंटेनरों में या ठसाठस भरी नौका के बीच रास्ते डूबने से अपनी जान गंवाते हैं और किसी के कानों पर जूं तक नहीं रेंगती है.
बेबी एंजी और उसके पिता ऑस्कर की तरह ही उसी दिन 3 अन्य बच्चे और एक महिला रियो ग्रैंड वैली में मृत पाए गए थे. इससे पहले, इसी महीने एक भारतीय बच्ची भी एरिजोना में मृत पाई गई थी. 2 महीने पहले रियो ग्रैंड नदी में ही डेंगी डूबने से होंडुरास के 3 बच्चे और एक वयस्क की मौत हो गई थी. डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका प्रवासियों को लेकर सख्ती बरत रहा है. प्रवासियों की आमद रोकने के लिए मैक्सिको बॉर्डर पर ऊंची दीवार तक बना दी गई है. इसके बावजूद गरीबी और बेरोजगारी से उकताए हजारों लोग हर साल बेहतर जीवन की चाह में गैरकानूनी ढंग से मैक्सिको सीमा से अमेरिका में घुसने की कोशिश करते हैं.
ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि यह समस्या हल कैसे हो? पूछा जा रहा है कि क्या पूरी दुनिया के शरणार्थियों के लिए ऐसी कोई व्यवस्था बन सकती है जिससे लोगों को जान बचाने के लिए पलायन की मजबूरी से बचाया जा सके. ध्यान रहे कि मौजूदा मानव पलायन सिर्फ बेहतर जीवन की आस में नहीं हो रहा है, बल्कि भूख, कुपोषण के साथ-साथ हिंसा से खुद को बचाने की गुहार इसमें शामिल है.
इसलिए इस समस्या का हल तात्कालिकता में नहीं, दीर्घकालिक नजरिये के साथ खोजना होगा और ऐसी संतुलित नीति के साथ उन्हें अमल में लाना होगा जिससे इन लाखों शरणार्थियों की आमद को यूरोपीय-अमेरिकी बाशिंदे बोझ या आबादी के आक्रमण के तौर पर न लेकर उन्हें एक संसाधन मानें और उनका स्वागत करें.