जानलेवा दुस्साहस: मानसून के दौरान वाहन चालकों की गलती के कारण होती हैं कई दुर्घटनाएं

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: July 14, 2022 15:01 IST2022-07-14T14:59:09+5:302022-07-14T15:01:07+5:30

इस वर्ष मानसून में उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश के अलावा गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र तथा केरल से ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें खतरा सामने देखकर भी वाहन चालकों ने जोखिम उठाया तथा हादसे हुए. उत्तराखंड तथा हिमाचल में तो पिछले एक माह में पहाड़ी मार्गों पर जोखिम उठाकर वाहन चलाने और उनके खाई में गिरने की दुर्घटनाएं हुईं.

Many accidents occur due to the fault of drivers during monsoon | जानलेवा दुस्साहस: मानसून के दौरान वाहन चालकों की गलती के कारण होती हैं कई दुर्घटनाएं

जानलेवा दुस्साहस: मानसून के दौरान वाहन चालकों की गलती के कारण होती हैं कई दुर्घटनाएं

Highlightsमानसून के दौरान वाहनों के खाई में गिरने, उनके भू-स्खलन में दब जाने, बाढ़ में बह जाने की घटनाएं आम हैं. लगभग 90 प्रतिशत हादसे वाहन चालकों की गलती के कारण होते हैं.

देश में वाहन दुर्घटनाओं का एक बड़ा कारण चालकों की लापरवाही या नियमों से अनभिज्ञता और बिना सोचे-समझे जोखिम उठाने की प्रवृत्ति है. नागपुर जिले में मंगलवार को चालक की जोखिम उठाने की मानसिकता ने 6 लोगों की जान ले ली. उसने उफनती नदी के पानी के बीच से वाहन निकालने का दुस्साहस दिखाया और अपनी जान के साथ-साथ पांच और लोगों के प्राण भी ले लिए. नागपुर जिले में यह अपने ढंग की पहली दुर्घटना नहीं है. मानसून के दौरान वाहनों के खाई में गिरने, उनके भू-स्खलन में दब जाने, बाढ़ में बह जाने की घटनाएं आम हैं. 

इनमें से लगभग 90 प्रतिशत हादसे वाहन चालकों की गलती के कारण होते हैं. इस वर्ष मानसून में उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश के अलावा गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र तथा केरल से ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें खतरा सामने देखकर भी वाहन चालकों ने जोखिम उठाया तथा हादसे हुए. उत्तराखंड तथा हिमाचल में तो पिछले एक माह में पहाड़ी मार्गों पर जोखिम उठाकर वाहन चलाने और उनके खाई में गिरने की दुर्घटनाएं हुईं. इनमें चार दर्जन से ज्यादा लोगों ने जान गंवाई. 

नागपुर जिले में मंगलवार की दुर्घटना के पहले नागपुर शहर में एक स्कूल बस चालक ने वर्षा के पानी में डूबी सड़क में वाहन घुसा दिया. बस डूब गई और चालक को किसी तरह बचाया गया. सौभाग्य से बस में कोई स्कूली विद्यार्थी नहीं था. तीन साल पहले महाराष्ट्र में चंद्रपुर जिले की कोरपना तहसील में निर्माणाधीन नाले पर से चालक ने स्कूल बस ले जाने का प्रयास किया. बस नाले में धंस गई और कई बच्चे घायल हो गए. इसी महीने हैदराबाद में भी पानी से भरी सड़क पर से बस पार करवाने का प्रयास महंगा पड़ गया. इस स्कूल बस के चालक और दर्जन भर बच्चों को बड़ी मुश्किल से बचाया जा सका. इसी वर्ष चार जुलाई को हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में एक स्कूली बस खाई में गिरी. 

इसमें 12 लोगों की मौत हो गई जिनमें स्कूली बच्चे भी शामिल थे. दो साल पहले हिमाचल प्रदेश में शिमला के पास एक बस नदी में गिरी और 44 लोगों को जाने से हाथ धोना पड़ा. 8 जुलाई को उत्तराखंड में नैनीताल जिले में पर्यटकों से भरी कार को चालक ने बाढ़ में डूबी नदी में उतार दिया. इस हादसे में 9 लोगों की जान चली गई. साल-दर-साल ऐसे हादसे होते हैं. इन हादसों को टाला जा सकता है, लोगों की जान बच सकती है, लेकिन वाहन चालक खुद मौत को दावत देते हैं. भारत में वाहन चलाने के बारे में नियमों की कोई कमी नहीं है लेकिन उनका पालन गंभीरता से नहीं किया जाता. 

यह देखने के लिए भी निगरानी तंत्र नहीं है कि यातायात नियमों का गंभीरता से पालन हो रहा है या नहीं. वाहन चालकों को यातायात नियमों के बारे में समय-समय पर प्रशिक्षण देने का प्रबंधन करना चाहिए. इससे उनमें जागरूकता भी आएगी और यह पता लगाने में भी आसानी होगी कि उन्हें नियमों की कितनी जानकारी है. हमारे यहां सिर्फ लाइसेंस देते वक्त नियमों की जानकारी के बारे में पूछताछ होती है. परिवहन कार्यालयों में इतना ज्यादा भ्रष्टाचार है कि वाहन चलाने के लाइसेंस परखे बिना ही दे दिए जाते हैं कि चालक को ठीक से वाहन चलाना आता है या नहीं. 

चालकों की लापरवाही का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि नागपुर जिले में मंगलवार के हादसे के बाद बुधवार को विदर्भ के चंद्रपुर जिले में बाढ़ के बीच निजी यात्री बस को चालक ले गया. सौभाग्य से बस में सवार सभी 35 लोगों को बचा लिया गया. कम पढ़े-लिखे वाहन चालक तो दूर की बात है, अपना वाहन खुद चलाने वाले उच्च शिक्षित लोग भी ऐसा जानलेवा दुस्साहस करते हैं. इन हादसों को टाला जा सकता है. मानसून के दिनों में दुर्घटनाओं के लिहाज से संवेदनशील स्थानों पर यातायात कर्मचारी तैनात होने चाहिए. देश में सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लगातार प्रयास हो रहे हैं. प्रयासों को तब तक सफलता नहीं मिल सकती, जब तक नियमों का पालन कड़ाई से सुनिश्चित न हो.

Web Title: Many accidents occur due to the fault of drivers during monsoon

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