लाइव न्यूज़ :

150वीं जयंती विशेष: अंतिम आदमी से जुड़ने का मंत्र याद रखें

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: October 2, 2018 05:14 IST

यह सारा इतिहास कुछ याद यूं आ रहा है कि हम और दुनिया आज महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मना रहे हैं। इतिहास वह आईना है कि जिसमें सभ्यता अपना चेहरा देखती है।

Open in App

लेख - कुमार प्रशांत

पूरा हिसाब लगाएं तो हिंदुत्व की गोली खा कर गिरते वक्त बापू की उम्र 78 साल 3 माह 28 दिन थी।  तारीख थी 30 जनवरी 1948; समय था संध्या 5.17 मिनट। स्थान था नई दिल्ली का बिड़ला भवन। हिंदुत्ववादी संगठनों की तरफ से गांधीजी की हत्या करने की 5 असफल कोशिशों के बाद, जिनमें से अधिकांश में नाथूराम गोडसे को शामिल किया गया था, यह छठवां प्रयास था जिसके लिए नौ गोलियां खरीदी गई थीं और खरीदी गई थी एक बेरेट्टा एम 1934 सेमी ऑटोमेटिक पिस्तौल। यही पिस्तौल लेकर नाथूराम गोडसे महात्मा गांधी की प्रार्थना सभा में आया था। उसे निर्देश सीधा दिया गया था : भारतीय समाज पर महात्मा गांधी के बढ़ते प्रभाव को रोकने की हमारी हर कोशिश विफल होती जा रही है। अब एक ही रास्ता बचा है - उनकी शारीरिक हत्या।

गांधी का अपराध क्या है? बस इतना कि हिंदुत्ववादी भारतीय समाज की जिस अवधारणा को मानते हैं, गांधी उससे किसी भी तरह सहमत नहीं हैं। वे हिंदुत्ववादियों से - और उस अर्थ में सभी तरह के धार्मिक-सामाजिक कठमुल्लों से - असहमत ही नहीं हैं बल्कि पूरी सक्रियता से अपनी असहमति जाहिर भी करते हैं और भारतीय समाज की अपनी अवधारणा को जनता के बीच रखते भी हैं। असहमति आजादी और लोकतंत्र का प्राण-तत्व है। असहमति के कारण किसी की जान नहीं ली जाएगी, यह वह आधार है जिस पर लोकतंत्र का भवन खड़ा होता है। लेकिन असहमति कठमुल्लों की जड़ों पर कुठाराघात करती है। कोई 80 साल के निहत्थे बूढ़े गांधी पर छिप कर गोलियां बरसाते हिंदुत्ववादियों के हाथ नहीं कांपे क्योंकि उनके सपनों के समाज में असहमत की कोई जगह न थी, न है।

यह सारा इतिहास कुछ याद यूं आ रहा है कि हम और दुनिया आज महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मना रहे हैं। इतिहास वह आईना है कि जिसमें सभ्यता अपना चेहरा देखती है। मैं उसमें गांधी को देखता हूं और खुद से पूछता हूं कि 150 साल का आदमी होता भी तो कितने काम का होता? और यहां आलम यह है कि इस 150 साल के आदमी से ही हम सारे कामों की उम्मीद लगाए सालों से बैठे हैं। सारी दुनिया का चक्कर लगा कर हम लौटते हैं और कहते हैं कि हमें लौटना तो गांधी की तरफ ही होगा।

ऐसा कहने वालों में सभी शामिल हैं - नोबल पुरस्कार प्राप्त वे दर्जन भर से ज्यादा वैज्ञानिक भी जिन्होंने संयुक्त वक्तव्य जारी किया है कि अगर मानवता को बचना है तो उसे गांधी का रास्ता ही पकड़ना होगा; मार्टिन लूथर किंग, नेल्सन मंडेला और ओबामा जैसे लोग भी जो कहते हैं कि न्याय की लड़ाई में वंचितों-शोषितों के पास लड़ने का एकमात्र प्रभावी नैतिक हथियार गांधी का सत्याग्रह ही है; भौतिकविद् हॉकिंग्स जैसे वैज्ञानिक भी हैं जो जाते-जाते कह गए कि विकास की जिस दिशा में दुनिया ले जाई जा रही है उसमें मानव जाति का संपूर्ण विनाश हो जाएगा और तब कोई नया ही प्राणी, नए ही किसी ग्रह पर जीवन का रूप गढ़ेगा; चे ग्वेरा जैसे गुरिल्ला युद्ध-सैनिक भी हैं जो राजघाट की समाधि पर सिर झुकाते वक्त यह कबूल करता है कि वहां, क्यूबा में, उसकी पीढ़ी को पता ही नहीं था कि लड़ाई का यह भी एक रास्ता है; ‘त्रिकाल-संध्या’ लिखने वाले भवानीप्रसाद मिश्र सरीखे कवि भी हैं जो कविता में, कविता को जितना टटोलते हैं, गांधी ही उनके हाथ आता है; और 30 जनवरी मार्ग पर स्थित बिड़ला भवन में गांधी से किसी हद तक अनजान वह कोई लड़की भी है जो यह सुन-समझ कर फूट कर रो पड़ती है कि 80 साल के आदमी को हमने यूं मार डाला कि वह हमसे या हम उससे सहमत नहीं थे।  

आजादी के 72 साल होते, न होते भारतीय समाज अपनी आंतरिक संरचना के बोझ से दबा लड़खड़ा रहा है। लोकतंत्र का ढांचा तो है लेकिन तंत्र सब कुछ लील जाने पर आमादा है और अनगिनत लोगों के लिए जीवन में सम्मान, समता और स्वतंत्रता की सुगंध बची नहीं है।  

गांधी : 150 गांधी के गुणगान का अवसर नहीं है। यह गांधी को उनकी संपूर्णता में पहचानने का और फिर हिम्मत हो तो उन्हें अंगीकार करने का वक्त है। आखिर क्या हुआ कि तमाम विकास के बाद भी 72 सालों की आजादी के हाथ इतने खाली हैं? इसलिए कि हम गांधी का अंतिम आदमी का जंतर भूल गए। चालाक सत्ता ने उसकी तरफ अपनी पीठ कर दी। आजादी जब अपने सारे फलाफल के साथ अंतिम आदमी तक नहीं पहुंचती है तो वह गिरोहों के छल-कपट में बदल जाती है। अंतिम आदमी जिस आजादी की डोरी पकड़ न सके, वह आजादी कटे पतंग की तरह हवा में डोलती रहती है। 150 साल के गांधी फिर से आवाज लगाते हैं : मेरा जंतर याद करो, अंतिम आदमी से जुड़ो। हम आजादी के ‘गांधी-मंत्र’ को समङों और तंत्र को मजबूर करें कि वह अपनी दिशा बदले, तभी 150 साल पुराना संकल्प पूर्णता को प्राप्त होगा। 

टॅग्स :महात्मा गाँधी
Open in App

संबंधित खबरें

भारतVB-G RAM G ने ली MGNREGA की जगह, जानें इनके बीच के 5 मुख्य अंतर

भारतPutin India Visit: पुतिन ने राजघाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी, देखें वीडियो

भारतराहुल गांधी नहीं हो सकते जननायक?, तेज प्रताप यादव ने कहा-कर्पूरी ठाकुर, राम मनोहर लोहिया, डॉ. भीमराव अंबेडकर और महात्मा गांधी में कैसे शामिल कर सकते

कारोबारMake In India: आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए लौटना होगा स्वदेशी की ओर, स्वदेशी 2.0 का समय

भारतGandhi Jayanti 2025: पीएम मोदी ने महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री को किया नमन, कहा, 'हम उनके बताए रास्ते पर चलते रहेंगे'

भारत अधिक खबरें

भारतगोवा जिला पंचायत चुनावः 50 में से 30 से अधिक सीट पर जीते भाजपा-एमजीपी, कांग्रेस 10, आम आदमी पार्टी तथा रिवोल्यूश्नरी गोअन्स पार्टी को 1-1 सीट

भारतलोनावला नगर परिषदः सड़क किनारे फल बेचने वालीं भाग्यश्री जगताप ने मारी बाजी, बीजेपी प्रत्याशी को 608 वोट से हराया

भारतबिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सोशल मीडिया ‘इंस्टाग्राम’ पर मिली धमकी, पुलिस ने दर्ज की प्राथमिकी, जुटी जांच में

भारतबृहन्मुंबई महानगरपालिका चुनाव: गठबंधन की कोई घोषणा नहीं?, राज-उद्धव ठाकरे में बातचीत जारी, स्थानीय निकाय चुनावों में हार के बाद सदमे में कार्यकर्त्ता?

भारतबिहार में सत्ताधारी दल जदयू के लिए वर्ष 2024–25 रहा फायदेमंद, मिला 18.69 करोड़ रुपये का चंदा, एक वर्ष में हो गई पार्टी की फंडिंग में लगभग 932 प्रतिशत की वृद्धि