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Lok Sabha Elections 2024: विपक्ष पर मंडराते संकट के बीच आखिर कांग्रेस की रणनीति क्या है?

By राजकुमार सिंह | Updated: February 2, 2024 18:32 IST

Lok Sabha Elections 2024: 20 साल बीत जाने के बावजूद कांग्रेस 2004 की अपनी चुनावी सफलता को ही ध्यान में रख कर 2024 की रणनीति पर काम करती दिख रही है.

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ठळक मुद्दे ‘इंडिया’ में सीट शेयरिंग के मामले में सबसे बड़े घटक दल कांग्रेस की उदासीनता चौंकानेवाली है.केंद्र में रख कर किसी चुनावी रणनीति पर काम कर रही है? कांग्रेस 2004 की अपनी चुनावी सफलता को ही ध्यान में रख कर 2024 की रणनीति पर काम करती दिख रही है.

Lok Sabha Elections 2024: 28 विपक्षी दलों के गठबंधन के सूत्रधार रहे नीतीश कुमार पाला बदल कर भाजपा के एनडीए में लौट गए, तो जमीन घोटाले में ईडी द्वारा हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद चंपई सोरेन को झारखंड का नया मुख्यमंत्री बनाया गया है. दिल्ली में भी ऐसी स्थिति कभी भी आ सकती है. प. बंगाल में तृणमूल कांग्रेस, तो पंजाब और हरियाणा में आम आदमी पार्टी राज्य की सभी लोकसभा सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी हैं. वार्ता का इंतजार कर थक चुके अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को 11 सीटें देने का एकतरफा ऐलान कर दिया है, लेकिन ‘इंडिया’ में सीट शेयरिंग के मामले में सबसे बड़े घटक दल कांग्रेस की उदासीनता चौंकानेवाली है.

क्या कांग्रेस कुछ घटक दलों के प्रति दुविधा की शिकार है या खुद को केंद्र में रख कर किसी चुनावी रणनीति पर काम कर रही है? दरअसल 20 साल बीत जाने के बावजूद कांग्रेस 2004 की अपनी चुनावी सफलता को ही ध्यान में रख कर 2024 की रणनीति पर काम करती दिख रही है. तब अटल बिहारी वाजपेयी सरीखे कद्दावर नेता प्रधानमंत्री थे और ‘शाइनिंग इंडिया’ के नारे के बावजूद, बिना बड़ा विपक्षी गठबंधन बनाए सोनिया गांधी के नेतृत्ववाली कांग्रेस ने उन्हें सत्ता से बेदखल कर दिया था. चुनाव बाद ही यूपीए बना था, जिसने केंद्र में सरकार बनाई.

कुछ रणनीतिकारों से बातचीत से भी यह धारणा पुष्ट होती है कि उच्च सत्ता महत्वाकांक्षावाले क्षेत्रीय दलों के वर्चस्व से निर्देशित गठबंधन राजनीति पर पूरी तरह निर्भर होने के बजाय कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनावों के लिए मिश्रित चुनावी रणनीति को न सिर्फ अपने लिए, बल्कि विपक्ष के लिए भी बेहतर मान रही है.

बेशक पिछले दो लोकसभा चुनावों में शर्मनाक प्रदर्शन करनेवाली कांग्रेस समझती है कि इस बार के चुनाव उसके लिए निर्णायक भी साबित हो सकते हैं, लेकिन लंबे राजनीतिक अनुभव के आधार पर उसे लगता है कि सिर्फ गठबंधन के सहारे नरेंद्र मोदी-अमित शाह की चुनाव रणनीति में माहिर जोड़ी और भाजपा के विशाल सक्रिय संगठन को मात नहीं दी जा सकती.

उसके लिए राज्यवार अलग-अलग रणनीति बनाना बेहतर परिणाम दे सकता है. निश्चय ही नीतीश के पालाबदल से बिहार में ‘इंडिया’ का गणित गड़बड़ा गया है. दरअसल कांग्रेस अगले लोकसभा चुनाव के लिए तिहरी रणनीति पर काम कर रही है. कुछ राज्यों में गठबंधन कर चुनाव लड़ा जाएगा,

कुछ में समझदारी के साथ दोस्ताना मुकाबला होगा, जबकि चुनाव पश्चात नए सिर से गठबंधन की संभावनाएं भी खुली रहेंगी, जिसमें भाजपा विरोधी ममता, केजरीवाल और अखिलेश तो रहेंगे ही, कुछ पता नहीं कि सत्ता की संभावनाएं बनने पर नीतीश भी फिर पलटी मार जाएं.

टॅग्स :लोकसभा चुनाव 2024कांग्रेसमल्लिकार्जुन खड़गेराहुल गांधी
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