कर्नाटक चुनावः पीएम नरेंद्र मोदी के चुनाव प्रचार से असली मुद्दे गायब क्यों हैं?

By आदित्य द्विवेदी | Published: May 9, 2018 04:38 PM2018-05-09T16:38:23+5:302018-05-09T16:38:23+5:30

बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियों ने असल मुद्दों से ध्यान हटाकर प्रचार के दौरान व्यक्तिगत आरोप लगाए हैं।

Karnataka Elections 2018: Why real Issues are missing in PM Narendra Modi campaign | कर्नाटक चुनावः पीएम नरेंद्र मोदी के चुनाव प्रचार से असली मुद्दे गायब क्यों हैं?

कर्नाटक चुनावः पीएम नरेंद्र मोदी के चुनाव प्रचार से असली मुद्दे गायब क्यों हैं?

बेंगलुरु, 09 मई 2018: कर्नाटक चुनाव प्रचार थमने में सिर्फ एक दिन बचा है। सभी राजनीतिक पार्टियों ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है। भारतीय जनता पार्टी एकबार फिर बीएस येदियुरप्पा के भरोसे नैया पार लगाना चाहते हैं तो वहीं कांग्रेस ने लिंगायतों को धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा देकर बड़ा राजनीतिक दांव चला है। जनता दल (सेकुलर) ने फिलहाल अपने सभी पत्ते नहीं खोले हैं। कर्नाटक एक ऐसा राज्य है जहां विकास का असमान वितरण हुआ है। एक तरफ बेंगलुरु जैसा शहर है जिसे देश की आईटी राजधानी माना जाता है तो वहीं कई ग्रामीण इलाके हैं जहां किसानों की समस्या हावी है। आगामी विधानसभा चुनाव सत्ताधारी कांग्रेस, बीजेपी और जेडी (एस) के लिए एक मौका है कि वो असली राजनीतिक मुद्दों की ओर ध्यान दें लेकिन कर्नाटक चुनाव प्रचार में विवादित बयान हावी हैं।

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क्या हैं कर्नाटक के प्रमुख मुद्देः-

- कन्नड़ झंडा
- लिंगायत मुद्दा
- महादयी नदी विवाद
- किसानों की बदहाली
- भ्रष्टाचार
- कावेरी जल विवाद
- पर्यावरण प्रदूषण
- रोजगार

ये सभी मुद्दे कर्नाटक के विकास के लिए बेहद जरूरी हैं। सभी को उम्मीद थी कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव इन्ही मुद्दों के इर्द-गिर्द लड़ा जाएगा। लेकिन जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं। चर्चा मुद्दों से हटकर एक-दूसरे पर कीचड़ उछालने पर आ गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बयानबाजी के मामले में सबसे आगे हैं। उनके चर्चित बयानों की कुछ बानगी देखिए।

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- राहुल 15 मिनट बिना कागज के बोलकर दिखाएं। पांच बार विश्वेश्वरैया भी बोलकर दिखाना।
- कांग्रेस छह बीमारियों से पीड़ित है। कल्चर, कॉम्यूनिलिज्म, कास्टिजम, क्राइम, करप्शन, कॉन्ट्रेक्ट
- वे नामदार हैं और हम कामदार, हमारी क्या हैसियत (चमराजनगर के सांथेमरहल्ली की रैली में)
- जो सोने का चम्मच लेकर पैदा हुए, वे गरीबों का दर्द क्या जानें (कोप्पल की रैली में)
- सुलतानों की जयंती मना रही कांग्रेस, महापुरुषों को भूली (चित्रदुर्ग की रैली में)
- चुनाव नतीजों के बाद हो जाएगी 'पीपीपी कांग्रेस' (गडग की रैली में)
- कर्नाटक के मुधोल कुत्तों से सीख लेनी चाहिए जिन्हें भारतीय सेना में शामिल किया गया है. (जामखंडी की रैली में)
- कांग्रेस गरीब,गरीब की माला जपती है, करती कुछ नहीं (तुमकुर की रैली में)
- बैंगलुरु को गार्डेन सिटी से गार्बेज सिटी बना दिया
- अहंकारी हैं राहुल गांधी, मर्यादा का ख्याल नहीं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसभाओं से कर्नाटक के प्रमुख मुद्दें क्यों गायब हैं? दरअसल, किसी रैली में लोगों को रिझाना एक बड़ी चुनौती होती है। उसके लिए डायलॉग बोलने पड़ते हैं, बयान देने पड़ते हैं, नाटकीयता बरतनी पड़ती है। पीएम मोदी को यह काम अच्छे से आता है। ऐसे में मतदाताओं को चाहिए कि वह रैलियों में तालियां बजाएं लेकिन एकबार पार्टियों का मैनिफेस्टो जरूर पढ़ लें। कर्नाटक चुनाव मतदाताओं की मैच्योरिटी की भी परीक्षा है।

Web Title: Karnataka Elections 2018: Why real Issues are missing in PM Narendra Modi campaign

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