कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2018: 5 सालों में कैसा रहा सिद्धारमैया सरकार का कार्यकाल
By स्वाति सिंह | Published: April 5, 2018 04:59 PM2018-04-05T16:59:42+5:302018-04-05T17:00:24+5:30
पिछले कई दशकों से कर्नाटक में हर चुनाव के बाद सत्ता परिवर्तन का दौर चल रहा है। इसलिए कई राजनीतिक जानकार मान रहे हैं कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के सामने सत्ता बचाना आसान नहीं होगा।
कर्नाटक विधान सभा चुनाव 2018 के लिए 12 मई को मतदान होना है। नतीजे 15 मई को आएंगे। सत्ताधारी कांग्रेस को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और जनता दल (सेक्युलर) चुनौती दे रहे हैं। पिछले कई दशकों से कर्नाटक में हर चुनाव के बाद सत्ता परिवर्तन का दौर चल रहा है। इसलिए कई राजनीतिक जानकार मान रहे हैं कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के सामने सत्ता बचाना आसान नहीं होगा। चुनाव के दौरान राजनीतिक दल खुद को सबसे बेहतर और विपक्षियों को सबसे बदतर बताते रहते हैं। लेकिन आइए देखते हैं कि विकास के पाँच प्रमुख मानकों पर सिद्धारमैया सरकार का प्रदर्शन आंकड़ों के आईने में क्या कहता है।
भारत के सकल घरेलू उत्पाद में कर्नाटक का योगदान
सिद्धारमैया साल 2013 में राज्य के मुख्यमंत्री बने। बात राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में विकास की करें तो उनके कार्यकाल में राज्य की स्थिति थोड़ी बेहतर हुई दिखती है।
साक्षरता दर (15 से 49 वर्ष के बीच)
इन आंकडो़ं से साफ है कि सिद्धारमैया सरकार के पाँच सालों में कर्नाटक की साक्षरता दर में कोई बडा़ बदलाव नहीं आया है। महिला हों या पुरुष दोनों का स्तर सिद्धारमैया सरकार में समान रहा है।
ग्रामीण शिक्षा की गुणवत्ता-
ग्रामीण कर्नाटक के कक्षा आठ के बच्चे जिनकी शिक्षा का स्तर दूसरी कक्षा के बराबर था
कर्नाटक हो या कोई अन्य राज्य भारत में अभी तक शिक्षा क प्रचार-प्रसार पर ही जोर रहता है। शिक्षा की गुणवत्ता पर कम बात होती है। खासकर ग्रामीण इलाकों की शिक्षा का। ग्रामीण इलाकों में किए गए विभिन्न सर्वे में ये बात बार-बार सामने आती रही है कि गाँवों के स्कूलों में पढ़ने वालों बच्चों की क्लास से उनके शैक्षणिक विकास का पता नहीं चलता। साल 2016 तक ग्रामीण स्कूलों में आठवीं में पढ़ने वाले 70 प्रतिशत बच्चों का शैक्षणिक स्तर दूसरी कक्षा के बच्चों जिनता था। साफ है कि इस दिशा में सिद्धारमैया सरकार का प्रदर्शन दयनीय रहा है।
देश के कल सड़क मार्गों में कर्नाटक का योगदान
परिवहन विकास का प्रमुख मानक है। खासकर सड़क परिवहन। सामान्य लोगों के आवगमन के साथ ही माल ढुलाई और जरूरी उत्पादों का उपभोक्ताओं तक पहुँचने में सड़क परिवहन का महत्वपूर्ण योगदान है। इस मामले में सिद्धारमैया सरकार का प्रदर्शन संतोषजनक रहा है।
सैनिटेशन, कूकिंग और इलेक्ट्रिसिटी की आम परिवारों तक पहुँच
इन तीनों मुद्दों पर कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार का प्रदर्शन राष्ट्रीय औसत से बेहतर रहा है। हालाँकि इस मामले में कर्नाटक सिद्धारमैया सरकार से पहले भी राष्ट्रीय औसत से आगे रहा है। ये जरूर है कि इन तीनों सुविधाओं को आम जनता तक पहुँचाने में सिद्धारमैया सरकार का प्रदर्शन उल्लेखनीय रहा है।