तो क्या कर्नाटक जीतकर मोदी-शाह कर देंगे भारत को कांग्रेस-मुक्त, राहुल गांधी साबित होंगे आखिरी मुगल?
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: May 13, 2018 07:50 AM2018-05-13T07:50:50+5:302018-05-13T08:10:57+5:30
तो क्या सचमुच मोदी-शाह कर देंगे भारत को कांग्रेस-मुक्त, राहुल गांधी साबित होंगे बहादुर शाह जफर
कर्नाटक विधान सभा की 222 सीटों के लिए शनिवार (12 मई) को मतदान हो गये। राज्य की दो सीटों के लिए मतदान 28 मई को होगा। लेकिन बहुमत के लिए जरूरी 113 सीटों का नक्शा 15 मई को नतीजों के आने के साथ ही साफ हो जाएगा। वोटिंग समाप्त होते ही तमाम राष्ट्रीय और क्षेत्रीय चैनलों ने अपने-अपने एग्जिट पोल के नतीजे पेश किये। करीब 12 एग्जिट पोल्स में से 7 में बीजेपी को सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरने का दावा किया गया है। वहीं इनमें से 5 एग्जिट पोल्स में कांग्रेस को सबसे बड़े दल के रूप में उभरने का अनुमान जताया गया है। खास बात यह है कि किसी भी सर्वे में किसी भी दल के लिए 120 सीटों से ज्यादा पाने का दावा नहीं किया गया है। संदेश साफ है, नतीजे जो भी हों सभी एग्जिट पोल्स एक बात पर एकमत हैं कि चाहे जो भी सबसे बड़ा दल बने, उसे बहुमत के कुछ ही ऊपर नीचे रहना है। इस बात की भी बहुत संभावना है कि किसी भी दल को बहुमत न मिले। ऐसे में जेडीएस की भूमिका अहम हो जाएगी। त्रिशंकु विधान सभा की स्थिति में सरकार उसी की बनेगी जिसे जेडीएस समर्थन देगा।
पिछले कुछ चुनावों के सबक याद रखें तो त्रिशंकु विधान सभा की स्थिति में ज्यादा संभावना बीजेपी की सरकार बनने की रहेगी। मौजूदा दौर में अमित शाह को गठबन्धन सरकार का सबसे बड़ा मास्टरमाइंड कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी। बीजेपी के लिए कर्नाटक में सरकार बनाना कई कारणों से जीवन-मरण का सवाल है। सबसे पहले तो नरेंद्र मोदी और अमित शाह के बहुउल्लिखित "कांग्रेस मुक्त भारत" के उद्देश्य की पूर्ति के लिए इस बड़े राज्य से कांग्रेस को सत्ता से बाहर करना जरूरी हो जाएगा। अगर कर्नाटक से कांग्रेस बाहर हुई तो उसके पास केवल मिजोरम, पंजाब और पुदुच्चेरी बचेंगे। इन तीनों में कुल 15 लोक सभा सीटें आती हैं। यानी कांग्रेस के कर्नाटक से बाहर होते ही उसकी हालत कई क्षेत्रीय दलों से भी खराब हो जाएगी।
कर्नाटक इसलिए भी बीजेपी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि ये पहला दक्षिण भारती राज्य है जहाँ बीजेपी की सरकार बनी थी। इस लिहाज से बीजेपी के लिए कर्नाटक दक्षिण भारत का प्रवेश द्वार है। केरल के पिछले विधान सभा चुनाव में बीजेपी ने इतिहास में पहली बार अपना खाता तो खोल लिया लेकिन अब भी वो कांग्रेस और सीपीएम से काफी पीछे है। तमिलनाडु में जयललिता के निधन और करुणानिधि के बुढ़ापे की वजह से जो राजनीतिक निर्वास तैयार हो रहा था उसे भरने के लिए दो महारथी पहले से तैयार बैठे हैं। ये दोनों महारथी रजनीकांत और कमल हासन जयललिता और करुणानिधि की तरह ही सिनेमा से सम्बन्ध रखते हैं। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भी क्षेत्रीय दलों और कांग्रेस का ही प्रभाव ज्यादा है। ऐसे में दक्षिण में पैर पसारने के लिए कर्नाटक बीजेपी की बड़ी जरूरत है।
2019 के फाइनल से पहले पहला सेमीफाइनल है कर्नाटक, राजस्थान-मध्य प्रदेश चुनाव में होगा दूसरा सेमीफाइनल
कर्नाटक विधान सभा चुनाव पहला चुनाव है जिसमें नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी खुलकर आमने-सामने थे। गुजरात चुनाव के मतदान के बाद राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बने थे। कर्नाटक चुनाव के लिए मतदान होने से पहले ही राहुल गांधी ने खुलकर कह दिया कि 2019 में मौका लगा तो उन्हें प्रधानमंत्री बनने से कोई ऐतराज नहीं। कर्नाटक में वोटिंग से ठीक पहले राहुल का पीएम पद की उम्मीदवार पेश करने से चुनाव सीधे-सीधे उनके और पीएम मोदी के पर्सनल क्लैश में बदल गया है। राहुल ने पीएम मोदी को बहस की चुनौती देकर भी इस तुलना को हवा दी। इस साल के आखिर तक राजस्थान और मध्य प्रदेश विधान सभा के भी चुनाव हो सकते हैं। इन दोनों राज्यों में भी कर्नाटक की तरह बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुकाबला होगा। राहुल और पीएम मोदी आमने-सामने होंगे। और ये चुनाव 2019 के लोक सभा चुनाव के रिहर्सल की तरह होंगे। ऐसे में बीजेपी पहले ही खुले मुकाबले में ये साबित करने की कोशिश करेगी कि राहुल पीएम मोदी को गंभीर चुनौती देने की स्थिति में नहीं हैं।
अगर पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह कर्नाटक में विजय ध्वज फहराने में कामयाब रहे तो सबसे बड़ा संकट राहुल गांधी के सामने होगा। अगर राहुल कर्नाटक मोदी और शाह के हाथों हार गये तो ये पूछना लाजिमी है कि कहीं वो नेहरू-गांधी परिवार के बहादुर शाह जफर तो नहीं साबित होंगे।
लोकमत न्यूज के लेटेस्ट यूट्यूब वीडियो और स्पेशल पैकेज के लिए यहाँ क्लिक कर के सब्सक्राइब करें