जयंतीलाल भंडारी का कॉलमः कश्मीरी युवाओं को दें रोजगार 

By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Published: August 20, 2019 09:12 AM2019-08-20T09:12:57+5:302019-08-20T09:12:57+5:30

यह वैश्विक निवेशक सम्मेलन श्रीनगर से जम्मू तक आयोजित किया जाएगा. इस निवेशक सम्मेलन के माध्यम से स्थानीय संसाधनों के उपयोग और स्थानीय लोगों के लिए अधिक रोजगार पर ध्यान दिया जाएगा.

Jayantilal Bhandari's column: Give employment to Kashmiri youth | जयंतीलाल भंडारी का कॉलमः कश्मीरी युवाओं को दें रोजगार 

जयंतीलाल भंडारी का कॉलमः कश्मीरी युवाओं को दें रोजगार 

इन दिनों देश और दुनिया के अर्थ विशेषज्ञ यह कहते हुए दिखाई दे रहे हैं कि अनुच्छेद 370 के हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर की सबसे पहली आवश्यकता जम्मू-कश्मीर के युवाओं के लिए रोजगार और स्वरोजगार के नए मौके निर्मित करना है. ऐसे रोजगार और स्वरोजगार के नए मौके निर्मित करने के परिप्रेक्ष्य में हाल ही में केंद्र सरकार ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में पहला वैश्विक निवेशक सम्मेलन 12 से 14 अक्तूबर तक आयोजित किया जाएगा. यह वैश्विक निवेशक सम्मेलन श्रीनगर से जम्मू तक आयोजित किया जाएगा. इस निवेशक सम्मेलन के माध्यम से स्थानीय संसाधनों के उपयोग और स्थानीय लोगों के लिए अधिक रोजगार पर ध्यान दिया जाएगा.

निश्चित रूप से जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए वैश्विक निवेशक सम्मेलन अहमियत रखता है, इससे इस प्रदेश की अर्थव्यवस्था की संरचना को भी बदला जा सकेगा. यदि हम जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था के आंकड़ों को देखें तो पाते हैं कि जम्मू-कश्मीर की विकास दर धीमी गति से बढ़ी है. पिछले वर्ष 2018-19 में जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था की विकास दर 6.9 प्रतिशत रही थी. वस्तुत: जम्मू-कश्मीर के विकास की रणनीति में कृषि और पर्यटन को फोकस किया जाना होगा. अब तक जम्मू-कश्मीर के अधिकांश लोग कृषि और पर्यटन की आय तक सीमित रहे हैं लेकिन अब अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद इन दोनों क्षेत्रों के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर में उद्योग-व्यापार की नई संभावनाएं उत्पन्न होंगी. 

जम्मू-कश्मीर के अधिकांश लोग जीवन निर्वाह के लिए कृषि कार्य में लगे हुए हैं. लेकिन उनकी कृषि में परंपरागत साधनों का ही उपयोग किया जा रहा है. कश्मीरी लोग चावल, मक्का, गेहूं, जौ, दालें, तिलहन, तंबाकू आदि उत्पादित करते हैं. कश्मीर की घाटी भारतीय उपमहाद्वीप के लिए एकमात्र केसर उत्पादक है. कश्मीर में बड़े-बड़े बागों में सेब, नाशपाती, आडू, शहतूत, अखरोट और बादाम उगाए जाते हैं. लेकिन इन सबकी उत्पादकता बहुत कम है. इसमें कोई दो मत नहीं है कि जम्मू-कश्मीर सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद कश्मीर की ओर देशी और विदेशी टूरिस्टों का रुख बहुत कम होने का परिणाम यह है कि जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था में वह सुधार नहीं हो पाया है जिसकी उम्मीद की जा रही थी. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने से जम्मू-कश्मीर की टूरिज्म इंडस्ट्री को बहुत भारी उछाल मिलेगा. इस निर्णय से शिकारा और हाउसबोट जैसे उद्योगों में दोबारा जान आएगी.

Web Title: Jayantilal Bhandari's column: Give employment to Kashmiri youth

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