लगभग एक साल तक हिंसा की आग में जलने के बाद मणिपुर में जब शांति आई तो लगा कि अब सब कुछ ठीक हो जाएगा. लेकिन कुछ महीनों की शांति के बाद एक बार फिर से वहां हिंसा भड़क उठी है, जो गहरी चिंता का विषय है. पिछले 7 दिनों की हिंसा में ही 8 लोगों की मौत हो चुकी है और 12 से ज्यादा घायल हुए हैं. चिंता इस बात से और बढ़ जाती है कि इस बार पिछले हफ्तेभर से ड्रोन और मिसाइल से भी हमले किए जा रहे हैं.
मंगलवार को राजभवन की ओर कूच करने का प्रयास कर रहे प्रदर्शनकारी छात्रों के साथ झड़प होने पर सुरक्षाबलों ने आंसू गैस के गोले दागे. ये छात्र राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) और सुरक्षा सलाहकार को पद से हटाने की मांग को लेकर दबाव बनाने के लिए राजभवन की ओर निकले थे.
पिछले साल मई में शुरू हुए दो जनजातीय गुटों में संघर्ष के कारण 200 से अधिक लोग जान गंवा चुके हैं और 40 हजार से अधिक लोग अभी भी बेघर हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि मुख्यमंत्री की लीक ऑडियो क्लिप और ड्रोन से किए गए हमलों के कारण हिंसा की दूसरी लहर शुरू हुई है. दरअसल 6 अगस्त को कुकी छात्र संगठन (केएसओ) ने कथित तौर पर मुख्यमंत्री एन वीरेन सिंह का एक ऑडियो क्लिप जारी किया था.
केएसओ ने दावा किया कि मुख्यमंत्री की मिलीभगत के कारण कुकी समुदाय के लोगों को निशाना बनाया गया. यह ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया में सर्कुलेट हुई और इसके बाद चुराचांदपुर तथा कांगपोकपी जिलों में छात्र संगठनों ने आंदोलन शुरू कर दिया.
उधर गांवों पर ड्रोन से हो रहे हमलों से मणिपुर में हालात और खराब हुए हैं. एक सितंबर को संदिग्ध आतंकवादियों ने इम्फाल पश्चिम जिले के गांवों पर ड्रोन से विस्फोटक गिराए, जिससे दो ग्रामीणों की मौत हो गई. दो सितंबर को एक दूसरे ड्रोन हमले में सुरक्षा बलों के तीन बंकर क्षतिग्रस्त हो गए. 6 सितंबर को संदिग्ध आतंकवादियों ने बिष्णुपुर में रॉकेट हमले किए.
7 सितंबर को जिरीबाम में गोलीबारी में छह और लोग मारे गए, जिसके बाद सरकार को निगरानी के लिए सेना के हेलिकॉप्टर तैनात करने पड़े. जहां तक ड्रोन और रॉकेट हमले की बात है, निश्चित रूप से सरकार को इससे कड़ाई से निपटना चाहिए और यह पता लगाया जाना चाहिए कि उपद्रवी तत्वों को ऐसी चीजें कहां से हासिल हो रही हैं.
इस अशांति का फायदा उग्रवादी न उठा ले जाएं, इसका ध्यान तो रखना ही होगा, लेकिन दोनों संघर्षरत समूहों- कुकी और मैतेई समुदाय के बीच बातचीत के जरिये विश्वास का वातावरण कायम करना भी बेहद आवश्यक है. दुनिया के स्तर पर हम भयावह संघर्ष देख रहे हैं और अपने देश की इस नीति को बार-बार दोहरा भी रहे हैं कि हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं है, सारे मुद्दों को बातचीत के माध्यम से ही सुलझाया जाना चाहिए.
देश के आंतरिक मामलों में भी हमें इसी नीति को लागू करना चाहिए. ऐसे लोगों को आगे करना चाहिए जो बातचीत के जरिये मामलों को सुलझाने की क्षमता रखते हों. जो देश को नुकसान पहुंचाने का इरादा रखते हों, उनके खिलाफ बल प्रयोग तो ठीक है लेकिन बात जहां आपसी झगड़े की हो, वहां परस्पर बातचीत और विश्वास बहाली ही समाधान का सर्वश्रेष्ठ उपाय है.