ब्लॉग: भाजपा से नाराज हो रहे उसी के कार्यकर्ता! बात कर्नाटक से रतलाम तक...
By राजेश मूणत | Published: May 12, 2023 12:48 PM2023-05-12T12:48:12+5:302023-05-12T12:57:19+5:30
प्रभु हनुमानजी की प्रतिमा के सामने रतलाम में क्या हुआ? इसका जवाब जिम्मेदारों को देना था. यथा समय क्षमा अर्चना की जानी चाहिए थी. लेकिन मद में चूर धनबल से पार्टी पर कब्ज़ा जमा कर बैठे लोगों ने क्या किया?
कर्नाटक के चुनाव प्रचार में हनुमानजी अंत तक कायम रहे. इस स्थिति पर कई सवाल उठ रहे है? भाजपा को चाहने वाले पहला सवाल कर रहे है कि क्या वहां के हिन्दू मतदाता भी नाराज है? क्या भाजपा को हिन्दुत्व के मुद्दे के बावजूद सफलता नहीं मिलने जा रही है? क्या भाजपा के पास हिन्दुत्व के अलावा कोई और मुद्दा नहीं है?
बात जब तक हिन्दुत्व की है, उसका सीधा जवाब है कि देश मे तुष्टीकरण को बढाने वाली पार्टीया जब अपनी विचारधारा पर कायम है. तब हिन्दू मतों का ध्रुवीकरण करने के लिए भाजपा का स्टेंड पूरी तरह सही है.
सवाल है कि फिर गलत क्या है? जवाब यह है कि भाजपा को तो कम से कम हिन्दू मतदाताओं की भावनाएं आहत न हो इसका ध्यान रखना चाहिए. पार्टी में गधा घोड़ा एक भाव बिकने लगे है और इस स्थिति से पार्टी के कट्टर समर्थक लोग रुष्ट है. सवाल यह है कि क्या भाजपा के संगठन को यह बात समझ मे नहीं आ रही है? संगठन में बैठे लोगों को पता है कि सत्ता की डोर जनता के हाथों में होती है. और आम जनता किसी पार्टी कि मर्यादा में बंधी नहीं होती है. सारे फैसले धनबल से समर्पित होने लगे है. साधारण कार्यकर्ता की कोई सुनने वाला नहीं है. तब कर्नाटक जैसा हाल सभी दूर होगा.
प्रभु हनुमानजी की प्रतिमा के सामने रतलाम में क्या हुआ? इसका जवाब जिम्मेदारों को देना था. यथा समय क्षमा अर्चना की जानी चाहिए थी. लेकिन मद में चूर धनबल से पार्टी पर कब्ज़ा जमा कर बैठे लोगों ने क्या किया? यह रतलाम अकेले की बात नहीं है यह आम हो गया है कि पार्टी से चुने हुए जनप्रतिनिधि अब कार्यकर्ताओं और कर्मचारीयों में अन्तर नहीं समझते है. भैयाजी जब साहब कहलाने लगते है तो कार्यकर्ता बेचारा हो जाता है.
पार्टी संगठन के पास अभी समय है. आज जब भाजपा के कार्यकर्ता ही संतुष्ट नहीं है तब जनता कैसे आपके पक्ष में खड़ी रहेगी? सावधान...कर्नाटक के बाद अब मध्य प्रदेश की बारी है. यहां जनता और भी चौकाने वाली है.