ब्लॉग: भारत को नशे के चक्र में फंसाने की अंतरराष्ट्रीय साजिश
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: October 15, 2024 14:05 IST2024-10-15T14:05:25+5:302024-10-15T14:05:29+5:30
हमारी सरकार मुस्तैद है और कोशिश कर रही है कि नशे केे कारोबार को पूरी तरह तहस-नहस कर दिया जाए।

ब्लॉग: भारत को नशे के चक्र में फंसाने की अंतरराष्ट्रीय साजिश
देश में मादक पदार्थों का कारोबार सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद नियंत्रण में नहीं आ पा रहा है। आए दिन विभिन्न राज्यों से मादक पदार्थ जब्त होने की खबरें मिल रही हैं। कुछ साल पहले जब मादक पदार्थों के विरुद्ध बड़ी कार्रवाई होती थी तो कुछ लाख का माल हाथ लगता था। अगर दो-चार करोड़ के मादक पदार्थ जब्त हो जाते थे तो उसे बड़ी कार्रवाई समझा जाता था लेकिन अब सैकड़ों-हजारों करोड़ रुपए मूल्य के मादक पदार्थ जब्त हो रहे हैं।
जिस बड़ी मात्रा में मादक पदार्थों की खेप जब्त हो रही है उससे ऐसा प्रतीत होता है कि भारत की युवा पीढ़ी को नशे के जाल में फंसाने के लिए बहुत बड़ी अंतरराष्ट्रीय साजिश चल रही है और पाकिस्तान इस साजिश का महत्वपूर्ण केंद्र बन गया है। यह कहने में भी कोई अतिशयोक्ति नहीं होनी चाहिए कि इस अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र का पाकिस्तान एक अहम पात्र है और आतंकवाद के जरिए भारत को अस्थिर करने की तमाम साजिशें विफल होने के बाद अब वह मादक पदार्थों को हमारे देश के खिलाफ हथियार बना रहा है।
कुछ वर्षों पूर्व गुजरात में 22 हजार करोड़ रु. के मादक पदार्थ जब्त किए गए थे. मादक पदार्थों के विरुद्ध भारत में वह सबसे बड़ी कार्रवाई थी। उसके बाद भारत सरकार में मादक पदार्थों की तस्करी को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान शुरू किया। उसके अच्छे नतीजे सामने आ रहे हैं और पिछले तीन वर्षों में 1.45 लाख करोड़ के मादक पदार्थ कई राज्यों में बरामद किए जा चुके हैं।
मादक पदार्थों की बड़ी-बड़ी खेप का बरामद होना भारत सरकार की नशाविरोधी कार्रवाई की सफलता का निश्चित रूप से प्रतीक है मगर सवाल यह भी उठता है कि संबंधित जांच एजेंसियों के इतना चौकन्ना होने के बावजूद भारत में मादक पदार्थों की पहुंच में लगातार वृद्धि क्यों हो रही है। रविवार की रात दिल्ली में पांच हजार करोड़ रु. के मादक पदार्थ जब्त किए गए। आठ-दस दिन पूर्व भोपाल में नशीले पदार्थ बनाने वाली फैक्ट्री का भंडाफोड़ कर 1800 करोड़ रुपए के नशीले पदार्थ जब्त किए गए। इसके पूर्व 20 सितंबर को गुजरात में कच्छ जिले के समुद्री तट से मादक पदार्थ की बड़ी खेप जब्त की गई थी। इस वर्ष जून से सितंबर के बीच इस क्षेत्र में मादक पदार्थों से भरे लगभग 300 पैकेट बरामद हुए।
उनमें सैकड़ों करोड़ रुपए के नशीले पदार्थ भरे हुए थे। दो साल पहले मुंबई के बंदरगाह से 345 किलो मादक पदार्थ मिले थे। जांच से यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया था कि मुंबई में बरामद हुए मादक पदार्थ ईरान के दो रसायन विशेषज्ञों ने तैयार किए थे। उनके नाम अली रेजा राजाबी और तौहिद राजाबी बताए जाते हैं। जांच से यह भी पता चला कि ईरान के ये दोनों रसायन विशेषज्ञ पाकिस्तान सरकार की सहायता से काम करते आए हैं और भारत में युवा पीढ़ी को लक्ष्य बनाकर तैयार किए जा रहे मादक पदार्थों की पूरी मशीनरी उनकी देखरेख में काम कर रही थी।
भारत में मादक पदार्थ की तस्करी के सिलसिले में दो अफगानी नागरिक रहीमुल्ला रहीमी और मुस्तफा स्टानिकजई को भी गिरफ्तार किया गया था। इन दोनों ने ईरानी रसायन विशेषज्ञों तथा पाकिस्तान की भूमिका के बारे में जांच एजेंसियों को महत्वपूर्ण जानकारी दी थी। जांच से यह खुलासा हुआ था कि भारत के संभ्रांत परिवारों के युवाओं के लिए ईरानी रसायन विशेषज्ञ खासतौर से मादक पदार्थ बनाते थे।
भारत में दो किस्म के मादक पदार्थ भेजे जाते हैं। एक बेहद उच्च गुणवत्ता के महंगे ड्रग्स और दूसरे सस्ते ड्रग्स जो सामान्य वर्गों के युवाओं तक आसानी से पहुंच बनाते थे। पड़ोसी देशों से भारत में मादक पदार्थों की बड़ी खेप आ रही है। इसमें एक छोर से पाकिस्तान के तस्कर वहां की सरकार तथा सुरक्षों बलों के संरक्षण में भारत की उत्तर तथा पश्चिमी सीमाओं से मादक पदार्थ भेज रहे हैं तो दूसरी ओर पूर्वोत्तर भारत में म्यांमार (बर्मा) की सीमा से नशीले पदार्थ भेजे जा रहे हैं।
पाकिस्तान की सीमा से भारत में मादक पदार्थ भेजने के लिए समुद्री मार्गों का उपयोग जमकर किया जाता है। भारत की युवा पीढ़ी को नशे की चपेट से दूर रखने के लिए बड़े पैमाने पर प्रयास जारी हैं। हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, मणिपुर, मेघालय, राजस्थान, नगालैंड में मादक पदार्थों का जाल तेजी से फैला है. असम में पिछले एक वर्ष में मादक पदार्थों की लगातार बरामदगी हो रही है। इससे साफ है कि इस राज्य के युवाओं को भी नशे के सौदागर अपने जाल में फंसा रहे हैं। नशा एक ऐसा व्यसन है जो युवा पीढ़ी के साथ घर-परिवार तथा देश की अर्थव्यवस्था को भी दीमक की तरह चाट जाता है।
कई अफ्रीकी तथा दक्षिणी अमेरिकी देश नशे के कारोबार से तबाही की कगार पर पहुंच चुके हैं। हमारी सरकार मुस्तैद है और कोशिश कर रही है कि नशे केे कारोबार को पूरी तरह तहस-नहस कर दिया जाए। युवा पीढ़ी को इस बुराई से दूर रखने के लिए प्रत्येक नागरिक को अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए सरकार को सहयोग देना होगा। नशे के खिलाफ युद्ध में देश के हर व्यक्ति की भागीदारी जरूरी है।